
Damoh Doctor Death: दमोह जिले के मिशन अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम की डिग्री भी फर्जी निकली है. उसने अपनी डिग्री पुडुचेरी विश्वविद्यालय (Pondicherry University) की बताई थी. उसके खिलाफ मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कोतवाली पुलिस में मामला दर्ज कराया है. आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच चुका है. आरोप है कि उसने पिछले डेढ़ महीने में 15 ऐसी दिल की सर्जरी कीं, जिसमें से सात मरीजों की मौत हो गई. आरोपी पिछले 18 वर्षों से डॉक्टर बना हुआ था और सर्जरी करता आ रहा था. अब आरोपी के कारनामों की परत खुल रही है.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुकेश कुमार जैन ने बताया कि जब उसने अपनी डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (Doctor of Medicine) की डिग्री दिखाई तो वह पहली ही नजर में संदिग्ध लगी. डिग्री पर पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के हस्ताक्षर भी थे, जो उस समय यूनिवर्सिटी के पदेन वाइस चांसलर थे. डिग्री पर रजिस्ट्रेशन नंबर भी चेक किया तो इस नाम से कोई भी डिग्री जारी नहीं की गई थी. आरोपी ने जो डिग्री दिखाई वह नरेंद्र जॉन केम के नाम की है. उसने हामिद अंसारी के हस्ताक्षर मिसमैच करके डिग्री बनवाई. फर्जी डिग्री मिलने के बाद आरोपी के खिलाफ फर्जी डिग्री के मामले में भी केस दर्ज कराया.

पांच दिनों की पुलिस रिमांड पर आरोपी
फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम को 8 अप्रैल को अदालत ने 5 दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया.सरकारी वकील सतीश कपास्या का कहना है कि उसके पास कोई डिग्री नहीं थी, लेकिन उसने अपने आप को डॉक्टर बता कर फर्जी ऑपरेशन किए हैं, जिससे 7 लोगों की मौत हुई है.
साल 2006 में पता चल गया था फर्जी डिग्री काट
एनडीटीवी की पड़ताल में सामने आया कि मिशन अस्पताल - इस फर्जी सर्जन का पहला मिशन नहीं था. अगस्त 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी डॉक्टर ने किया था. उस ऑपरेशन के बाद 8 मरीजों की मौत हुई थी. तब भी जांच में यह सामने आया कि उसके पास सिर्फ एक एमबीबीएस डिग्री है – और वो भी फर्जी! यानी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन.जॉन कैम बीते 18 साल से मौत का खेल खेल रहा है. ऐसे में सवाल सिर्फ एक शख्स का नहीं – सवाल पूरे सिस्टम का है. अस्पताल की जिम्मेदारी, मेडिकल काउंसिल की लापरवाही, और उन परिवारों का दर्द – जिन्हें कभी किसी ‘डॉक्टर' पर शक नहीं हुआ. NDTV की ये पड़ताल जारी रहेगी – जब तक जवाब नहीं मिलते, और जब तक इंसाफ नहीं होता.