
Bhind Collector Sanjeev Srivastava transferred: मध्य प्रदेश के भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का तबादला कर दिया गया है. उनका तबादला बीजेपी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह से विवाद के 34 दिन बाद किया गया. विवाद के दौरान उन्होंने दफ्तर में तलबार लहराई थी. तलबार लहराने के बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव सुर्खियों में आए थे. उनकी जगह किरोड़ीलाल मीना को भिंड की जिम्मेदारी दी गई.
तानाशाही कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव का तबादला
मध्य प्रदेश शासन ने मंगलवार को आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी की, जिसमें संजीव श्रीवास्तव को भोपाल लोक निर्माण विभाग में अपर सचिव बनाया गया है. वहीं उनकी जगह वर्ष 2016 बैच के आईएएस अधिकारी किरोड़ीलाल मीना को भिंड का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है.
नए कलेक्टर किरोड़ीलाल मीना के कार्यकाल की होगा पहली परीक्षा
किरोड़ीलाल मीना अभी तक नगरीय प्रशासन विभाग में अपर आयुक्त के पद पर कार्यरत थे. कलेक्टर के रूप में भिंड उनका पहला जिला होगा. इससे पहले वे धार जिले में जिला पंचायत सीईओ और अपर कलेक्टर रह चुके हैं. उनकी छवि एक शांत और संवेदनशील अफसर के रूप में मानी जाती है. भिंड जैसे संवेदनशील जिले में उनकी कार्यशैली पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी.
विधायक-कलेक्टर विवाद ने लिया बड़ा रूप
गौरतलब है कि भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के बीच 27 अगस्त को गंभीर विवाद हो गया था. विधायक ने ऑफिसर कॉलोनी स्थित कलेक्टर आवास के बाहर धरना दिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि जिले में खाद की भारी समस्या है और कलेक्टर इस पर ध्यान नहीं दे रहे. साथ ही उन्होंने कलेक्टर पर रेत चोरी के आरोप भी लगाए.
इसके बाद पार्टी हाईकमान ने उनको भोपाल तलब किया था. उनको मर्यादा में रहने की नाशियत दी थी. विवाद फिर भी नहीं ठहरा. कलेक्टर ने कोतवाली थाने में विधायक के खिलाफ कार्रवाई के लिए एफआईआर के लिए आवेदन दिया था. वहीं विधायक ने भी थाने में कलेक्टर के खिलाफ शिकायत की. घटना के बाद विधायक कुशवाह ने खुले मंच से कहा था कि 'कलेक्टर का ट्रांसफर होना चाहिए'. तभी से अटकलें तेज थीं कि संजीव श्रीवास्तव को जिले से हटाया जा सकता है.

दो साल का कार्यकाल और तलवार वाला किस्सा
संजीव श्रीवास्तव का भिंड में कार्यकाल करीब दो वर्षों का रहा. वो वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले यहां पदस्थ हुए थे. हाल ही में विधायक विवाद के बाद जब कुछ लोग उनके सम्मान में पहुंचे तो उन्होंने चैंबर में रखी सम्मानस्वरूप मिली तलवार निकालकर दफ्तर में लहराई, खूब शक्तिप्रदर्शन किया. जिसकी खबर NDTV ने खूब विस्तार से रिपोर्ट दिखाई थी, जो खूब चर्चा में रही.
राजनीतिक मायने भी गहरे
कलेक्टर के ट्रांसफर को सीधे तौर पर विधायक-कलेक्टर विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है. स्थानीय राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि विधायक की नाराज़गी का असर इस तबादले पर पड़ा है. भिंड जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय जिले में अफसरों की भूमिका हमेशा संवेदनशील रही है.
यह सारी घटनाएं कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के कार्यकाल में लगातार विवाद और टकराव की तस्वीर पेश करती हैं. घटनाओं का संक्षेप इस प्रकार है.
रेत माफिया से टकराव: कलेक्टर श्रीवास्तव जब रात में अवैध रेत के वाहनों पर कार्रवाई के लिए निकले तो ऊमरी क्षेत्र में उनके काफिले पर हमला किया गया था, क्योंकि कलेक्टर रेत माफियाओं के साथ मिलकर उनकी स्कोर्पियों में बैठकर कार्रवाई कर रहे थे. जिससे ग्रामीण भड़क गए और कलेक्टर की गाड़ी पर हमला कर दिया था. कलेक्टर को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था.
नकल प्रकरण: एक निजी कॉलेज में परीक्षा के दौरान नकल करते छात्र को पकड़ने पर कलेक्टर ने उसे तीन चार थप्पड़ मार दिया. जब मामले ने तूल पकड़ा तो कलेक्टर ने मामले को डेमेज करने के लिए छात्र पर दवाब डलवाया, जिससे छात्र ने अपना आवेदन वापस ले लिया.
सीमांकन विवाद: पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की कोठी का सीमांकन कराते समय कलेक्टर पर गलत तरीके से कार्रवाई कराने का आरोप लगा. सीमांकन दल की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर भी सामने आए थे, जिससे विवाद और बढ़ा.
तहसीलदार का आरोप: तहसीलदार माला शर्मा ने कलेक्टर श्रीवास्तव पर प्रताड़ना का आरोप लगाया. उन्होंने दो बार वीडियो जारी करके यह आरोप सार्वजनिक भी किए.
इन घटनाओं से साफ है कि श्रीवास्तव का कार्यकाल लगातार विवादों, टकरावों और आरोपों से घिरा रहा, जिसमें राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर कई बार तीखी स्थितियां बनीं.
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