MNREGA Scam: मध्य प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 87.65 लाख रुपए की मजदूरी का भुगतान को लेकर एक बड़ा घोटाला सामने आया है. सोमवार विधानसभा में रखे गए कैग रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 85. 67 लाख रुपए का मनरेगा भुगतान ऐसे लोगों के बैंक खातों में किया गया, जो न तो जॉब कार्डधारकों के थे और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य के थे.
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जमा किए गए 87.65 लाख रुपए जॉब कार्डधारकों के नहीं थे
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 7 ग्राम पंचायतों की मजदूरी भुगतान सूची और 476 जॉब कार्डों के बैंक खातों की जांच में सामने आया कि जिन खातों में 87.65 लाख रुपए मजदूरी के रूप में जमा किए गए, वे संबंधित जॉब कार्डधारकों के नहीं थे. साथ ही, यह राशि जिनके खातों में जमा हुई, वे भी संबंधित मजदूरों/जॉब कार्डधारकों के परिवार के सदस्य नहीं थे.
मनरेगा पर कैग के खुलासे पर राज्य सरकार ने दी सफाई
कैग के इस खुलासे पर राज्य सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि छतरपुर जिले की बमनीघाट और इमलाहा ग्राम पंचायतों के जॉब कार्डधारकों द्वारा बैंक खाता न होने की स्थिति में, उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए अन्य खातों में मजदूरी का भुगतान किया गया. इसके लिए संबंधित जॉब कार्डधारकों से बैंक खाता न होने का शपथ पत्र भी लिया गया. हालांकि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य सरकार के जवाब को अस्वीकार्य बताया है.
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6 जॉब कार्डधारकों में से दो के पास डाकघर में खाता था
मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को सदन के पटल पर रखे गए कैग रिपोर्ट के अनुसार, जिन छह जॉब कार्डधारकों के शपथ पत्र ऑडिट को सौंपे गए, उनमें से दो के पास डाकघर में खाता था, जबकि एक के पास बैंक खाता मौजूद था. वहीं, अन्य ग्राम पंचायतों के मामलों में राज्य सरकार ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया.
64 ग्राम पंचायतों ने तय सीमा से अधिक रुपए खर्च किया
रिपोर्ट में बताया गया कि 64 चयनित ग्राम पंचायतों ने तय सीमा से अधिक 5.07 करोड़ रुपए की सामग्री पर खर्च किया, जिससे 2019 से 2022 के बीच 2.72 लाख मानव दिवसों का सृजन नहीं हो सका. साथ ही, 2013-19 के बीच स्वीकृत सामुदायिक परिसंपत्तियों के 15 कार्यों की अनुमानित लागत का पुनरीक्षण नहीं करने से 1.38 करोड़ रुपए की बर्बादी हुई और वो अधूरे ढांचे पर खर्च हो गए.
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बगैर योजना बना दिए 7 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक केंद्र
काम और गुणवत्ता प्रबंधन के लिए राज्य और चयनित जिलों में कोई गुणवत्ता निगरानी प्रकोष्ठ नहीं बनाया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चयनित 7 से 52 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की कोई योजना नहीं बनाई गई और अन्य योजनाओं के साथ एकीकरण का प्रयास नहीं हुआ.
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