Fertilizer Crisis in Madhya Pradesh : इस समय मध्यप्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से खाद की किल्लत को लेकर खबरें आ रही हैं. बोनी के सीजन में किसान को खेतों में होना चाहिए लेकिन प्रदेश का अन्नदाता जिसे भारत का भाग्यविधाता कहा जाता है, वह खेतों से नदारत है. आज किसान कतारों में दिख रहा है. प्रदेश में खाद के लिए लंबी-लंबी कतारें दिखाई दे रही हैं, कहीं-कहीं तो 4-5 दिन बाद नंबर आ रहा है. जहां एक ओर खाद को लेकर मारामारी मची हुई है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक सुस्ती की वजह से किसानों की मजबूरी का जमकर फायदा उठाया जा रहा है. कालाबाजारी की वजह से किसानों को इन दिनों खादों लिए मनमाना दाम चुकाना पड़ रहा, वहीं कई बार तो महंगा दाम चुकाने के बाद किसानों को अमानक खाद दी जा रही है. सरकार दावा करती है कि हम "शुद्ध के लिए युद्ध" अभियान चला रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक अफसर "गहरी नींद" में साे रहे हैं. ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के छतरपुर से सामने आया है, जहां सैंपल फेल होने के 6 महीने बाद भी नोटिस के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई.
पहले जानिए अमानक खाद क्या है?
देशभर में खाद की गुणवत्ता और मानक को नियंत्रित करने के लिए फर्टिलाइलर कंट्रोल ऑर्डर अधिनियम 1985 का पालन किया जाता है. समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार इस आदेश में संशोधन किये जाते रहे हैं. इस आदेश के तहत ही रसायनिक उर्वरकों की मैन्यूफैक्चरिंग, कीमत, भण्डारण, विक्रय और गुणवत्ता पर नियंत्रण स्थापित किया जाता है. रसायनिक उर्वरकों के अलावा इसमें जैव उर्वरकों, कार्बनिक उर्वरकों एवं नाॅन-एडिबल डी-आयल्ड केक उर्वरकों की भी मैन्यूफैक्चरिंग, भण्डारण, विक्रय और गुणवत्ता को भी रेग्युलेट किया जाता है.
नकली खाद के नुकसान
अमानक या नकली खाद से होने वाले नुकसान पर गौर करें तो इससे जहां एक ओर जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है वहीं फसलों की पैदावार प्रभावित होती है. अगर खाद में तय मात्रा से अधिक रासायनिक तत्व होते हैं तो वे मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसी खाद पानी की गुणवत्ता को भी खराब करती है. इन सबके परिणाम स्वरूप फसल की पैदावार प्रभावित होती है. अंत में कर्ज लेकर किसानी करने वाला अन्नदाता धन और धान्य दोनों से हाथ धो बैठता है.
समय निकलने के बाद बर्बाद होता है किसान
सिस्टम की लेटलतीफी से हर सीजन में किसानों की फसल दांव पर रहती है. पहले तो समय रहते अमानक खाद, बीज और कीटनाशक के पर्याप्त सैंपल नहीं लिए जाते, वहीं जो भी सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं तो उनकी रिपोर्ट लंबे समय तक अटकी रहती है, इस बीच में किसान उस अमानक खाद-बीज या कीटनाशक का उपयोग कर लेता है. इसके बाद अगर जांच रिपोर्ट में अमानक स्तर पाया भी जाता है तो किसान माथा पीटने के अलावा कुछ नहीं कर सकता. क्योंकि तब तक किसान की फसल-जमीन और मेहनत सबकुछ बर्बाद हो चुका होता है.
छतरपुर में प्रशासन की लापरवाही, कई सैंपल फेल फिर भी कोई एक्शन नहीं
छतरपुर जिलों में किसानों को अमानक खाद, बीज व उर्वरक की सप्लाई की जा रही है. यहां जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही देखी जा रही है. इस बात का खुलासा कृषि विभाग द्वारा जांच के लिए भेजे गए सैंपलों से भी हुआ है. इस वर्ष अब तक खरीफ और रबी सीजन में उर्वरक के शासकीय और प्राइवेट में गोदामों से 89 सैंपल लिए गए थे, इनमें से 17 सैंपल फेल हुए हैं, इनका स्तर अमानक पाया गया है. इन फेल हुए सैंपलों में सभी मध्य प्रदेश विपणन संघ के गोदाम व सेवा सहकारी समितियां के हैं. गड़बड़ी जिन खाद के सैंपल लिए गए थे उनको रिपोर्ट आने से पहले ही ठिकाने लगाया जा चुका है. जहां के सैंपल फेल मिले थे वहां के दोषियों पर 6 महीने बाद भी कार्रवाई नहीं हो सकी हैं. वहीं प्राइवेट डीलरों और संस्थाओं के ऊपर किसी भी तरह की जांच की आंच ही नहीं आयी.
जिम्मेदारों का क्या कहना है?
कृषि विभाग के उपसंचालक बीपी सूत्रकर का कहना है कि अभी चुनाव की व्यस्तता है, इससे कार्रवाई में कुछ विलंब
हो सकता है. अब सभी प्रकरणों को दिखवाया जाएगा कि क्या स्थिति है और क्या कार्रवाई हुई है? प्रकरणों की जांच रिपोर्ट में जो बिंदु आएंगे, उनके आधार पर तत्परता से विधिसंगत कार्रवाई की जाएगी. कार्रवाई में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाती है, यदि गड़बड़ी मिलती है तो दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा.
ऐसे करें असली-नकली खाद की पहचान
1. यूरिया पानी में पूरी तरह घुलनशील
किसान अगर असली यूरिया की पहचान करना चाहते हैं तो सबसे सरल तरीका यह है कि इस खाद के दाने सफेद चमकदार और लगभग आकार में समान होते हैं. इस दाने कड़े होते हैं और पानी में पूरी तरह से घुल जाते हैं. इसके घोल को छूने पर ठंडक महसूस होती है. इसके अलावा अगर आप यूरिया के दानों को तवे पर गर्म करते हैं तो ये पिघल जाते हैं वहीं यदि आंच तेज कर देंगे तो इसके कोई अवशेष न बचते हैं.
2. DAP के दाने तवे पर फूलते हैं
अन्नदाताओं को अगर असली डी.ए.पी. (D.A.P.) की पहचान घर पर ही करनी है तो आप इस खाद के कुछ दानों को अपने हाथों में लीजिए और जिस तरह से तम्बाकू में चूना मिलाकर मला जाता है उसी तरह मलिए. अगर ऐसा करने से इतनी तेज गंध निकले कि उसे सूंघना मुश्किल हो जाये तो समझ लीजिए कि ये डी.ए.पी. असली है. असली डीएपी पहचानने का एक और सरल तरीका है. अगर डी.ए.पी. के कुछ दानों को धीमी आंच पर तवे पर गर्म करते है तो ये फूल जाते हैं. यदि आपके दाने फूल गए हैं तो समझे कि आपकी डी.ए.पी. असली है. इसके अलावा इस खाद के कठोर दाने भूरे काले एवं बादामी रंग के होते हैं और ये नाखून से आसानी से नहीं टूटते हैं.
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