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उन 27 परिवारों की दर्दभरी कहानी, जो नहीं मना पाए द‍िवाली, जानिए रातभर क्या डर सताता रहा?

Bhopal News: भोपाल के Polytechnic Square इलाके में 27 Tribal Families ने इस बार Diwali 2025 नहीं मनाई. वजह है Eviction Notice का डर. प्रशासन कह रहा है कि ये लोग सरकारी ज़मीन पर हैं और इन्हें PM Awas Yojana के तहत Flats दिए जाएंगे, जबकि परिवारों का कहना है क‍ि “हम 70 साल से यहीं रह रहे हैं.”

उन 27 परिवारों की दर्दभरी कहानी, जो नहीं मना पाए द‍िवाली, जानिए रातभर क्या डर सताता रहा?

Bhopal News: 20 और 21 अक्टूबर 2025 को जब पूरा देश दीयों से जगमगा रहा था, घरों में सोने सी रौशनी थी, बाज़ारों में हँसी और रौनक गूंज रही थी उसी वक्त मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पॉलीटेक्निक चौराहे के पास तंग गलियों में खामोशी और डर पसरा हुआ था. यहां करीब 27 आदिवासी परिवारों के 200 से अधिक लोग इस साल एक अजीब से डर के कारण दिवाली नहीं मना पाए. इनमें बच्‍चे-बुजुर्ग सब शाम‍िल हैं.

भोपाल में पॉलिटेक्निक चौराहे के पास कल्पना सिंह वाखला के मोहल्ले में सर्वे हुआ. उन्हें बताया गया कि यह लाड़ली बहना योजना का सर्वे है. उन्हें लगा, अब शायद 1250 की जगह 1500 रुपये मिलेंगे. लेकिन कहते हैं क‍ि वो सर्वे सुकून की छत के नीचे सोने का नहीं, बल्कि छत छीनने का था. 

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70 साल से बसे परिवारों को हटाया जा रहा

कल्पना सिंह वाखला कहती हैं, “हम आदिवासी यहाँ 70 सालों से रह रहे हैं. हमने बिजली का बिल, टैक्स सब कुछ भरा है. सरकार अगर हमें हटा रही है तो हमें बताए. हमारी झुग्गी सभी मानस भवन के पास है. अगर यह वन भूमि है, तो हमें क्यों हटाया जा रहा है? विकास की बात है तो यहीं हमें मकान बनाकर दे दो.” 

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करमा बाई बोलीं –“अगर ये तोड़ेंगे तो हम यही लेट जाएंगे”

करमा बाई की पूरी उम्र ईंट-पत्थर जोड़कर एक छोटे से 10×10 के कमरे में गुजर गई. दस लोगों का परिवार. वहीं रहना, खाना बनाना. लोगों के घरों में बर्तन मांजकर गुजर-बसर करने वाली करमा बाई अब छत छिनने के डर में हैं.

वे कहती हैं, “मुझसे ठीक से चला नहीं जाता. खड़ा होना मुश्किल है. फिर भी हमें पकड़कर अदालत तक ले गए. क्या कलेक्टर और अफसरों के पास उनके घरों के कागज़ हैं? हम तो गड्ढे भरते हैं, बर्तन माँजते हैं, तब जाकर दो पैसे मिलते हैं. अब ये हमारा मकान तोड़ देंगे. अगर ये तोड़ेंगे तो हम यही लेट जाएंगे. बच्चों को लिटा देंगे. यहीं हमारा मरघट बना देंगे.” 

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बेरंग रही दीवाली 2025 

छाया सिंह 7×15 के छोटे से घर में अपने पिता, बहन और भाई के साथ रहती हैं. एक कमरे को दो हिस्सों में बाँटा है. एक तरफ़ रसोई, दूसरी तरफ़ भगवान का स्थान. पिता अब बस दीवारों पर टंगी तस्वीरों को देखते रहते हैं.

छाया कहती हैं, “हमें पहले ही कह दिया था कि हमारा घर दिवाली से पहले टूटने वाला है. इसलिए सफ़ाई, पुताई कुछ नहीं की. इस बार दीये नहीं जले. बस्ती की एक ज़मीन ख़ाली कर दी है ताकि गाड़ियाँ आ सकें. मन में दुख है, तो ख़ुशी कैसे होगी? दो सालों से पुताई नहीं हुई. सोचा था, इस बार करेंगे.” 

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“लाडली बहना का सर्वे बताकर करवाया गया सर्वे”

मान सिंह कहते हैं, “हम बहुत छोटे थे, तभी से यहाँ रह रहे हैं. सर्वे लाडली बहना योजना का बताया गया था. दिवाली पर ना पुताई हुई, ना रोशनी. 27 परिवार तब से यहाँ रहते हैं जब ये इलाका बंजर ज़मीन था. सरकार अब कहती है कि ये राजस्व भूमि पर अतिक्रमण है.”

“पीएम आवास के फ्लैट्स दिए जा रहे”-एसडीएम

एसडीएम दीपक पांडे ने बताया क‍ि “इन लोगों ने सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण किया है. इसलिए तहसीलदार ने केस बनाकर सुनवाई की, जिसके बाद सभी को जगह खाली करने का नोटिस दिया गया है. लेकिन चूँकि ये लोग लंबे समय से वहाँ रह रहे हैं, इसलिए इन्हें हटाया नहीं जा रहा बल्कि विस्थापित किया जा रहा है. इन्हें PM Awas Yojana के फ्लैट्स दिए जा रहे हैं. यह ज़मीन राजस्व विभाग की है, हालांकि कागज़ों में ‘जंगल मैड' लिखा है. एक-दो दिन में नगर निगम की कार्रवाई का लेटर आएगा.” 

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