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This Article is From Oct 24, 2023

Dussehra: आस्था या अंधविश्वास: मंदसौर में जलते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं लोग, बरसों से चली आ रही परंपरा 

Dussehra 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर (Mandsaur) में भक्तों ने दहकते अंगारों पर दौड़ लगाई. इस कार्यक्रम में सैकड़ो लोग सांस थामे दिखाई दिए. इस नजारे को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग जमा हुए. हर साल की तरह मंदसौर के नालछा माता मंदिर (Nalchha Mata Temple) परिसर में इस चूल के कार्यक्रम का आयोजन हुआ. नालछा माता मंदिर परिसर में अंगारों की सेज सजाई गई.

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Dussehra: आस्था या अंधविश्वास: मंदसौर में जलते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं लोग, बरसों से चली आ रही परंपरा 
मंदसौर में जलते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं लोग, बरसों से चली आ रही परंपरा

Madhya Pradesh News: हमारा देश भारत (India) विविधता में एकता की मिसाल है. यहां पर अलग-अलग जगहों की अपनी संस्कृति है. लेकिन कई बार देखा गया है कि लोग आस्था के नाम पर किसी भी हद तक चले जाते हैं. वैसे यह भी हकीकत है कि जब धर्म से जुड़ी मान्यताओं की बात आती है तो इन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. आस्था लोगों की भावनाओं से जुड़ी होती है. इसलिए वह सही या गलत के दायरे में नहीं आती...वह इन सब से परे होती है. ऐसी ही एक मान्यता है मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर (Mandsaur) ज़िले की. यहां पर दशहरे पर लोग दहकते अंगारों पर दौड़ते हैं. मंगलवार को भी मंदसौर में इस परंपरा का आयोजन किया गया. 

अंगारों से निकलती लपटों के बीच चलते हैं भक्त 

मध्य प्रदेश के मंदसौर में भक्तों ने दहकते अंगारों पर दौड़ लगाई. इस कार्यक्रम में सैकड़ो लोग सांस थामे दिखाई दिए. इस नजारे को देखने के लिए बड़ी तादाद में लोग जमा हुए. हर साल की तरह मंदसौर के नालछा माता मंदिर परिसर में इस चूल के कार्यक्रम का आयोजन हुआ. नालछा माता मंदिर परिसर में अंगारों की सेज सजाई गई. इस आंग को जलाने के लिए इसमें घी डाला गया. इसके बाद दहकते अंगारों से निकलती लपटों के बीच भक्त चूल से निकलते दिखाई दिए. एक के बाद एक कई लोग अंगारों से होकर गुजरे.  

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जान को जोखिम में डालकर आस्था की परीक्षा

चूल जलते अंगारों की सेज को कहते है जिसमें जमीन में एक खाई खोदकर लकड़ी जलाकर आग में घी डाला जाता है और फिर दहकते अंगारों से होकर लोग गुजरते हैं. पिछले कई सालों से ज़िले के इस मंदिर में चूल का आयोजन किया जाता है. इसमें लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर आस्था की परीक्षा देते नज़र आते हैं. वहीं इस परंपरा के आयोजको का दावा है कि आस्था के इस कार्यक्रम में आज तक किसी को कोई चोट नहीं लगी है. दहकती हुई अंगारों की सेज से लोग इस कदर गुज़र जाते हैं जैसे मानों वे फूलों की सेज से गुजर रहे हो. कई मर्तबा लोग लड़खड़ाते भी हैं लेकिन देखकर ऐसा लगता है कि भक्तों की अटूट आस्था उन्हें आग की लपटों से बचा लेती है. 

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