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'सेप्टिक टैंक' बन रहे हैं भोपाल के तालाब! फिर बंटा 1073 करोड़ का बजट पर सवाल वही- कब दूर होगी बदहाली?

भोपाल को देश की सबसे साफ राजधानी माना जाता है. ये शहर भी मानता है कि यहां की झीलें दुनिया की सबसे सुंदर हैं. लेकिन हकीकत ये है कि वो सरकारी वादों की तरह दूर से सुंदर दिखती हैं नजदीक से देखिए तो पानी में कम, पन्नियों और सीवेज में ज्यादा लहरें उठती हैं. जो लोग यहां बोटिंग करने आते हैं, अगर कैमरे का ज़ूम थोड़ा और घूमा दें तो हकीकत समझ लेंगे.

'सेप्टिक टैंक' बन रहे हैं भोपाल के तालाब! फिर बंटा 1073 करोड़ का बजट पर सवाल वही- कब दूर होगी बदहाली?

Bhopal's ponds: एक कहावत है- दूर के ढोल सुहावने होते हैं...लेकिन जब आप भोपाल में आएंगे तो आप इसी कहावत को ऐसे कह सकते हैं- दूर की झीलें सुहानी होती हैं. दरअसल तालाबों के शहर भोपाल में ही तालाब बदहाल हो गए हैं. आप भोपाल के बड़े तालाब की ही स्थिति देख लीजिए. इसे दूर से देखिए तो सुंदर-स्वच्छ होने की गलतफहमी हो सकती है लेकिन पास जाइये तो सपनों की नाव सीवेज के समंदर में डूबती नज़र आएगी. ये हालत तब जबकि नगर निगम हर साल तालाबों की सफाई के लिए करोड़ों का बजट पास कराता है लेकिन पैसा कहाँ जाता है, ये एक रहस्य है. दूसरे शब्दों में कहें तो इसकी फाइलें शायद खुद तालाब ने निगल ली हैं. देखा जाए तो बड़े तालाब की पहचान इंटरनेशनल लेवल पर है. इस रामसर साइट का भी दर्जा मिला है. लेकिन सच्चाई ये है कि हर दिन एक करोड़ लीटर सीवेज इस तालाब को ‘समृद्ध' कर रहा है. 

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दरअसल भोपाल में नगर निगम का रूटीन भी मानसून जैसा है साल में एक बार जगते हैं. पिछले साल तीन बार टेंडर निकले, शोर मचा, लेकिन काम के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ. इस साल भी 1073 करोड़ का नया बजट पास हुआ है. इस बार भी वादा किया गया है कि तालाबों को पीने लायक बनाएंगे. NDTV ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया और नेताओं से सवाल भी पूछे. भोपाल नगर निगम की महापौर मालती राय का कहना है कि ऐसा नहीं है. सीवेज हटाने का काम चल रहा है.

हालांकि नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष शाबिस्ता जकी इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि - हर साल यही वादे करते हैं लेकिन पूरे कभी नहीं होते.सीवरेज को लेकर  कई लोगों की शिकायतें आती हैं लेकिन उसपर ध्यान नहीं दिया जाता है. आलम ये है कि भोपाल की 30 प्रतिशत आबादी  सीवेज युक्त बड़े तालाब का पानी पी रही है. दरअसल हकीकत ये है कि तीन साल से भोपाल वालों को वही सपना दिखाया जा रहा है — "अबकी बार साफ तालाब". लोग सपना देख भी लेते हैं लेकिन हकीकत ये है कि नगर निगम एक नई सीवेज पाइप लाइन के साथ आकर उनके सपनों पर बुलडोज़र चला देता है.

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