
Diwali 2024 Date: इस वर्ष दिवाली की तारीख (Diwali Date) को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच इस समस्या को दूर करने के लिए 30 सितंबर यानी सोमवार को इंदौर में धर्माचार्यों की बैठक हुई, जिसमें गहन चिंतन और तर्क-वितर्क के बाद यह निष्कर्ष निकला कि दिवाली 31 अक्टूबर की जगह 1 नवंबर को मनाई जाएगी.
मध्य प्रदेश ज्योतिष परिषद के वैदिक अध्यक्ष आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा ने बैठक के बाद एनडीटीवी से खास बातचीत में बताया कि ऐसी स्थिति अलग-अलग पंचांगों के कारण बनी है. देखा जाए, तो देश में दो प्रकार के पंचांग निकलते हैं, जिन्हें कंप्यूटराइज और ट्रेडिशनल पंचांग के तौर पर जाना जाता है. हालांकि, इस वर्ष 31 अक्टूबर के साथ एक नवंबर की तारीख को भी दीप पर्व मनाने की बात सामने आ रही थी. वहीं, सोमवार यानी 30 सितंबर को हुई बैठक में यह निश्चित हुआ कि दीप पर्व यानी लक्ष्मी पूजन एक नवंबर को ही मनाए जाने के योग्य है.
इसलिए एक नवंबर
एक नवंबर को प्रशस्त नक्षत्र के साथ आयुष्मान और प्रीति योग भी रहेगा. इसी के चलते एक नवंबर तारीख दिवाली के लिए देशभर में मनाने के लिए योग्य बताई गई. इस मामले में मध्य प्रदेश वैदिक ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा ने बताया कि इस वर्ष लक्ष्मी पूजन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. आज शासकीय संस्कृत महाविद्यालय में शहर के विद्वानों और ज्योतिषियों का एक दल इस संबंध में अपने विचार व्यक्त करने के लिए यहां उपस्थित हुआ. इस वर्ष लक्ष्मी पूजन के लिए दो दिन है. 31 अक्टूबर और 1 नवंबर. ऐसी स्थिति विभिन्न पंचांग की वजह से निर्मित हुई है. दरअसल, देशभर में दो प्रकार के पंचांग निकलते हैं. इसमें एक कंप्यूटराइज्ड और एक ट्रेडिशनल पंचांग है. कंप्यूटराइज पंचांग की संख्या 150 से अधिक है, वहीं ट्रेडिशनल की संख्या मात्र 5 या 7 है. दोनों पंचांगों में अमावस्या तिथि प्रदोष काल में व्याप्त है. धर्म शास्त्रों का कहना है कि प्रदोष काल के अंदर यदि अमावस्या तिथि हो, तो उस दिन दीप पर्व यानी लक्ष्मी पूजन मनाया जाना चाहिए.
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1 नवंबर को दीप पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत
इस वर्ष दोनों दिन 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को सभी पंचांगों में दीप पर्व का आदेश किया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि यदि दो दिन प्रदोष काल में दीप पर्व हो, तो दूसरे दिन अर्थात एक नवंबर को दीप पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है. एक नवंबर को शुक्रवार है और प्रशस्त नक्षत्र, आयुष्मान और प्रीति योग भी है. ऐसी स्थिति में धर्म शास्त्रों के मतानुसार और तिथि निर्णय के मतानुसार एक नवंबर को पूरे देश के अंदर लक्ष्मी पूजन अपनी कुल परंपरा के अनुसार मनाया जाना चाहिए.
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