विज्ञापन

Eid-E-Milad-un-Nabi 2024: पैगंबर मुहम्मद की वह शिक्षा, जिसको मुसलमान आज भी याद कर रोने लगते हैं

Jashn-e-Eid-e-Milad-un-Nabi: पैगंबर मुहम्मद ने अपने आखिरी हज के मौके पर जो सामूहिक उद्बोधन दिया था, वह इस प्रकार है. ऐ लोगों! मेरी बात ध्यान से सुनो, क्योंकि मैं नहीं जानता कि इस वर्ष के बाद मैं फिर कभी आपके बीच आऊंगा. इसलिए मैं जो कह रहा हूं, उसे खूब गौर से सुनो और इन शब्दों को उन लोगों तक पहुंचा देना, जो यहां आज उपस्थित नहीं हो सके हैं.

Eid-E-Milad-un-Nabi 2024: पैगंबर मुहम्मद की वह शिक्षा, जिसको मुसलमान आज भी याद कर रोने लगते हैं

Eid-E-Milad-un-Nabi Mubarak: कुरआन शरीफ में पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) को अल्लाह (Allah) ने पुरी दुनिया के लिए रहमत करार दिया है. ऐसे में उनकी शिक्षाओं पर गौर करना जरूरी हो जाता है कि क्या वास्तव में उनकी शिक्षा में भी ऐसी जीचें हैं, जिस पर अमल कर दुनिया में शांति की स्थापना की जा सकती है. यूं तो पूरा कुरआन ने मानवता, बराबरी, करुणा, दया और कृपा करने की शिक्षाओं से भरा पड़ा है. लेकिन, इस सभी को छोड़कर अगर पैगंबर मुहम्मद के आखिरी हज के मौके पर दिए सामूहिक उद्बोधन (खुबता-ए-हज्जतुल विदा)पर ही गौर किया जाए, तो इस समय दुनिया जिन समस्याओं से दो-चार है. इसमें उन सभी का इलाज मौजूद है.

पैगंबर मुहम्मद ने अपने आखिरी हज के मौके पर जो सामूहिक उद्बोधन दिया था, वह इस प्रकार है. ऐ लोगों! मेरी बात ध्यान से सुनो, क्योंकि मैं नहीं जानता कि इस वर्ष के बाद मैं फिर कभी आपके बीच आऊंगा. इसलिए मैं जो कह रहा हूं, उसे खूब गौर से सुनो और इन शब्दों को उन लोगों तक पहुंचा देना, जो यहां आज उपस्थित नहीं हो सके हैं.

ऐसे दिया समानता का संदेश

पैगंबर मुहम्मद ने इसके बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ऐ लोगों अल्लाह फ़रमाता है कि हमने तमाम इंसानों को एक ही पुरुष और स्त्री से पैदा किया है. इसके बाद तुम्हें गिरोहों और क़बीलों में बांट दिया, ताकि तुम अलग-अलग पहचाने जा सको. अल्लाह की नजर में तुम में सबसे अच्छा और इज्जत के लायक वह है, जो अल्लाह से ज़्यादा डरने वाला है. इसके बाद फरमाया कि किसी अरब के रहने वाले को किसी अजम यानी ग़ैर-अरब पर, और इसी तरह किसी ग़ैर-अरब को किसी अरब पर, न काले को गोरे पर और नहीं गोरे पर काले  कोई श्रेष्टा हासिल है. अल्लाह की नजर में  श्रेष्टा का अगर कोई पैमाना है, तो वह परहेजगारी (नेक काम करना और बुरे काम से बचना) है. फिर फरमाया कि सभी इंसान एक ही आदम की औलाद हैं और आदम की पैदाइश मिट्टी से हुई थी. इसके बाद फरमाया कि अब श्रेष्ठता के सारे दावे, ख़ून और माल की सारी मांगें और दुश्मनी के सारे बदले मेरे पांवों तले कुचले जा चुके हैं. अब हमेशा के लिए काबा का प्रबंध और हाजियों को पानी पिलाने की सेवा का क्रम जारी रहेगा.

फिर फर माया मैं क़यामत के दिन तक मुसलमानों के जीवन और संपत्ति और एक-दूसरे के सम्मान को ठेंस पहुंचाने पर रोक लगाता हूं. जैसे आप इस महीने और इस दिन का सम्मान करते हैं. इसी प्रकार आपको एक-दूसरे की संपत्ति, प्रतिष्ठा और खून का सम्मान करना चाहिए, जो कुछ भी एक भाई के स्वामित्व में है, वह दूसरे के लिए वैध नहीं है, जब तक कि वह स्वयं उसे अपनी स्वतंत्र इच्छा से न दे दे.

क़यामत के दिन जवाबदेही के बारे में ये कहा

याद करना! एक दिन हम सभी को मरना होगा और सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपस्थिति में प्रकट होना होगा. जहां सभी से उसके कार्यों के बारे में पूछा जाएगा.

खूनी विवादों को समाप्त किया

लोग! याद रखो, अज्ञान युग की हर रस्म मेरे पैरों के नीचे है. मैं इसे नष्ट कर दूंगा. जाहिलिया युग की हत्याएं और खूनी झगड़े आज तक समाप्त हो गए हैं. इस संबंध में सबसे पहले मैं रबिया बिन हारिथ बिन अब्दुल मुत्तलिब के खून के बदले का त्याग करता हूं.

कमजोरों के अधिकारों के बारे में ये कहा

पैगंबर ने फरमाया कि दासों और स्त्रियों का तुम पर अधिकार है. इन अधिकारों का विशेष ध्यान रखें. महिलाओं के प्रति सौम्य और दयालु रहें. दासों को वही खिलाओ, जो तुम खाते हो और उन्हें वही पहनाओ जो तुम पहनते हो.

प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्यों के लिए स्वयं जिम्मेदार

इसके बाद फरमाया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्यों के लिए स्वयं जिम्मेदार है. पुत्र पिता के अपराधों के लिए और पुत्र के अपराध के लिए पिता जिम्मेदार नहीं है.

शासक की आज्ञा मानने का आदेश

"यदि एबिसिनियन कान-कटा हुआ दास आपका अमीर है और ईश्वर की पुस्तक के अनुसार आपका मार्गदर्शन करता है, तो उसकी आज्ञा मानें और उसका पालन करें.

इन कामों को बताया जरूरी

लोग! मेरे बाद कोई नबी न आएगा, न कोई नई उम्मत पैदा होगी. अच्छी तरह से सुनो! अपने रब की इबादत करें, दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ें, रमज़ान के रोज़े रखें, ख़ुशी से अपने धन पर ज़कात अदा करें, काबा के लिए हज करें और अपने शासकों के आज्ञाकारी बनें. उसका इनाम यह है कि वह अपने रब की जन्नत में प्रवेश करेगा. मैं तुम्हारे बीच दो चीजें छोड़ रहा हूं कि यदि तुम उन्हें पकड़ोगे, तो कभी गुमराह न बनोगे और वे अल्लाह की किताब और उसके पैगंबर की सुन्नत हैं.

वसीयत को लेकर ये कहा

हे लोगों! अल्लाह ने विरासत में से प्रत्येक वारिस के लिए एक निश्चित हिस्सा तय कर दिया है और संपत्ति के एक तिहाई से अधिक की वसीयत करना जायज़ नहीं है! जो व्यक्ति अपने पिता के बजाय किसी और को अपना पिता कहता है, तो ऐसे व्यक्ति पर अल्लाह और फरिश्तों और सभी मनुष्यों की लानत होती है.

क़यामत के दिन इसका कोई बदला नहीं मिलेगा

इस उपदेश में, पवित्र पैगंबर (उन पर शांति हो) ने चार सम्माननीय महीनों अर्थात् ज़िल-कायदा, ज़िल-हिज्जा, मुहर्रम और रजब का भी उल्लेख किया. पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अमानत के भुगतान का आदेश दिया: "जिसके पास अमानत है, उसे उसके मालिक को इसका भुगतान करना चाहिए. पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सूदखोरी पर रोक लगा दी. फरमाया कि जाहिलियत के ज़माने का सूद ख़त्म कर दिया गया है, लेकिन मूल पर आपका हक़ रहेगा. तुम किसी पर अत्याचार नहीं करोगे और तुम पर अत्याचार नहीं किया जाएगा. सबसे पहले, मैं अपने चाचा अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की सूदखोरी की मांगों को रद्द करता हूं.

ये भी पढ़ेंEid-E-Milad-Un-Nabi: मुहम्मद साहब नहीं हैं इस्लाम धर्म के प्रवर्तक, सच्चाई जानकर दंग रह जाएंगे आप

उपदेश के अंत में ये पूछा

उपदेश के अंत में लोगों से पूछा, "क्या मैंने तुम्हें अल्लाह का सन्देश सुनाया?"सभी ने पलटकर जवाब दिया, आपने सही किया है. इस पर, पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपनी उंगली आकाश की ओर उठाई और तीन बार कहा: "हे भगवान! आप साक्षी रहें. हे भगवान! आप साक्षी रहें, हे भगवान! आप साक्षी रहें.

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
MP News: अंधविश्वास ने ले ली जान... आदिवासी गांव में उल्टी-दस्त पीड़ित की कराते रहे झाड़-फूंक, हो गई मौत 
Eid-E-Milad-un-Nabi 2024: पैगंबर मुहम्मद की वह शिक्षा, जिसको मुसलमान आज भी याद कर रोने लगते हैं
NRI daughter-in-law is making rounds of Collectorate for marriage certificate filed petition after visa expired HC gave these instructions
Next Article
MP: मैरिज सर्टिफिकेट के लिए कलेक्ट्रेट की चक्कर काट रही NRI बहू, फिर HC में दायर की याचिका, अब कोर्ट ने दिए ये निर्देश
Close