नर्सिंग घोटाले में हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- 2020 के बाद खुले सभी कॉलेज की होगी जांच

मध्यप्रदेश के नर्सिंग घोटाले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court)ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने अपने ही पुराने आदेश में संशोधन करते हुए निर्देश दिया है कि नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की प्रक्रिया के साथ साल 2020 के बाद खुले सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच की जाएगी. ये फैसला 28 सितंबर 2022 को आए आदेश के संशोधन में आया है.

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MP Nursing Scam: मध्यप्रदेश के नर्सिंग घोटाले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court)ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने अपने ही पुराने आदेश में संशोधन करते हुए निर्देश दिया है कि नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने की प्रक्रिया के साथ साल 2020 के बाद खुले सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच की जाएगी. ये फैसला 28 सितंबर 2022 को आए आदेश के संशोधन में आया है. दरअसल अदालत से पुराने आदेश में संशोधन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी जिसमें नर्सिंग काउंसिल, म.प्र. मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी और म.प्र. नर्सिंग काउंसिल की गतिविधियों की 2017 तक की व्यापक सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था.

बता दें कि  म.प्र.नर्सिंग काउंसिल का गठन केवल 2018 में हुआ था.  इस याचिका में पुराने आदेश में एक विसंगति की ओर इशारा किया गया था. नये दायरे के बाद अब जांच अवधि को बढ़ाकर 2020-21 शैक्षणिक सत्र तक कर दिया है. अदालत ने कहा है कि इस संशोधन का उद्देश्य किसी भी भ्रम को दूर करना और कॉलेजों की मान्यता प्रक्रियाओं की पूरी जांच सुनिश्चित करना है.

 अदालत ने छात्रों को भी राहत देते हुए ये साफ किया है कि 2020-21 सत्र के लिए दोषपूर्ण कॉलेजों के छात्रों को परीक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए. अदालत ने कहा कि बाद के सत्रों के लिए नामांकन पर विचार किया जाएगा जब उन सत्रों के लिए परीक्षाएं निर्धारित की जाएंगी. नर्सिंग शिक्षा में व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए, अदालत ने सीबीआई ने जिन 169 कॉलेजों को पात्र बताया था उनकी भी फिर से जांच का आदेश दिया है. यह फैसला गंभीर रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच आया है, जिसमें 4 सीबीआई अधिकारियों पर कुछ कॉलेजों से अनुकूल रिपोर्ट के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं.अपने फैसले में अदालत ने ये भी आदेश दिया है कि जांच में  सीबीआई टीमों के साथ संबंधित जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीश के अधिकृत लोग भी शामिल होंगे. निरीक्षण की वीडियोग्राफी की जाएगी ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके. अदालत ने प्रशिक्षण मानकों की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायधीश आर.के.श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक समिति भी नियुक्त की है. अदालत ने निर्देश दिया है कि जांच तुरंत शुरू किया जाए और तीन महीनों के भीतर पूरा कर लिया जाए.

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