गोलमाल है भाई... ठेकेदार-अधिकारी की मिलीभगत व भ्रष्टाचार के चलते सालों से सूखी हैं नहर, अब आंदोलन की चेतावनी

MP News: नहरों में पानी छोड़ने के पूर्व ही बड़े-बड़े क्रैक (दरारें) आ गये हैं. नहर अनेक जगह पर धंसकर टूटने लगी है. लाइनिंग में सीमेंट का नामोनिशान नहीं है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का अनुसांगिक संगठन भारतीय किसान संघ भी अब अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है, किसान संघ के प्रान्त महा मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है अतः मुख्यमंत्री को तत्काल ध्यान देकर नहरों के रखरखाव और व्यवस्था पर कड़े निर्णय लेने चाहिए.

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Corruption in Canal Maintenance: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जबलपुर (Jabalpur) के पनागर क्षेत्र में लगभग 20 किलोमीटर लंबी नहरों (Canal Project) का जाल 2006 में बनाया गया था, लेकिन इन नहरे में अभी तक पानी नहीं आया है. जो नहरें बनाई गई थीं, वे भी अब जर्जर हाल में पहुंच गई हैं. ठेकेदार (Contractor) और भ्रष्ट अधिकारियों (Corrupt Officers) की मिलीभगत से नहरों के मेंटेनेंस कार्य (Maintenance Work) भ्रष्टाचार (Corruption) की भेंट चढ़ गया है. वहीं अब भारतीय किसान संघ ने आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली है.

भारतीय किसान संघ ने लगाया ये आरोप

रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना के दाएं तट और बाएं तट की नहरों के मेंटनेंस कार्य में गंभीर लापरवाही व भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुये भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि नहरों के मरम्मतीकरण के कार्य को न केवल धीमी गति से किया जा रहा है, बल्कि उसमें भारी भ्रष्टाचार भी किया जा रहा है.

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राघवेंद्र पटेल ने नहरों के मरम्मतीकरण व निर्माण कार्यों की दुर्गति पर कहा कि गड़रपिपरिया की खोमा माइनर की सब माइनरों में जो लाइनिंग का कार्य किया गया है, वह इतना गुणवत्ताविहीन व घटिया है कि नहरों में पानी छोड़ने के पूर्व ही बड़े-बड़े क्रैक (दरारें) आ गये हैं. नहर अनेक जगह पर धंसकर टूटने लगी है. लाइनिंग में सीमेंट का नामोनिशान नहीं है.

निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार ने मापदंड के अनुसार कुलावा भी नहीं बनाये हैं, ऐसे में कहां से किसान नहरों से पानी लेगा? ठेकेदार के साथ सांठगांठ कर रानी अवंती बाई सागर परियोजना के अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. जिसका शिकायत पत्र शीघ्र मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को जांच के लिए सबूत के साथ भेजा जाएगा.

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नहरों के निर्माण कार्य की वीडियोग्राफी की जाएगी

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल ने बताया कि जबलपुर के आस-पास की दायीं व बायीं तट नहरों के निर्माण व मरम्मत कार्य की भारतीय किसान संघ के द्वारा वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई जाएगी. जहां पर भी गुणवत्ताविहीन व घटिया निर्माण कार्य होगा. उस निर्माण कार्य की शिकायत बतौर वीडियोग्राफी सबूत प्रदेश के मुख्यमंत्री को सीधे भेजी जायेगी. किसान संघ ने किसानों से आग्रह किया कि जहां पर भी नहर निर्माण में अनियमितता दिखे उसकी फोटो व वीडियो बनाकर भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों को भेंजे. जिससे उसकी जांच कराकर दोषी अधिकारी व ठेकेदारों को दंडित किया जा सके.

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नहरें बनी जंगल

नहर विभाग के अधिकारियों ने जबलपुर जिले की नहरें मरम्मत के अभाव में जंगल बना दी हैं. मेंटनेंस का कार्य अति धीमा चल रहा है. जैसे ही बरसात प्रारंभ होगी तो मरम्मत का कार्य पूर्ण दिखाकर नहर मरम्मत के नाम पर आवंटित करोड़ों रूप की राशि विभागीय अधिकारियों के द्वारा ठेकेदार से मिलीभगत कर खुर्द-बुर्द कर दी जायेगी. निर्धारित समय सीमा में नहरों के मरम्मत कार्य को गुणवत्तापूर्ण तरीके से शीघ्र पूर्ण किया जाये.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का अनुसांगिक संगठन भारतीय किसान संघ भी अब अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है, किसान संघ के प्रान्त महा मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है अतः मुख्यमंत्री को तत्काल ध्यान देकर नहरों के रखरखाव और व्यवस्था पर कड़े निर्णय लेने चाहिए.

आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे : किसान संघ

किसान संघ के प्रान्त महा मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि नहर सुरक्षा समिति देखरेख करती है. लेकिन समितियां भी इन नहरों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. नहर की सफाई भी नहीं की जाती है और ना ही हल्की टूट-फूट होने पर इनका सुधार कार्य होता, कई जगह है तो नहरों की दीवारों खत्म होकर नहरे अब नाले में तब्दील हो गई है. कुलाबा फोड़ना भी एक समस्या है. नहर से किस जहां पानी पहुंच रहा है, वहां भी छोटे और मझोले किसानों के लिए समस्याएं बनी हुई है.

नहरों से खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए एक कुलाबा बनाया जाता है जिसे हम सामान्य भाषा में नाली का सकते हैं, एक कुलाबा से 30 से 40 एकड़ जमीन पर सिंचाई होती है, लेकिन दबंग किसान अवैध कुलाबा फोड़ लेते है और सरकारी कुलाबा बंद कर देते हैं. इससे दबंग के खेतों में तो पानी पहुंच जाता है, लेकिन अंत तक जो खेत है वहां पानी नहीं पहुंच पाता.

प्रहलाद पटेल ने आगे कहा कि अधिकारी भी दबंग किसानों के सामने घुटने टेकते रहते हैं, वह अक्सर किसानों को सलाह देते हैं कि आपसी सलाह मशवरा कर इस मुद्दे का निपटारा करें. किसान हित में आंदोलन करने के लिये बाध्य होगा.

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