Golden Book of World Records: भारत का संविधान (Constitution of India) अभी तक लगभग सभी भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है, लेकिन अब भारत के संविधान को छंद के रूप में लिखा गया है. यह कृति प्रकाशित होते ही गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) में शामिल हो गयी है. भारत के संविधान को देश के 22 प्रदेशों के 142 कवियों ने मिलकर छंद बद्ध करके कविता का स्वरूप दिया है. इस ग्रंथ के निर्माण में मध्य प्रदेश के 10 तथा जबलपुर के 7 कवियों का उल्लेखनीय योगदान रहा है. इसमें संविधान के मूल भावों को यथावत रखते हुए दोहा, रोला एवं 24 प्रकार के छंदों का समावेश किया गया है.
जबलपुर के कौन-कौन से साहित्यकार शामिल थे?
इस ग्रंथ की रचना में मध्य प्रदेश के 10 और जबलपुर से सात रचनाकारों का योगदान उल्लेखनीय है. जबलपुर से इस ग्रंथ में छंद साधकों में संजीव वर्मा 'सलिल', अनुराधा पारे 'अवि', सुनीता परसाई 'चारू', आशा जैन, भारती पाराशर, अनुराधा गर्ग, कृष्णा राजपूत शामिल हैं.
साहित्यकार अनुराधा पारे ने NDTV से चर्चा करते हुए कहा कि एक वर्ष तक यह रचना की गई है. संपादक मंडल के सदस्य संविधान के अनुच्छेद के कुछ अंश हमें दे दिया करते थे. हम सब उसका अनुवाद छंद रूप में करके वापस व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा करते थे. तब उसका विश्लेषण, शुद्धियां और सरलता, लयबद्धता की जांच की जाती थी. कई बार सुधार करने और अशुद्धियों को दूर करने के बाद यह कृति निर्मित हो पाई है. हम सब वही काम करते थे जो हमें सौंपा गया था.
संपादन किसने किया है?
इस ग्रंथ का सम्पादन रायपुर निवासी रामनाथ साहू ननकी ने किया है. ओमप्रकाश मृदुल, डॉ मधु शंकधर, माधुरी डडसेना द्वारा बिलासा छंद महालय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से छंद बद्ध काव्य सृजन के लिए प्रशिक्षण वर्ष 2019 से नियमित दिया जा रहा था.
विमोचन कहां हुआ?
इस ग्रंथ का विमोचन पद्मश्री डॉक्टर श्याम सिंह 'शशि' जी के मुख्य आतिथ्य में डॉक्टर शकुंतला कालरा डॉक्टर रमा सिंह, पंकज शर्मा, डॉक्टर संतोष खन्ना (पूर्व न्यायाधीश), डॉक्टर चेतन आनंद की उपस्थिति में हिंदी भवन मंडी हाउस नई दिल्ली में संपन्न हुआ था. इस अवसर पर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के भारतीय प्रमुख आलोक कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे.
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