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एमपी में कांग्रेस के MLA मोहन सरकार से खफा ! विधायक निधि को लेकर PCC चीफ ने CM को लिखा पत्र

Jitu Patwari wrote a letter to CM Mohan Yadav : मध्य प्रदेश में क्या बीजेपी सरकार कांग्रेस के विधायकों के साथ भेदभाव कर रही है. आखिर जीतू पटवारी ने सरकार पर क्यों आरोप लगाया है. और क्या मांग की है चलिए जानते हैं.

एमपी में कांग्रेस के MLA मोहन सरकार से खफा ! विधायक निधि को लेकर PCC चीफ ने CM को लिखा पत्र
फाइल फोटो.

MP Politics : मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों को सरकार से मिलने वाली विधायक निधि की राशि बीजेपी के विधायकों की अपेक्षा कम बताई जा रही है. इस बात को लेकर कांग्रेस के सभी विधायकों में कहीं न कहीं खीज भी देखी जा सकती है. वहीं, पीसीसी चीफ ने इस मसले पर बयान जारी किया है. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य सरकार पर कांग्रेस विधायकों को विकास निधि दिए जाने में भेदभाव बरतने का आरोप लगाते हुए सीएम मोहन यादव को पत्र लिखा है.

'विकास निधि से क्यों वंचित रखा जा रहा'

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने मुख्यमंत्री यादव को पत्र लिखते हुए कहा, "राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में विकास निधि के आवंटन में गंभीर भेदभाव किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड़ रुपये की निधि प्रदान की जा रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रों को इस विकास निधि से वंचित रखा जा रहा है. यह न केवल जनप्रतिनिधियों के साथ अन्याय है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादाओं का भी खुला उल्लंघन है. "

संकीर्ण राजनीति करने का आरोप

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि सरकार पक्षपातपूर्ण संकीर्ण राजनीति कर रही है. कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में जनता भी निवास करती है, जो करदाता हैं और जिन्हें समान रूप से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों का लाभ मिलना चाहिए. यदि एक लोकतांत्रिक सरकार ही अपने दायित्वों का निर्वहन भेदभाव के आधार पर करने लगे, तो इससे जनता का विश्वास प्रणाली से उठ जाएगा.

'30-40 % हिस्सा पहले ही भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में चला जाता'

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने आरोप लगाया है कि भाजपा के विधायकों को मिलने वाली इस निधि का 30-40 प्रतिशत हिस्सा पहले ही भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में चला जाता है. इसके बाद भी नौकरशाही और ठेकेदारी के स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार और कमीशन का बोलबाला है, जिससे जनता के विकास के नाम पर स्वीकृत धन का बहुत कम अंश वास्तविक कार्यों में लगता है.

'यह बेहद चिंताजनक और निंदनीय'

उन्होंने आगे कहा, "यदि मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाए तो एक लाख रुपये में से करीब 65 से 70 हजार रुपये भ्रष्टाचार और कमीशन में चले जाते हैं और केवल 30-35 प्रतिशत राशि विकास के नाम पर खर्च होती है. यह बेहद चिंताजनक और निंदनीय स्थिति है, जिससे मध्य प्रदेश की छवि देश के सबसे भ्रष्ट राज्य के रूप में बन रही है. "

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मांग : 15 करोड़ रुपये की विकास निधि दी जाए

पटवारी ने मांग की है कि सभी विधायकों को, चाहे वे किसी भी दल से हों, समान रूप से 15 करोड़ रुपये की विकास निधि प्रदान की जाए. निधि के आवंटन और व्यय की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी पर रोक लगाई जा सके. जिन अधिकारियों और ठेकेदारों पर कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उनकी निष्पक्ष जांच कर कठोर कार्रवाई की जाए. कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी विकास निधि दिए जाने में भेदभाव बरते जाने का आरोप लगाया. यह बात सदन में भी कही है. मुख्यमंत्री यादव ने भाजपा विधायकों को आश्वासन दिया था.

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