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Madhya Pradesh: सरकारी स्कूलों की हालत गंभीर, 600 से अधिक शालाओं में अधर में लटकी शिक्षा व्यवस्था

Government Schools of MP: एमपी के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में 620 सरकारी स्कूलों की जर्जर है. इसमें 508 प्राथमिक शाला भवन और 112 मिडिल स्कूल शामिल हैं. जिले के कद्दावर नेताओं के गृहक्षेत्र में बुनियादी शिक्षा के लिए नौनिहाल जूझ रहे हैं. 

Madhya Pradesh: सरकारी स्कूलों की हालत गंभीर, 600 से अधिक शालाओं में अधर में लटकी शिक्षा व्यवस्था
गंभीर हालत में है सरकारी स्कूल

Schools in Bad Condition: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी (Dindori) जिले में 620 सरकारी स्कूल (Government Schools) भवनों की स्थिति जर्जर बनी हुई है, जिसमें प्राथमिक शाला (Primary Schools) भवनों की संख्या 508 है, तो वहीं 112 मिडिल स्कूल (Middle Schools) भवनों की स्थिति जर्जर है. इतना ही नहीं, जिले में 137 ऐसे स्कूल भवन भी हैं जो पूरी तरह से खंडहर हो चुके हैं. इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र (State Education Centre) भोपाल से नवीन भवन की मांग लंबे समय से की जा रही है.

ये आंकड़े NDTV ने जिला शिक्षा केंद्र डिंडौरी से हासिल किये हैं, जो आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. शहपुरा विधानसभा (Shahpura Vidhan Sabha) से बीजेपी विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के गृहग्राम रूसा के नर्मदा टोला में प्राथमिक शाला का भवन खंडहर बन चुका है. लिहाजा, स्कूल का संचालन पूर्व सरपंच के घर में किया जा रहा है. 

एक ही कमरे में चलाना पड़ रहा स्कूल

एक ही कमरे में चलाना पड़ रहा स्कूल

नामी नेता भी नहीं कर रहे कुछ

करंजिया विकासखंड का रूसा गांव न सिर्फ शहपुरा विधानसभा से बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे का गृहग्राम है, बल्कि डिंडोरी विधानसभा से लगातार चार बार जीत दर्ज़ करने वाले कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का गृहक्षेत्र भी है. रूसा से करीब 6 किलोमीटर दूरी पर ही कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का गृहग्राम बरनई है और इन दोनों माननीय के गृहक्षेत्र में ही गरीब आदिवासी बच्चे बुनियादी शिक्षा के लिए मोहताज हैं. नर्मदा टोला में तीन प्राथमिक शाला भवन हैं और तीनों भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, जो किसी भी वक्त धराशाई हो सकते हैं. 

डिंडौरी जिले में सैकड़ों की तादाद में सरकारी स्कूल भवनों की हालत जर्जर है, तो कई स्कूल भवन खंडहर में तबदील हो जाने के कारण स्कूल का संचालन ग्रामीणों के घरों में या अन्य सरकारी भवनों में किया जा रहा है. ऐसे में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने स्कूल चलें हम,सब पढ़ें सब बढ़ें,सर्व शिक्षा अभियान जैसे तमाम सरकारी दावे कागजों में सिमटकर रह गए हैं.

एक कमरे में पढ़ रहे पहली से पांचवी तक के विद्यार्थी

गांव की पूर्व सरपंच वर्षा ने स्कूल के संचालन के लिए अपने घर का एक कमरा दे दिया, जिसमें करीब एक साल से प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है. प्राथमिक शाला नर्मदा टोला की दर्ज संख्या 17 है और एक कमरे में ही पहली से लेकर पांचवी कक्षा का संचालन किया जा रहा है. स्कूल भवन नहीं है, तो ऐसे में शौचालय व मैदान समेत अन्य सुविधाओं की बात करना बेमानी होगी... स्कूल में पदस्थ शिक्षिका निर्मला विश्वकर्मा ने बताया कि पिछले सत्र में जब स्कूल भवन की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई थी, तब इस स्कूल के बच्चों को गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर प्राथमिक शाला रहंगी में शिफ्ट करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निर्देश दिए थे.

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अधिकारियों ने बताया अपना दर्द

आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में पहली से लेकर आठवीं तक के स्कूलों के संचालन की तमाम जिम्मेदारी जिला शिक्षा केंद्र सर्व शिक्षा अभियान विभाग की होती है. नौंवी से बारहवीं क्लास तक के स्कूलों की समस्त जवाबदारी जनजातीय विभाग के पास होती है. जिला शिक्षाधिकारी रती लाल से जब हमने जिले में बड़ी तादात में जर्जर हो चुके भवनों में स्कूल का संचालन किये जाने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि पहली से लेकर आठवीं क्लास तक के स्कूलों की संपूर्ण जिम्मेदारी सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक की होती है और उन्हें इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, ताकि नौनिहाल बुनियादी शिक्षा अच्छे से हासिल कर सकें.

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