
Bhopal Slum Ground Report: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) को देश की सबसे स्वच्छ राजधानी का खिताब प्राप्त है. साल 2023 के स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan 2023) में भोपाल को देश की सबसे स्वच्छ राजधानी (Cleanest State Capital in India) घोषित किया गया था, भोपाल को 5-स्टार गार्बेज फ़्री सिटी (GFC) रेटिंग भी मिली है. इसके अलावा भोपाल सबसे स्वच्छ दस लाख से अधिक आबादी के शहरों में 5वें स्थान पर है. लेकिन ये सभी अवॉर्ड और खिताब उस समय खुद को झुठलाने लगते हैं, जब आप शहर की झुग्गियों व कुछ खास इलाकों को छोड़कर अन्य कॉलोनियों में जाते हैं. कई पॉश क्षेत्रों में भी गंदगी का अंबार लगा हुआ दिख जाएगा. वहीं जब हम झुग्गियों की पड़ताल करने पहुंचे तो वहां की यथास्थिति और लोगों को देखकर ऐसा लगा कि जैसा हम कहां ही आ गए हैं. सबसे अहम बात इस गंदगी से बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. इस पर एक अज्ञात कवि की कुछ पंक्तियां याद आ गई.

Bhopal Slum: झुग्गियों के बीच से निकलते नाले में गंदगी का अंबार
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
जहां दम घुटता है सांसों का, जहां गंदगी तैरती रहती है,
ज़मीन के उस कोने में कहीं, कोई टाट घेर कर रहता है.
ग़ुर्बत का ऐसा मंज़र है, ऊपर बस एक टीन की छत है,
जिसको झुग्गी कहते हैं सब, कोई उसको ही घर कहता है.
फ़ैक्ट्री हो, इमारत बननी हो, कोई मज़दूरी फिर करनी हो,
कोई ज़िन्दा रहने की ख़ातिर, हर काम को राज़ी रहता है.
कोई ठेला, रेड़ी को लेकर, कोई कूड़ा उठाता है दिनभर,
सीवर की सफ़ाई, कहीं कोई बाई, कठिनाई में जीवन कटता है.
ख़ौफ़ है वर्दी का जिनपर, और गिरफ़्त है ठेकेदारों की,
जहां भीड़ है अपने जैसों की, वहां अपना कोई नहीं रहता है.
कभी हादसा बनकर जल जाए, कोई बुलडोज़र फिर चल जाए,
मारा भी गया जो ग़ुर्बत में, संसार के दुख दर्द सहता है.
ये कविता किसी अज्ञात द्वारा रचित है, लेकिन इसकी पंक्तियां भोपाल की कई झुग्गियों पर सटीक बैठती हैं.
पहले आंकड़ों में समझिए भोपाल की झुग्गियों का गणित
एक रिपोर्ट के अनुसार-सबसे ज्यादा झुग्गी वाले देश के टॉप-10 शहरों में मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ, कोलकाता, नागपुर, अहमदाबाद, बेंगलुरू के साथ भोपाल भी शामिल रहा है. इसी साल जिला प्रशासन के एक सर्वे के मुताबिक भोपाल में लगभग 3,186 एकड़ सरकारी और निजी जमीनों पर 388 झुग्गी बस्ती चिह्नित की गई हैं. इनमें करीब 1.56 लाख घर हैं. सबसे ज्यादा 77 झुग्गी बस्ती नरेला क्षेत्र में हैं. वहीं दक्षिण-पश्चिम में सर्वाधिक 1.29 लाख लोग झुग्गियों में रह रहे हैं. राजधानी भोपाल की प्राइम लोकेशन्स से लगी हुई कई झुग्गियां हैं, चाहे राजभवन से सटे इलाके में करीब 17 एकड़ में फैली रोशनपुरा बस्ती हो या बाणगंगा, भीमनगर, विश्वकर्मा नगर आदि. ये सभी शहर के बीच राजभवन, मंत्रालय, मंत्रियों, अफसरों के बंगलों और कमर्शियल इलाकों के आसपास पर करीब 300 एकड़ में फैली हैं. इनके अलावा शहर में राहुल नगर, दुर्गा नगर, बाबा नगर, अर्जुन नगर, पंचशील, नया बसेरा, संजय नगर, गंगा नगर, बापू नगर, शबरी नगर, ओम नगर, दामखेड़ा, उड़िया बस्ती, नई बस्ती, मीरा नगर जैसी लगभग 380 से ज्यादा बस्तियां हैं.

Bhopal Slum: बाणगंगा झुग्गी
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
भोपाल की बड़ी झुग्गियां
झुग्गी बस्ती | एकड़ (अनुमानित) | आबादी (अनुमानित) |
रोशनपुरा | 17 | 35000 |
बाणगंगा | 48 | 35000 |
बाग सेवनिया | 16 | 30000 |
विश्वकर्मा नगर | 6 | 30000 |
अन्ना नगर | 51 | 25000 |
भीम नगर | 72 | 8000 |
मदर इंडिया बस्ती | 49 | 4000 |
शहीद नगर | 29 | 2000 |
ये आंकड़े विभिन्न रिपोर्ट और प्रशासनिक सर्वे पर आधारित हैं.
असमानता की खाई, कैसे होगी समनता की भरपाई?
देश की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक भारतीय संविधान में समता और समानता के अधिकार से जुड़ी कई बातें बताई गई हैं. संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 18 में समानता के अधिकार का ज़िक्र है. हमारा संविधान कहता है कि सभी लोगों को समान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए. इतना ही नहीं अनुच्छेद 14 के तहत समानता के मौलिक अधिकार की गारंटी दी गई है. समानता के अधिकार से संबंधित विस्तृत प्रावधान समाज में न्याय और निष्पक्षता की आधारशिला हैं. प्रत्येक नागरिक को उसके सर्वाेत्तम विकास के लिए प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता सुनिश्चित करने की बात कही गई है. इसमें भेदभाव का कोई स्थान नहीं है. लेकिन अगर हम भोपाल की झुग्गियों में जाकर झांकेंगे तो आपको असमानता और भेदभाव की खाई स्पष्ट तौर पर नजर आएगी. एक ओर जहां ज्यादातर झुग्गियां पॉश कॉलोनी और सरकार के नजरिए से प्रमुख इलाकों में हैं. वहीं दूसरी ओर यहां पर बुनियादी सुविधाएं और गंदगी की तस्वीरें असमानता की बड़ी तस्वीर हमारे सामने प्रस्तुत करती है.

Bhopal Slum: झुग्गी का रास्ता
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
क्या कहते हैं रहवासी?
बाणगंगा के रहवासियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि यहां निगम के द्वारा साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा जबकि आगे वाली कॉलोनियों में नियमित सफाई की जाती है. जल भवन, पलाश होटल और उसके सामने विधायकों व मंत्रियों के आवास के आसपास हर दिन अच्छे से सफाई होती है, लेकिन यहां नगर निगम के कर्मचारी निचले हिस्से तक आते ही नहीं हैं. इतना ही नहीं कई बार तो नगर निगम की गाड़ी यहीं नाले के आस-पास कचरा डालकर चली जाती है. यहां नालियों की सफाई खुद ही करनी पड़ती है.
वहीं कोलार इलाके की गरीब नगर झुग्गी बस्ती में बार-बार फोन करने के बाद ही नगर निगम के सफाईकर्मी आते हैं. नियमित तौर पर सफाई नहीं होती है. यहां के रहवासियों ने बताया कि नलियां अक्सर गंदगी से भरी रहती हैं. कई जगहों पर नलियां खुली है, सड़कों पर गंदा कीचड़युक्त बदबूदार पानी बहता रहता है. निगम के द्वारा अगर नाली साफ भी की जाती है तो उसकी गंदी सड़क पर ही छोड़ दी जाती है.

Bhopal Slum: झुग्गी में गंदगी के बीच खेलते बच्चे
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
ऐसे समझिए कैसे प्रभावित हो रही है शिक्षा
केस 1 : कोलार गरीब नगर झुग्गी बस्ती में निकिता और देवेंद्र (परिवर्तित नाम) के तीन बच्चें है इनमें से 2 स्कूल नहीं जा पा रहे थे, क्योंकि मां की तबियत खराब रहती थी, कोई स्कूल छोड़ने वाला नहीं था. पिता अपने काम में चले जाते थे, कई बार बाहर भी जाना पड़ता था. वहीं गंदगी की वजह से मां की तबियत कई दिनों से खराब थी, कुछ दिन के लिए आराम लगता था, लेकिन अचानक से फिर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जातीं. मां को सूजन की भी समस्या थी, कई बार बुखार भी आ जाता था. इस दौरान उनके दो बच्चे लगभग 15-20 दिनों तक स्कूल नहीं गए. बच्चों माता-पिता का कहना है कि यहां सफाई कभी कभार होती है. मच्छर और गंदगी की वजह से घर में बीमारी बनी रहती है.

Bhopal Slum: गरीब नगर झुग्गी, कोलार
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केस 2 : बाणगंगा की रहवासी लक्ष्मी पचेसकर (परिवर्तित नाम) बताती हैं कि उनके यहां पानी साफ नहीं आता, घर के बगल से नाला बहता है, यह नाला खुला और कच्चा है. आस पास सुअर और आवारा कुत्ते भी मंडराते रहते हैं. उनके यहां बच्चे आए दिन किसी न किसी बीमारी से परेशान रहते हैं. जिस दिन हमारी मुलाकात लक्ष्मी जी से हुई उस दिन उनके घर के बच्चे आर्यन की तबियत खराब थी, पेट दर्द की समस्या की वजह से वे स्कूल नहीं जा पा रहा था, पिछले तीन-चार दिन से दर्द हो रहा था. लक्ष्मी पचेसकर ने आगे बताया कि इंफेक्शन और मच्छरों की वजह से हमारे बस्ती में आए दिन बच्चों को बीमारी होती रहती है. ऐसे में उनका स्कूल जाना प्रभावित होता है. हमारी 6-7 वर्षीय बेटी को डेंगू हो गया था, हालत इतनी खराब हो गई थी, लगा कि बच नहीं पाएगी, लेकिन उसको नया जीवन मिल गया.

Bhopal Slum: झुग्गी का जर्जर नाला
Photo Credit: Ajay Kumar Patel
अधिकारियों का क्या कहना है?
नगर निगम के अधिकारियों और सफाई कर्मचारियों ने कहा कि हमारी ओर से सफाई की जा रही है. वहीं नगर निगम आयुक्त ने कहा कि हम घर-घर कचरा उठवा रहे हैं. अगर कहीं से शिकायत आती है तो उसका भी दिखवाते हैं. नालों की सफाई बरसात के पहले अच्छी तरह से करवाई जाती है. अगर कही दिक्कत आ रही है तो उसको दिखवाते हैं.
वादे जो रह गए अधूरे
साल 2015 में शुरू हुई प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य था कि साल 2022 तक भारत के शहरी और ग्रामीण इलाके के हर एक गरीब और झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे परिवारों के पास अपना पक्का मकान होगा. लेकिन मध्य प्रदेश के भोपाल जिले के नगर निगम में लाखों लोग आज भी झुग्गी, झोपड़ियों में रहने के लिए मजबूर हैं. कुछ झुग्गी परिवारों को नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मल्टियों यानी बहुमंज़िला इमारतों में शिफ्ट किया गया है. लेकिन उनकी कंस्ट्रक्शन गुणवत्ता खराब है. कई मल्टी में सीवेज चैंबर की दिक्कत है तो कहीं दीवारों में सीलन और झड़न देखने को मिल रही है.
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