Dussehra 2024: त्रेता युग में जब भगवान राम वनवास के लिए अयोध्या से निकले तो उन्होंने 14 वर्षों तक अखंड भारत का भ्रमण किया. हिमालय से लेकर हिंद महासागर तक भगवान राम से जुड़े कथाएं प्रचलित हैं. इसी से जुड़ी एक और कथा है, जो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसे विन्ध क्षेत्र के माड़ा के जंगल में स्थित गुफाओं से संबंधित है, जहां रामायण काल की कड़ियों को जोड़ने वाले साक्ष्य आज भी मौजूद हैं.
वैसे तो माड़ा के जंगल में अनेकों गुफाएं हैं, लेकिन रामायण काल से जोड़ने वाली सिर्फ रावण गुफा है. इसके अलावा इस घनघोर जंगल में विवाह गुफा, हनुमान गुफा और गणेश गुफा भी है. इन गुफाओं में बने शैल चित्र 6वीं-7वीं शताब्दी के बताए जाते हैं.
माता सीता को हरण कर सबसे पहले इस गुफा में लाया था रावण
कहा जाता है कि रघुनाथ अपने वनवास काल के दौरान इसी मध्य प्रदेश के माड़ा के जंगलों से होते हुए छत्तीसगढ़ के जंगलों में अपने वनवास का समय पूरा किया था. मान्यता है कि इन्हीं गुफाओं में रावण ने माता सीता को हरण कर सबसे पहले यहां लाया था. रावण ने माता सीता के साथ इन्हीं गुफाओं में विवाह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सीता माता ने विवाह का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था. जिसके बाद रावण ने सीता माता को लंका ले गया था. इन्हीं दावों की पड़ताल करने के लिए NDTV की टीम विन्ध क्षेत्र के सिंगरौली जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित माड़ा के घनघोर जंगल में पहुंची.
माड़ा का घनघोर जंगलों में छुपे हैं रामायण काल से जुड़े रहस्य
10 किलोमीटर तक पहाड़ियों से घिरा माड़ा का घनघोर जंगल और उसी जंगल मे कई गुफाएं हैं, जहां रामायण काल की कड़ियों को जोड़ने वाले कई रहस्य छुपे हैं. जो न तो रामचरित मानस में लिखा गया है, न किसी पुराण में और न ही सीरियल रामायण में दिखाया गया है और न ही किसी श्रीराम कथा में सुनाया गया है.
इस गुफा में शैल चित्र भी है मौजूद
विवाह गुफा के बाहर पुरातत्व विभाग का एक बोर्ड लगा है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि यह गुफा 6वीं और 7वीं सदी की शैलोत्कीर्ण रॉक कट गुफाएं हैं, जिनकी तुलना अजंता और एलोरा की गुफाओं से की जाती है. यह रॉक कट गुफाएं भारत की प्राचीन धरोहर है.
जानकारी के अनुसार, हमें घनघोर जंगल में विवाह गुफा तो मिला, जिसके अंदर दीवारों पर हमें शैल चित्र भी दिखाई दिए, लेकिन यह शैल चित्र किसके हैं. यह देखकर पता नहीं चल पा रहा था.
माड़ा की घनघोर जंगल में चार गुफाएं हैं मौजूद
वन क्षेत्राधिकारी माड़ा रेंज हर्षित मिश्रा के मुताबिक, इस जंगल में प्रमुख रूप से चार गुफाएं हैं. विवाह गुफा, गणेश गुफा, हनुमान गुफा, रावण गुफा. वहीं किदवंतियों के मुताबिक, इन गुफाओं का इतिहास रामायण काल से है. लोगों की अलग अलग मान्यताएं है, लेकिन अभी रामायण काल की कड़ियों को जोड़ने वाले कोई साक्ष्य, प्रमाण अभी नहीं मिले हैं. इस पर रिसर्च की जा रही है.
इसी जगल में एक और गुफा है, जहां पानी का ऐसा कुंड है, जिसमें 24 घंटे और 12 मास एक ही वेग से पानी कुंड से बाहर बहता है. और ये जल भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करते हुए नाली के सहारे गुजरते हुए नदी में मिल जाता है. जल के स्त्रोत का पता नहीं चला कि आखिर इस कुंड में पानी कहां से आ रहा है.
गुफा के पुजारी संत रामानंद बाबा बताते हैं कि इस गुफा में जल का स्त्रोत यहां से 60 किलोमीटर दूर एक दुलही तालाब है. उसी तालाब की जलधारा तीन स्रोतों में विभाजित है. एक जल धारा नगवां के पहाड़ी में है और दूसरी छतौली में. वहां भी इसी तरह से जलधारा बह रही है. वहीं एक जलधारा यहां के पहाड़ में है.
यहां हनुमान की प्राचीन गुफा भी है मौजूद
इस पर्वत की चोटियों के नीचे हनुमान गुफा है. गुफा के अंदर बने हनुमान की प्रतिमा वर्षों पुरानी है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यह गुफा प्राचीन है.
विन्ध क्षेत्र के ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोभूमि सिंगरौली जिले के माड़ा के बीहड़ व घनघोर जंगलों की गुफाओं में हमे दावों के मुताबिक, रामायण काल से जुड़ी निशानियां शैलचित्र तो मिले, लेकिन यह किस काल के है इसकी पुष्टि या इससे जुड़े कोई प्रमाण हमें नहीं मिले. लोगों की मान्यताओं में मुताबिक, इन गुफाओं का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है.
बहुत प्राचीन है माड़ा की गुफाओं का इतिहास
वहीं इस अनसुलझे रहस्यों की गुत्थी को सुलझाने के लिए प्रोफेसर डॉक्टर गोविंद बॉथम के से बातचीत की. गोविंद बॉथम 18 वर्षों तक पुरातत्व विभाग में काम किया है और इतिहास के अच्छे जानकार हैं. बॉथम बताते हैं कि माड़ा की गुफाओं का इतिहास बहुत ही प्राचीन है. मध्य प्रदेश में ऐसी गुफाएं बहुत कम ही मिली है, जहां रॉक कोट में शैलचित्र के प्रमाण मिले हो. इसलिए अपने आप में यह बेहद अद्वितीय है और अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है.
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