Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने खंडवा के बीजेपी सांसद ज्ञानेश्वर पाटील के खिलाफ दायर एक चुनावी याचिका पर कड़ा रूख अपनाया है. हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुरहानपुर की सिटीजन को-ऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक या सीईओ को दस्तावेजों के साथ 8 नवंबर को कोर्ट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है. बैंक अधिकारी की कोर्ट में उपस्थित संबंधी खर्च भी सांसद ज्ञानेश्वर पाटील को वहन करने को कहा है.
ये है मामला
खंडवा लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बीजेपी के सांसद ज्ञानेश्वर पाटील के खिलाफ कांग्रेस से प्रत्याशी रहे नरेंद्र पटेल ने उनके खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. नरेंद्र पटेल ने आरोप लगाया था कि सांसद पाटील ने अपने नामांकन पत्र में बुरहानपुर की सिटीजन को ऑपरेटिव बैंक से लिए गए लोन और लोन डिफाल्ट होने की बात छिपाई थी. जबकि सांसद ज्ञानेश्वर पाटील की तरफ से दाखिल पक्ष में यह कहा गया था कि नामांकन दाखिल करते समय उन पर कोई लोन डिफाल्ट नहीं था.
कोर्ट में इसके जवाब में सांसद पाटील ने अपने वकील के माध्यम से अपने अंतरिम आवेदन में दावा किया. नामांकन के समय उन पर कोई लोन डिफाल्ट नहीं था और लोन की जानकारी छिपाने का आरोप निराधार है. उन्होंने कहा कि उनका निर्वाचन वैध है और उनके खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया जाए. इस पर कोर्ट ने कहा कि सांसद पाटील 5 दिन के अंदर आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं किए तो उनका आवेदन स्वतः खारिज हो जाएगा.
इन्होंने भी लगाई थी याचिका
इसी तरह ही लोकसभा चुनाव 2024 में निर्दलीय प्रत्याशी रहे पेशे से एडवोकेट मनोज अग्रवाल ने भी सांसद ज्ञानेश्वर पाटील के खिलाफ नामांकन पत्र में सिटीजन कोऑपरेटिव बैंक के लोन डिफाल्ट की जानकारी छिपाने की चुनाव याचिका दाखिल की थी.
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सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं मनोज
गौरतलब है सांसद ज्ञानेश्वर पाटील के बाद कांग्रेस के प्रत्याशी नरेंद्र पटेल को सबसे ज्यादा वोट मिले थे. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को पर्याप्त आधार नहीं मानते हुए खारिज कर दिया है. इसके बाद एडवोकेट मनोज अग्रवाल इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे है. इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी और सभी की निगाहें इस पर टिकी है कि आगे अदालत अपना क्या फैसला सुनाएगी?