Chit Fund Scam Case: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सहित देश के कई राज्यों में सैकड़ों करोड़ का चिटफंड घोटाला (Chit Fund Scam) करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड (Mastermind) और 35 हजार का इनामी रवि शंकर तिवारी गिरफ्तार किया गया है. ललितपुर पुलिस (Lalitpur Police) ने दो करोड़ से ज्यादा की गाड़ियां भी बरामद की हैं. गिरोह के आठ आरोपी पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पुलिस की गिरफ्त में आए रवि शंकर तिवारी ने अपने साथियों के साथ बीते एक दशक में एलयूसीसी के अलावा कई कंपनियां बनाईं और लोगों को रकम जमा कर कुछ ही समय में दोगुना देने का वादा किया. इस गिरोह ने हजारों लोगों को बेवकूफ बनाया और उनके करोड़ों की रकम हजम कर ली.
इस टीम ने पकड़ा
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले की थाना कोतवाली पुलिस (Thana Kotwali Police), साइबर क्राइम थाना (Cyber Crime Thana) और स्वाट टीम (SWAT Team) ने एलयूसीसी (LUCC) नामक चिटफंड कंपनी बनाकर षड्यंत्र कर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लोगों के साथ हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मास्टर माइंड और 35 हजार रुपये के इनामी अभियुक्त को गिरफ्तार किया. अभियुक्त के कब्जे से दो करोड़ से अधिक की महंगी गाड़ियां एवं कम्पनी से सम्बन्धित महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किये गये.
थाना कोतवाली पुलिस मामला दर्ज कर आठ अभियुक्तों नीरज जैन, जगत सिंह, आलोक जैन, राहुल तिवारी, रामनरेश साहू, द्वारिका प्रसाद झां, सुरेन्द्र पाल सिंह, महेश प्रसाद रजक को पूर्व में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है. मुख्य आरोपी रवि शंकर तिवारी पर 35 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया. सर्विलांस, वैज्ञानिक साक्ष्य और अन्य एकत्रित साक्ष्यों की मदद से अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया.
आरोपी ने क्या कहा?
आरोपी रविशंकर तिवारी ने पूछताछ के दौरान बताया कि 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान वह आलोक जैन के माध्यम से एडवांटेज नामक कम्पनी से जुड़ा था. फिर उसी कंपनी के माध्यम से ललितपुर में लोगों को लुभावनी, लालच भरी स्कीमें बताकर जोड़ना शुरू कर दिया. कमीशन बढ़ने के साथ उसका लालच बढ़ने लगा.
रवि शंकर तिवारी की मानें तो समीर अग्रवाल ने एलयूसीसी नाम से एक अलग चिटफंड कम्पनी बनवाई. उसने जानबूझकर इस कंपनी में अलग-अलग राज्यों के लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड का दुरुपयोग करके इस कंपनी के डायरेक्टर और अन्य महत्वपूर्ण पद दे दिये. लेकिन पूरी कंपनी का संचालन समीर अग्रवाल और उसके मुम्बई, इन्दौर, लखनऊ और अन्य राज्यों और जिलों से जुड़े हुए लोगों द्वारा किया जाता था जिनमें रविशंकर तिवारी के अलावा आलोक जैन और अन्य शामिल थे. सभी मंहगे- मंहगे होटलों में सेमिनार करते थे. वहां पर लोगों को लालच देकर विदेश में ले जाकर घुमाते भी थे, ताकि लोगों को लगे कि कम्पनी फर्जी नहीं है.
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