
Shahpur Animal Cruelty Case: बुरहानपुर जिले की नगर परिषद शाहपुर में दिवाली के अगले दिन हर साल की तरह वार्षिक मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में पाड़ों की लड़ाई सदियों पुरानी परंपरा मानी जाती है. लेकिन पशु-प्रेमियों की याचिकाओं के बाद कोर्ट ने इस लड़ाई पर स्पष्ट प्रतिबंध लगाया हुआ है. प्रशासन द्वारा भी हर साल पहले से आदेश जारी किए जाते हैं, फिर भी खुलेआम इस परंपरा के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं.
हजारों लोग बने दर्शक, प्रशासन नदारद
मंगलवार को फिर से उसी प्रतिबंधित पाड़ा मुकाबले का आयोजन किया गया. मैदान में हजारों लोग तमाशबीन बने खड़े थे. सवाल यह उठता है कि जब प्रतिबंध पहले से लागू था, तो जिला और पुलिस प्रशासन कहां था?
पुलिस ने लिया संज्ञान, 6 पर मामला दर्ज
पाड़ों की लड़ाई का वीडियो और शिकायत सामने आने के बाद शाहपुर थाना पुलिस तुरंत हरकत में आई. पुलिस ने मेला आयोजन समिति के 5 नामजद सदस्यों वासुदेव महाजन, सुनील वानखेडे, पंकज राऊत, शेख अनवर, अर्जुन चौधरी और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज की है. इन पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना और पशुओं के प्रति क्रूरता करने का आरोप है.
किन धाराओं में दर्ज हुई FIR
आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 125 और धारा 3(5) के तहत केस दर्ज किया गया है. इसके साथ ही पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11(1)(घ) भी लागू की गई है. यानी यह सिर्फ परंपरा का मसला नहीं, बल्कि सीधा कानून का उल्लंघन माना गया है.
क्या सिर्फ FIR से रुक जाएंगी ऐसी घटनाएं?
पिछले साल भी दिवाली से लेकर मकर संक्रांति तक इसी तरह के 11 मामलों में करीब 100 लोगों पर FIR हुई थी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. यह सवाल एक बार फिर बड़ा हो गया है कि क्या प्रशासन केवल रिपोर्ट दर्ज कर अपना कर्तव्य पूरा समझ लेता है? या फिर वास्तव में इन अमानवीय आयोजनों को रोकने की ठोस योजना बनाई जाएगी?
ये भी पढ़ें- क्राइम ब्रांच टीम पर चोरी का आरोप; चेकिंग के दौरान कार से दो लाख रुपये गायब, कारोबारी ने की शिकायत