विज्ञापन
This Article is From Mar 27, 2024

Holi 2024 News: होली के दूसरे दिन यहां तेल लगे चिकने पोल पर चढ़ते हैं महिला-पुरुष, जानिए- क्या है ये अनोखी परंपरा

Holi Festival of Colors: धनवासी गांव में होली के दूसरे दिन फाग की मंडली फाग की धुनों पर मस्ती में थिरकती है. इस दौरान एक ओर पुरुष अपनी मंडली के साथ फाग का आनंद लेते हैं. वहीं, दूसरी तरफ महिलाओं पर भी फागुन का रंग चढ़ा दिखाई देता है.

Holi 2024 News: होली के दूसरे दिन यहां तेल लगे चिकने पोल पर चढ़ते हैं महिला-पुरुष, जानिए- क्या है ये अनोखी परंपरा

Holi Festival in India: मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले (Dindori District) के धनवासी गांव में होली के दूसरे दिन यानी भाईदूज (Bhai Dooj) के दिन अनोखे अंदाज में होली मनाई जाती है, जिसे परिया तोड़न होली के नाम से जाना जाता है. धनवासी गांव के ग्रामीण सालों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं, जिसे देखने के लिए न सिर्फ गांव के बल्कि, आसपास गांवों से ग्रामीण बड़ी तादात में जुटते हैं.

दरअसल 'परिया तोड़न' एक प्रकार की प्रतियोगिता है, जिसमें न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. लकड़ी के ऊपरी हिस्से पर करीब बीस फ़ीट की ऊंचाई पर गुड़ की पोटली को बांध दिया जाता है. इसके बाद लकड़ी के पोल पर ऑयल का लेप लगाकर उसे बेहद चिकना कर दिया जाता है और फिर इसी चिकने पोल पर बारी-बारी से महिला एवं पुरुष चढ़ते हैं. इस दौरान वे पोल के ऊपरी हिस्से पर बंधे हुए गुड़ की पोटली को निकालने का प्रयास करते हैं. वहीं, इस दौरान दूसरा पक्ष रंग गुलाल डालकर पोल पर चढ़ने से रोकने की कोशिश करता है. गांव के लोग इस परंपरा के जरिए महिला-पुरुष समानता का संदेश देते हैं. वहीं, इस परंपरा को नशाखोरी से बचाने का जरिया भी माना जाता है.

ऐसे शुरू होती है तैयारी

धनवासी गांव में होली के दूसरे दिन फाग की मंडली फाग की धुनों पर मस्ती में थिरकती है. इस दौरान एक ओर पुरुष अपनी मंडली के साथ फाग का आनंद लेते हैं. वहीं, दूसरी तरफ महिलाओं पर भी फागुन का रंग चढ़ा दिखाई देता है. सालों पुरानी परंपरा के मुताबिक गांव में 'परिया तोड़न' प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसकी तैयारी दोपहर से ही शुरू कर दी जाती है. पहले करीब 20 फ़ीट लंबे पोल को औजारों से चिकना किया जाता है और फिर उस पोल पर तेल का लेप लगा दिया जाता है, ताकि पोल पर कोई आसानी से चढ़ न पाए. पोल के ऊपरी हिस्से में गुड की दो थैलियां लटका दी जाती हैं और पोल को जमीन में गाड़ दिया जाता है. इसके बाद शुरू होती है मस्ती की होली.

ये भी पढ़ें- Mahakal Mandir में आगजनी के बाद मारपीट का वीडियो आया सामने, रंगों के साथ बरसे घूंसे! कहां गई सुरक्षा व्यवस्था?
 

दिया जाता है समानता का संदेश

यहां महिला और पुरुष अलग-अलग टोलियों में इस पर चढ़ गुड़ की थैलियों को निकालने का प्रयास करते हैं और दूसरा पक्ष रंग गुलाल डालकर उन्हें रोकने का प्रयास करता है. ग्रामीणों के मुताबिक होली में नशे का प्रचलन अधिक रहता है, लेकिन इस तरह की एक परंपरा विकसित हो जाने से अब यहां पर युवा वर्ग इन आयोजनों में शामिल होने के लिए आ जाते हैं, जिसकी वजह से वे नशे से भी दूर रहता है. इसके अलावा महिला और पुरुषों को समान रूप से अवसर दिया जाता है, ताकि महिलाएं भी अपने आपको किसी तरह से कम न समझें. 

ये भी पढ़ें- Ujjain Mahakal: भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में लगी आग से पुजारी सहित 14 लोग झुलसे, 6 की हालत गंभीर

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close