
Damoh Fake Doctor Case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दमोह (Damoh) के मिशन अस्पताल (Mission Hospital Damoh) में फर्जी सर्जन से जुड़े कैथलैब के खिलाफ मंगलवार को पुलिस ने कार्रवाई शुरू की. दरअसल, इसी कैथ लैब में ऑपरेशन और 7 मौतों के मामले में दमोह पुलिस ने एक आवेदन पर FIR कर कार्रवाई शुरू की. इस दौरान पुलिस ने कैथ लैब का रजिस्ट्रेशन भी फर्जी मिला.
पुलिस ने जबलपुर के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट अखिलेश दुबे के आवेदन के बाद दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के जांच प्रतिवेदन के आधार ये कार्रवाई की.दरअसल, कार्डियोलॉजिस्ट अखिलेश दुबे ने अपने आवेदन में लिखा था कि हमारे फर्जी हस्ताक्षर कर मिशन अस्पताल ने कैथ लैब का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था. हैरत की बात ये है कि फर्जी डॉक्टर ने न सिर्फ कैथलैब को इंस्टॉल कराया,बल्कि बाकायदा इसकी ओपनिंग भी की. इसके बाद न सिर्फ ओपीडी में सैकड़ों मरीज देखे, बल्कि सैकड़ों एंजियोग्राफी और दर्जनों एंजियोप्लास्टी भी की. इसके एवज में हर माह फीस के दौर पर दो सालों में मिशन अस्पताल से तीस लाख रुपयों से अधिक की राशि वसूली.
अगर कैथ लैब का रजिस्ट्रेशन फर्जी था, तो सरकार ने हार्ट सर्जरी और इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड की सुविधा के लिए इसे संबद्धता क्यों दी? ऐसे में स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अफसर मीडिया के सामने आने से बचता रहा. ऐसे सवाल पैदा होता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी इस घालमेल में शामिल तो नहीं है.
मिशन अस्पताल के प्रबंधन पर FIR
इस संबंध में पुलिस ने मंगलवार को बताया कि दमोह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिए गए आवेदन में मिशन अस्पताल संचालक और प्रबंधन मंडल की ओर से मिशन अस्पताल के कैथ लैब के रजिस्ट्रेशन में धोखाधड़ी कर दस्तावेजों पर डॉक्टर अखिलेश दुबे की फर्जी हस्ताक्षर की सहायता से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हासिल किया गया था. इसके बाद इस कैथ लैब में कुछ मरीजों की एंजियोप्लास्टी के बाद मृत्यु हो गई. उक्त आवेदन पत्र पर थाना कोतवाली दमोह में केस दर्ज किया गया है.
इनके खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर
पुलिस के मुताबिक इस मामले में अशीम न्यूटन पिता रजनीश मोरिस न्यूटन, फ्रैंक हैरीशन पिता स्व० एच. इम्युनल, इंदू लाल पति अजय लाल , जीवन मैसी पिता जोसफ मैसी , रोशन प्रसाद पिता राजेश प्रसाद, कदीर यूसुफ पिता उमर फारूक, अजय लाल पिता विजय लाल , संजीव लोम्बार्ड , विजय लोम्बार्ड के खिलाफ केस दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है. इन लोगों के खिलाफ अपराध संख्या 245/25 धारा 318(4), 336 (2), 340(2), 105,3 (5) बीएनएस, मध्यप्रदेश उपचार गृह एवं रूजोपचार अधिनियम (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 व नियम 1997 संशोधित नियम 2021 की धारा 12 का अपराध दर्ज किया गया है.