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This Article is From Sep 27, 2023

Dewas: महिला आरक्षण का मजाक बनाते पंचायत उपाध्यक्ष पति का Video Viral

पंचायतों में अधिकांश महिला सरपचों का काम सरपंच पति, प्रतिनिधि बनकर संभाल रहे हैं. ग्रामीणों ने जिसे चुनकर अपना सरपंच बनाया है, वह कभी जनता के बीच में ही नहीं जाती हैं जबकि शासन के सख्त निर्देश हैं कि महिला प्रतिनिधि ही कार्य संभालेंगी, पति या परिवार का अन्य कोई पुरुष हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन ऐसा जमीन पर नहीं हो रहा है.

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Dewas: महिला आरक्षण का मजाक बनाते पंचायत उपाध्यक्ष पति का Video Viral
इस पर जिम्मेदार अधिकारियों ध्यान नहीं दे रहे हैं जिससे महिला सशक्तिकरण का मजाक बन रहा है. पंचायतों में अधिकांश महिला सरपचों का काम सरपंच पति, प्रतिनिधि बनकर संभाल रहे हैं
देवास:

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (MP) में राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को निकाय चुनाव (Local Body Election) में पचास प्रतिशत आरक्षण (Women Reservation) दिया गया है. लेकिन महिलाओं के पद पर उनके पति या उनके परिवार के पुरुष सदस्य सारी कमान अपने पास रखते हैं. ऐसे में महिलाएं सिर्फ कठपुतली बनकर ही रह जाती हैं.

महिला उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे मिले उनके पति

ऐसा ही मामला जनपद पंचायत सोनकच्छ में सामने आया है. यहां जनपद पंचायत उपाध्यक्ष का पद कागजों पर तो कृष्ण बाई धाकड़ के नाम है, लेकिन ऑफिस में उनकी उपाध्यक्ष वाली कुर्सी पर उनके पति मदन धाकड़ बैठते हैं. मदन के केवल कुर्सी पर बैठते हैं बल्कि लोगों की समस्याएं भी सुनते हैं. बताया जा रहा है कि ये अपने साथी कर्मचारियों पर अपनी पत्नी के पद का भी रौब भी झाड़ते हैं.

सुन रहे थे समस्या

उपाध्यक्ष महिला के पति कर्मचारियों को निर्देश देते हैं और कर्मचारी इनके निर्देशों का पालन भी करते हैं. सोमवार को भी वह जनपद उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे थे और वहां आने वाले लोगों की समस्याएं सुन रहे थे. बता दें कि उनके पास कोई पद भी नहीं है फिर भे ये जनप्रतिनिधि के तौर पर लोगों की समस्याएं सुन रहे थे. बताया जा रहा है कि इनके कुछ समर्थक भी इनके साथ बैठते हैं. 

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अधिकारी का नहीं है इस पर कोई ध्यान

इस पर जिम्मेदार अधिकारियों ध्यान नहीं दे रहे हैं. जिससे महिला आरक्षण का मजाक बन रहा है. पंचायतों में अधिकांश महिला सरपचों का काम सरपंच पति, प्रतिनिधि बनकर संभाल रहे हैं. ग्रामीणों ने जिसे चुनकर अपना सरपंच बनाया है, वह कभी जनता के बीच में नहीं जाती हैं जबकि शासन के सख्त निर्देश हैं कि महिला प्रतिनिधि ही अपना पद और कार्य संभालेंगी, पति या परिवार का अन्य कोई पुरुष हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है.

सीईओ ने दी हिदायत

इस मामले में सीइओ, जनपद पंचायत से पूछा गया तो उन्होंने भी उपाध्यक्ष पति का बचाव करते हुए कहा कि उपाध्यक्ष पति कुर्सी पर कब आकर बैठ गए, इसका पता नहीं चला, लेकिन जानकारी मिलते ही उन्हें आगे से ऐसा न करने की हिदायत दी गई है. अधिकारी के इस तरह के बयान से साफ लग रहा है कि वो उपाध्यक्ष पति का बचाव कर रहे हैं.

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