विज्ञापन
This Article is From Jan 15, 2024

लोहे का भारी-भरकम फर्नीचर उतारते बच्चे और आराम फरमाते गुरू जी! सरकारी स्कूल की शर्मनाक तस्वीरें

सवाल यह है कि स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चों से लोहे की बेंच लोडिंग वाहन से उतरवाना और उन्हें रूम तक ले जाने में अगर कोई बच्चा चोटिल हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा.

लोहे का भारी-भरकम फर्नीचर उतारते बच्चे और आराम फरमाते गुरू जी! सरकारी स्कूल की शर्मनाक तस्वीरें
सरकारी स्कूल में फर्नीचर ढोते मासूम बच्चे

Burhanpur News : बुरहानपुर जिले के आदिवासी ब्लॉक खकनार के अंबाडा संकुल के हिंगना रैयत गांव की नवीन माध्यमिक शाला का एक वीडियो और कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. स्कूल में आए फर्नीचर से भरे मिनी ट्रक से लोहे के फर्नीचर को मजदूरों के बजाय स्कूली बच्चों से खाली कराए जाने का मामला सामने आया है. तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि स्कूल में आए लोडिंग वाहन से स्कूली बच्चे लोहे की बेंच और टेबल नीचे उतार रहे हैं जबकि यह काम मजदूरों से कराया जाना चाहिए.

फर्नीचर उतारने का यह काम स्कूली बच्चों से कराया जा रहा है. मामले के मीडिया में आने के बाद आदिवासी विकास विभाग के आला अफसर अब दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं. हालांकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों से काम कराने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी जिले में श्रमदान के नाम पर बच्चों से रंगाई, झाड़ू लगवाना और बर्तन साफ करवाने जैसे मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर से दोषी शिक्षकों पर ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से अब ऐसे मामले और बढ़ते जा रहे हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

यह भी पढ़ें : MP की 'गंगा' का हाल बेहाल: गंदगी से बजबजा रही बेतवा में डुबकी लगाने को मजबूर श्रद्धालु

क्या है पूरा मामला?

जिले के अंबाडा संकुल के अंतर्गत आने वाली नवीन माध्यमिक शाला हिंगना रैयत में छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए शासन की ओर से लोहे के बेंच उपलब्ध करवाए गए हैं, जिसे लोडिंग वाहन से स्कूल परिसर पहुंचाया गया. लेकिन बेंच और टेबल को लोडिंग वाहन से उतारकर कक्षाओं में रखने के लिए जहां मजदूरों का इस्तेमाल होना चाहिए, वहां स्कूल में पढ़ने वाले मासूम छात्र-छात्राओं से मजदूरी करवाई गई, जिसका बिल भी स्कूल की ओर से या विभाग की ओर से निकाला जा सकता है.

Latest and Breaking News on NDTV

सवाल यह है कि स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चों से लोहे की बेंच लोडिंग वाहन से उतरवाना और उन्हें रूम तक ले जाने में अगर कोई बच्चा चोटिल हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा. बच्चों की चिंता किए बिना टीचर मूकदर्शक बने आराम से सब कुछ देखते रहे और छोटे बच्चे लोहे की भारी बेंच और टेबलों को उठाकर शिक्षक के सामने से ले जाते रहे. 

यह भी पढ़ें : 22 जनवरी को ही मां बनना चाहती हैं MP की गर्भवती महिलाएं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गजब का उत्साह

क्या बोले जिम्मेदार?

संकुल प्रभारी से जब इस विषय में बात की गई तो उन्होंने कहा कि शिक्षकों से गलती तो हुई है. बच्चे बहुत छोटे हैं. उनसे यह काम नहीं करवाना था. उधर जिला मुख्यालय पर सहायक आदिवासी विकास विभाग में प्रभारी सहायक आयुक्त सुवर्णा खरचे को जब यह जानकारी दी गई तो उन्होंने इस मामले को संज्ञान में लेकर कहा कि संकुल प्राचार्य के माध्यम से संबंधित शिक्षकों को नोटिस देकर मामले का स्पष्टीकरण मांगा जाएगा.

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close