
Birsa Munda Medical College News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य शहडोल (Shahdol) संभाग में प्रदेश सरकार की ओर से बिरसा मुंडा मेडिकल ( Birsa Munda Medical College ) कॉलेज खोल तो दिया गया, लेकिन अब भी यह संस्थान डॉक्टरों और सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.
आदिवासी शहडोल संभाग के शहडोल अनूपपुर उमरिया के साथ डिंडोरी और आस पास के गरीब आदिवासी यहां इलाज के लिए आते हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज में उन्हें चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती.
गंभीर मरीजों को कर दिया जाता है रेफर
5 साल के बाद भी अब तक यहां डॉक्टरों के पूरे पद नहीं भर पाए हैं. इस मेडिकल कॉलेज में 120 पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी मात्र 78 पद ही भर पाए हैं. यहां कार्डियोलॉजिस्ट, नेफ्रोल सिस्ट, न्यूरोसर्जरी विभाग शुरू ही नहीं हो पाया है. स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी से गंभीर मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है.
जांच की ये सुविधा भी नहीं है
यह अब CT स्कैन, ब्लड बैंक और सोनोग्राफी सुविधा भी शुरू नहीं हो पाई. 5 साल से रेडियोलाजिस्ट का पद खाली था, जो अभी कुछ दिन पहले ही भरा है. मेडिकल कॉलेज के जो मेडिसिन, सर्जरी डेंटिस्ट, पीडिया और गायनी विभाग शुरू हुए हैं. उनमें भी स्पेशलिस्ट की कमी है. 100 सीट वाले इस मेडिकल कॉलेज में मात्र बैचलर डिग्री की पढ़ाई होती है.
PG की पढ़ाई शुरू नहीं होने से बढ़ी परेशानी
PG की पढ़ाई शुरू नहीं होने से PG रेजिडेंट डॉक्टरों का अभाव है, जिसके चलते आदिवासी बाहुल्य शहडोल सम्भाग के गरीबों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा.
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वहीं, इस मामले में बिरसा मुंडा कॉलेज के डीन डॉक्टर गिरीश बी रामटेक का कहना है कि अब काफी हद तक डॉक्टरों की भर्ती कर ली गई है. ब्लड बैंक और अन्य सुविधाएं जल्द ही शुरू कर दी जाएगी.
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