
Kuno National Park: 12 अगस्त को मादा चीता 'ज्वाला' को राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले के करीरा कलां गाँव से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बेहोशी का इंजेक्शन देने के बाद रेस्क्यू किया गया. श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के संचालक ने बताया कि मादा चीता ज्वाला को चीता मॉनिटरिंग टीम ने ज्वाला द्वारा शिकार किए गए बकरे को खींचकर उसे घेरे में लाने का प्रयास किया, जिससे किसी तरह का मानव-वन्यजीव संघर्ष न हो. सफलतापूर्वक बचाव के बाद मादा चीता ज्वाला को कूनो राष्ट्रीय उद्यान स्थानांतरित किया गया. मादा चीता ज्वाला कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मुक्त रूप से विचरण कर रही थी और 11 अगस्त को अंतर्राज्यीय सीमा पार करते हुए मानव-आधारित क्षेत्र से होकर गुज़री थी. कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने राजस्थान के वन एवं पुलिस विभाग के स्टाफ का इस अभियान में सहयोग के लिए आभार जताया.
क्या है मामला?
मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक मादा चीता ‘ज्वाला' भटक कर करीब 100 किलोमीटर दूर पड़ोसी राज्य राजस्थान चली गई, जहां से उसे वापस उसके घर लाया गया. चीता परियोजना के एक अधिकारी ने बताया कि ‘ज्वाला' ने सोमवार को दिन के समय अंतरराज्यीय सीमा पार की और इस दौरान वह रिहायशी इलाकों से भी गुजरी. अधिकारी ने बताया कि चीते और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जानवर को वापस लाने का फैसला किया गया.
उन्होंने कहा कि चीते को बेहोश करने के बाद बचावकर्मियों ने उसे काबू में लिया. अधिकारी ने बताया कि चीते ने एक बकरी का शिकार किया था और बचाव दल ने उसे बाड़े में ले जाने के लिए चतुराई से बकरी का इस्तेमाल किया. उन्होंने बताया कि सफल बचाव अभियान के बाद चीते को कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में स्थानांतरित कर दिया गया है.
इस समय कितने चीते हैं कूनो में?
वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में 26 चीते हैं जिनमें नौ वयस्क (छह मादा और तीन नर) और भारत में जन्मे 17 शावक हैं. इससे पहले एक अधिकारी ने बताया था कि सभी स्वस्थ हैं और ठीक हैं. अधिकारी ने बताया कि 26 चीतों में से 16 जंगल में खुलेआम घूम रहे हैं और उन्होंने राष्ट्रीय उद्यान के आवास के अनुकूल खुद को ढाल लिया है, सह-परभक्षियों के साथ रहना सीख लिया है और नियमित रूप से शिकार कर रहे हैं. इसके अलावा, केएनपी से गांधी सागर अभयारण्य में स्थानांतरित किए गए दो नर चीते भी ठीक हैं. इससे पहले, आठ नामीबियाई चीतों -पांच मादा और तीन नर - को 17 सितंबर, 2022 को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया, जो भारत में उन्हें फिर से बसाने के प्रयासों का हिस्सा था. फरवरी 2023 में बारह और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से कुनो स्थानांतरित किया गया.
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