Farmer Debt Suicide Madhya Pradesh: बैतूल जिले से एक बार फिर किसानों की बेबसी और आर्थिक तंगी की दर्दनाक कहानी सामने आई है. ग्राम चिचोला ढाना के एक किसान ने कर्ज और खराब फसल से परेशान होकर जहर खा लिया. परिवार वालों की सूझबूझ से समय रहते उसे अस्पताल पहुंचा दिया गया, जहां वह अभी जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है. यह घटना फिर साबित करती है कि किस तरह कर्ज और फसल की नाकामी किसानों के लिए जानलेवा साबित हो रही है.
कर्ज और बर्बाद फसल से टूटा किसान
जानकारी के मुताबिक, 50 वर्षीय किसान कालूराम पिता कुंवरलाल पन्द्राम, निवासी ग्राम चिचोला ढाना थाना झल्लार, पिछले कुछ समय से भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. उनके ऊपर लगभग 70 हजार रुपये का कर्ज था. इसके अलावा उन्होंने 17 एकड़ खेत डेढ़ लाख रुपये में ठेके पर लेकर सोयाबीन की फसल बोई थी, लेकिन इस बार मौसम की मार से पूरी फसल बर्बाद हो गई.
अकेले में खाया जहर, परिवार ने बचाई जान
घटना के वक्त घर के बाकी सदस्य खेत पर काम कर रहे थे. इसी दौरान कालूराम ने घर में कीटनाशक पी लिया. जब परिवार वाले लौटे तो उन्होंने कालूराम को बेहोश हालत में पाया और तुरंत निजी वाहन से जिला अस्पताल बैतूल ले गए. डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई, लेकिन उनकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है.
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मानसिक तनाव और बढ़ता दबाव
किसान कालूराम ने होश में आने के बाद बताया कि वे कर्ज लौटाने के दबाव और लगातार बढ़ते आर्थिक तनाव से परेशान थे. बर्बाद फसल और कर्ज चुकाने की चिंता ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा अब इस जिंदगी से कोई रास्ता नहीं बचा है, इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया.
अस्पताल में इलाज जारी, पुलिस ने शुरू की जांच
फिलहाल कालूराम का जिला अस्पताल बैतूल में इलाज जारी है. डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है. वहीं, झल्लार पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस का कहना है कि परिवार से पूछताछ कर घटना की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है.
किसानों की लाचारी पर फिर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर किसानों की आर्थिक बदहाली और सरकारी नीतियों की सीमाओं को उजागर करती है. कर्ज़ और फसल की विफलता के कारण हर साल सैकड़ों किसान इस तरह की परिस्थिति में फंस जाते हैं. सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक अन्नदाता अपनी ही ज़िंदगी से जंग लड़ते रहेंगे, और कब उन्हें इस दुष्चक्र से राहत मिलेगी.