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सरकारी जमीन पर 'जमातखाना'! ₹20 करोड़ की जमीन पर हो रहा था कब्जा, कलेक्टर ने रुकवाया काम

देवास में सरकारी जमीन पर Jamaatkhana निर्माण का मामला सामने आया है. करीब ₹20 करोड़ की नजूल भूमि पर Manglik Bhavan के नाम पर अवैध कब्जे की कोशिश हुई. Collector Action Dewas के बाद SIT Investigation शुरू की गई.

सरकारी जमीन पर 'जमातखाना'! ₹20 करोड़ की जमीन पर हो रहा था कब्जा, कलेक्टर ने रुकवाया काम

MP Illegal Construction Case: देवास में सरकारी जमीन पर कब्जे की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. नगर निगम के वार्ड 17, अनवटपुरा (रसूलपुर के आगे भोपाल बायपास) में करीब 8 बीघा नजूल रजिस्टर्ड शासकीय जमीन पर ‘मांगलिक भवन' के नाम पर जमातखाना बनाने का मामला सामने आया. करीब ₹20 करोड़ मूल्य की इस जमीन पर निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन धर्म जागरण मंच की शिकायत के बाद कलेक्टर ने तत्काल एक्शन लेते हुए काम रुकवा दिया.

मांगलिक भवन के नाम पर शुरू हुआ निर्माण

यह पूरा मामला तब सामने आया जब नगर निगम ने मांगलिक भवन के नाम पर ₹12 लाख का टेंडर जारी किया और बाउंड्रीवॉल बनाने का काम शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों को जब इस काम की असलियत का पता चला तो उन्होंने बताया कि यहां मांगलिक भवन नहीं, बल्कि जमातखाना बनाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस निर्माण कार्य की सिफारिश पार्षद इरफान अली ने विधायक से करवाई थी और ठेका उनके करीबी ठेकेदार को मिला.

धर्म जागरण मंच की शिकायत से खुला मामला

जैसे ही यह जानकारी सामने आई, धर्म जागरण मंच के संयोजक दिनेश राठौर ने कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपी. उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम इंजीनियरों, पार्षद और ठेकेदार की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर जमातखाना बनाने की कोशिश की जा रही है. शिकायत में यह भी बताया गया कि जमीन के बीच से गुजरने वाले प्राकृतिक नाले को भी पाटा जा रहा था, जिससे पर्यावरणीय खतरा बढ़ गया था.

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कलेक्टर ने लिया त्वरित एक्शन

शिकायत मिलते ही देवास कलेक्टर ने तत्काल संज्ञान लिया और मौके पर जांच टीम भेजी. जांच में पाया गया कि निर्माण कार्य वाकई में अवैध तरीके से चल रहा है. इसके बाद कलेक्टर ने तुरंत निर्माण कार्य रुकवाने के आदेश दिए और पूरे मामले की गहन जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित कर दी. उन्होंने साफ कहा कि “अब कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा.”

जांच के दायरे में पार्षद से लेकर अधिकारी

जांच में अब पार्षद इरफान अली, ठेकेदार, नगर निगम इंजीनियर और अन्य संबंधित अधिकारियों की भूमिका की पड़ताल की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी, राजनीतिक सिफारिश और सरकारी जमीन पर कब्जे की कोशिश जैसे कई बिंदु जांच के मुख्य केंद्र में हैं. प्रशासन का मानना है कि सख्त कार्रवाई से इस मामले में जुड़े कई बड़े नामों का पर्दाफाश हो सकता है.

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