Sehore Medical Inspection: छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था. एक महीने बीत जाने के बाद भी इस घटनाक्रम की गंभीरता को महसूस करते हुए सीहोर जिले में अब स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हुआ है. सोमवार को जिला मुख्यालय की कई दवा दुकानों पर औचक जांच की गई, जहां हैरान करने वाली खामियां सामने आईं.
फार्मासिस्ट नदारद, नियमों की उड़ रही धज्जियां
ड्रग इंस्पेक्टर किरण मगरे ने करीब 8 मेडिकल स्टोरों की जांच की. जांच के दौरान कुछ दुकानों पर फार्मासिस्ट मौजूद ही नहीं थे, जो दवा बिक्री के नियमों का सीधा उल्लंघन माना जाता है. यह स्थिति उन दुकानों में भी दिखी जो मुख्य बाजार क्षेत्र में स्थित हैं.
बिलों में गड़बड़ियां और रिकॉर्ड अधूरे
जिन दुकानों पर कर्मचारी मौजूद मिले, वहां भी विक्रय पत्रकों में गड़बड़ी पाई गई. बिलिंग और रिकॉर्ड में साफ लापरवाही देखी गई. सीहोर केमिस्ट, विनायक मेडिकल, न्यू सीहोर केमिस्ट और भाग्य लक्ष्मी मेडिकल जैसी दुकानों में दस्तावेज अधूरे मिले, जो संदेह को और गहरा करते हैं.
दवा के नमूने लिए, कार्रवाई की तैयारी
ड्रग इंस्पेक्टर ने कई दुकानों से दवाओं के सैंपल लिए हैं, जिन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा. साथ ही जिन दुकानों पर नियमों की अनदेखी मिली है, उन्हें नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
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स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि ऐसी लापरवाही समय रहते नहीं रोकी गई, तो छिंदवाड़ा जैसा हादसा कहीं भी दोहराया जा सकता है. यह कार्रवाई लोगों में जागरूकता व प्रशासन में सख्ती लाने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है.
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रीवा में मेडिकल स्टोर जांच पर बवाल, संचालकों ने विरोध में दुकानें बंद कीं
इधर, रीवा जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने मेडिकल स्टोरों की जांच शुरू की. जांच के दौरान कई दुकानों में फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति और नियमों का उल्लंघन पाया गया, जिस पर प्रशासन ने तुरंत कुछ दुकानों को बंद करा दिया. इस कार्रवाई से नाराज मेडिकल स्टोर संचालकों ने विरोधस्वरूप शहर की सभी दुकानों के शटर गिरा दिए और यूनियन ने इसे प्रशासनिक दबाव बताते हुए पूरे जिले में दुकानें बंद करने की चेतावनी दी. वहीं प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई जनता को सुरक्षित और सही दवा उपलब्ध कराने के लिए की जा रही है.