Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के छतरपुर के छुआछूत के एक मामले ने गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक हड़कंप मचाकर रख दिया था. यहां 20 परिवारों का गांव ने सिर्फ इसलिए बहिष्कार किया था कि इन लोगों ने एक दलित के हाथों प्रसाद लेकर खा लिया था.लेकिन पुलिस और प्रशासन की एक छोटी से पहल से अब पूरा गांव एकजुट हो गया है.गांव में एक बार फिर से खुशियां लौट आई हैं.
ऐसे लौटी खुशियां
जिले के अतरार गांव में छुआछूत से जुड़ा मामला सामने आया था. गांव के कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि सरपंच के एक फरमान से पूरे गांव ने 20 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. उन्होंने एक दलित के हाथों से प्रसाद लेकर खा लिया था. एसडीओपी और टीआई ने 2 दिन पहले दोनों पक्षों को बिठाकर चौपाल लगाई.
छतरपुर से करीब 3500 की आबादी वाला अतरार गांव जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूरी पर है. NDTV की टीम जब गांव पहुंची तो पता चला कि जात-पात वाला मामला यहां चर्चा का विषय बना हुआ है. गांव के जगत अहिरवार ने बताया कि मैंने 20 अगस्त 2024 को गांव से 2 किमी दूर मौजूद तलैया वाले हनुमान मंदिर में मनोकामना पूरी होने पर मगज के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया. प्रसाद मंदिर के पुजारी रामकिशोर अग्निहोत्री ने चढ़ाया. इसके बाद मैंने वहां मौजूद 20 से ज्यादा लोगों को प्रसाद बांटा. प्रसाद खाने वालों में ब्राह्मण से लेकर 3-4 अन्य जातियों के व्यक्ति थे.
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बहिष्कार के बाद कोई उनका छुआ नहीं खाता
जगत ने बताया कि मैंने इस मामले की शिकायत एसपी से की थी .इसके बाद केस दर्ज हुआ. जगत ने कहा कि मेरी वजह से गांव के अन्य लोगों को कई दिनों तक इस तरह प्रताड़ित किया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है. एसडीओपी और टीआई ने 2 दिन पहले दोनों पक्षों को बिठाकर चौपाल लगाई और सभी ने बैठकर साथ में भोज किया. ये फैसला लिया कि अब हम सब एकजुट होकर रहेंगे. पुलिस प्रशासन की इस पहल से गांव में एक बार फिर से खुशियां लौट आई हैं.
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