
Dharti Aaba Janbhagidari Abhiyan: धरती आबा जनभागीदारी अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन में विदिशा जिला पूरे मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा है. यह उपलब्धि प्रशासनिक दक्षता, नवाचार, समन्वय और जनभागीदारी की शानदार मिसाल है. नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किए गए मूल्यांकन के बाद जारी सूची में विदिशा ने प्रदेश के सभी जिलों को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान प्राप्त किया है. यह परिणाम न केवल जिले के प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे विदिशा के नागरिकों के लिए गर्व का क्षण है.
कलेक्टर अंशुल गुप्ता के नवाचार बने सफलता की कुंजी
विदिशा जिले के युवा और नवाचारी कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने धरती आबा जनभागीदारी अभियान को एक जन आंदोलन का रूप दिया. उन्होंने इसे केवल सरकारी औपचारिकता नहीं, बल्कि जनजातीय समाज के सशक्तिकरण का अवसर माना.
अभियान के दौरान क्या हुआ?
- जिले के 86 चिन्हित ग्रामों को प्राथमिकता दी गई, जिनमें अधिकांश अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र थे.
- हर गांव में प्रशासनिक टीमों ने घर-घर जाकर पात्र हितग्राहियों की पहचान की.
- उन्हें शासन की व्यक्तिगत और सामूहिक हितलाभकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य युद्धस्तर पर किया गया.
- डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम से योजनाओं के लाभ वितरण की वास्तविक समय पर निगरानी की गई.
कलेक्टर गुप्ता की पहल पर प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं, महिला स्व-सहायता समूहों और ग्राम स्तर के कर्मचारियों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि कोई भी पात्र व्यक्ति योजनाओं से वंचित न रहे.
नीति आयोग की रिपोर्ट में विदिशा नंबर वन
नीति आयोग ने धरती आबा जनभागीदारी अभियान के तहत विभिन्न सूचकों पर सभी जिलों का मूल्यांकन किया. इनमें जनभागीदारी, योजना क्रियान्वयन, जनजातीय हितग्राहियों की संख्या, नवाचार, और सतत निगरानी जैसे पहलू शामिल थे. इस मूल्यांकन में विदिशा जिला हर पैरामीटर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रदेश में नंबर वन रहा. नीति आयोग ने विशेष रूप से विदिशा प्रशासन के नवाचारों और प्रभावी मॉनिटरिंग सिस्टम की प्रशंसा की है.
कलेक्टर अंशुल गुप्ता का विजनरी नेतृत्व
कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने कहा कि “धरती आबा जनभागीदारी अभियान का उद्देश्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि जनजातीय समाज को आत्मनिर्भर बनाना था. हमारी पूरी टीम ने गांव-गांव जाकर यह सुनिश्चित किया कि हर पात्र व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ मिले. यह सफलता पूरे जिले के अधिकारियों, कर्मचारियों और ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है.” उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान ने जनजातीय समाज में सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की नई ऊर्जा भरी है.
अभियान से जुड़े प्रमुख कार्य और उपलब्धियां
- 86 ग्रामों में सर्वे कार्य पूर्ण: जनजातीय परिवारों की सटीक जानकारी जुटाई गई.
- 5,000 से अधिक हितग्राही लाभान्वित: शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पोषण और रोजगार योजनाओं से जोड़ा गया.
- जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी: ग्राम पंचायतों से लेकर जिला स्तर तक सभी ने सक्रिय भूमिका निभाई.
- डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू: हर योजना के लाभार्थी की स्थिति ऑनलाइन मॉनिटर की गई.
- नवाचारों की पहचान: ग्राम स्तर पर “जन सहभागिता दिवस” और “आत्मनिर्भर ग्राम” जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए.
विदिशा बना प्रदेश के लिए रोल मॉडल
धरती आबा जनभागीदारी अभियान में विदिशा की सफलता अब पूरे मध्यप्रदेश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है. राज्य स्तर पर अब विदिशा मॉडल को अन्य जिलों में लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि जनजातीय समाज के उत्थान में समान परिणाम मिल सकें. यह पहल यह साबित करती है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति, जनसहयोग और तकनीकी नवाचार एक साथ जुड़ते हैं, तो परिवर्तन निश्चित है.
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