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Banana Farmers: खून के आंसू रोने को मजबूर हुए किसान, अपने ही हाथों उखाड़कर फेंक रहे केले की फसल !

Dhar News: धरमपुरी क्षेत्र के ग्राम हतनावर से आई तस्वीरें किसी का भी दिल पसीजने को मजबूर कर देंगी, जहां बनाना फॉर्मिंग से जुड़े किसानों ने बाजार में कम कीमतों के चलते अपनी महीनों की मेहनत, पसीने और सपनों से सिंची हुई तैयार फसलों को अपने ही हाथों से खेतों में उखाड़कर फेंक दिया है.

Banana Farmers: खून के आंसू रोने को मजबूर हुए किसान, अपने ही हाथों उखाड़कर फेंक रहे केले की फसल !
DHAR BANANA FARMERS IN TEARS UPROOTING THEIR CROPS

Banana Farming: मध्य प्रदेश के धार जिले में केले की खेती से जुड़े किसान जार-जार है. वजह केला किसानों को लागत से मिल रही कीमत है. खेतों में खड़ी केलों की फसलों को बाजार में मिल रही कम कीमतों से परेशान किसानों के हौसले इस कदर टूट चुके हैं कि वो अब अपने ही हाथों से खेतों में लगे फसलों को उखाड़कर फेंकने को मजबूर हैं.

धरमपुरी क्षेत्र के ग्राम हतनावर से आई तस्वीरें किसी का भी दिल पसीजने को मजबूर कर देंगी, जहां बनाना फॉर्मिंग से जुड़े किसानों ने बाजार में कम कीमतों के चलते अपनी महीनों की मेहनत, पसीने और सपनों से सिंची हुई तैयार फसलों को अपने ही हाथों से खेतों में उखाड़कर फेंक दिया है.

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किसानों की उम्मीदों, संघर्षों और भविष्य पर पड़ा गहरा प्रहार

धरमपुरी क्षेत्र के किसान सत्यम दरबार बताते हैं कि उन्होंने 17 बीघा जमीन में केले की फसल लगाई थी, जिस पर लाखों रुपए की लागत आई थी, लेकिन बाजार में उन केलों की मिल रही कीम लागत तक नहीं निकाल रही थी. किसान के मुताबिक बाजार में व्यापारी आने को तैयार नहीं है. अभी जो भाव मिल रहा था, वह अपमान जैसा महसूस हो रहा है.

5,000 पौधों को हाथों से उखाड़कर किसान को फेंकना पड़ा

किसान यशपाल सोलंकी की कहानी भी उतनी ही कचोटने वाली है. यशलाल ने 15 से 16 हजार केले के पौधे लगाए थे, लेकिन उचित दाम नहीं मिलने से मजबूरी में उन्हें करीब 5,000 पौधों को अपने ही हाथों से उखाड़कर फेंकना पड़ा. यशपाल बताते हैं कि उनकी पूरी फसल खड़ी थी, लेकिन खरीदने कोई नहीं आया, उनका पैसा और मेहनत सब बर्बाद हो गया.

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आंखों में आंसुओं को दबाए धार जिले के केला किसान ने दर्द साझा करते हुए कहा कि, इतना पैसा, समय और मेहनत करने के बाद भी अगर फसल खेत में सड़ जाए, तो किसान और क्या करे? सत्यम की आवाज़ में लागत और कमाई की बीच छूपा दर्द साफ महसूस किया जा सकता है.

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किसानों ने कहा, नुकसान सिर्फ आर्थिक नहीं, मानसिक भी है

गौरतलब है यह व्यथा सिर्फ दो किसानों की नहीं, पूरे क्षेत्र के किसानों की यही दशा है. गाँव में हर तरफ निराशा फैल गई है. खेत खाली हो रहे हैं, लेकिन किसानों के मन और जेब दोनों खाली हो चुके हैं. कई किसानों ने कहा कि यह नुकसान सिर्फ आर्थिक नहीं, मानसिक भी है, क्योंकि जिन पौधों को उन्होंने बच्चों की तरह पाला था, उन्हें खुद के हाथों नष्ट करना पड़ा है,

किसानों की अपील, मुआवजा देकर सरकार संकट से निकाले

रिपोर्ट के मुताबिक केले की कम कीमतों से हैरान-परेशान किसान मजबूरी में अब दूसरी फसल की तैयारी में जुटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके मन में एक ही उम्मीद बची कि सरकार नुकसान का आकलन करे और जल्द से जल्द मुआवजा देकर उन्हें इस आर्थिक संकट से बाहर निकाले.

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