Bhairav Ashtami 2025: मध्य प्रदेश के उज्जैन का काल भैरव मंदिर शराब के प्रसाद को लेकर काफी प्रचलित है. लेकिन इस साल की भैरव अष्टमी यहां कुछ खास रही. इस दिन बाबा भैरव को 45 तरह की देशी-विदेशी शराब, तंबाकू और नशे से जुड़ी चीजों का भोग लगाया गया. यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है, लेकिन इस बार इसका पैमाना पहले से कहीं बड़ा था. जिसने भी यह दृश्य देखा, वह हैरान रह गया.
56 भैरव मंदिर की अनोखी परंपरा
उज्जैन के भागसीपुरा स्थित प्रसिद्ध 56 भैरव मंदिर में हर साल भैरव अष्टमी पर भैरव बाबा को उनके पसंदीदा भोग लगाए जाते हैं. इस बार भक्तों ने बाबा को 2100 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए, जिनमें 45 तरह की शराब, बीड़ी, सिगरेट, भांग, अफीम और गांजा शामिल थे. भक्तों का मानना है कि बाबा को ये सभी वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं और इनसे वे प्रसन्न होते हैं.
विदेश से आई 18 तरह की वाइन
मंदिर के पुजारी नीरज देसाई ने बताया कि पिछले 21 वर्षों से यह आयोजन लगातार हो रहा है. इस बार भक्तों ने विशेष रूप से 45 प्रकार की शराब चढ़ाई, जिनमें 18 वाइन विदेश से मंगाई गई थीं. इसके अलावा 300 तरह की अगरबत्ती, 700 तरह के इत्र, 150 मिठाइयां, 150 नमकीन और 45 प्रकार के बिस्किट, बेकरी आइटम और चॉकलेट भी अर्पित किए गए.
भैरव बाबा का अनोखा भोग
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) November 12, 2025
45 तरह की शराब, अफीम, गांजा
भैरव अष्टमी 2025 पर उज्जैन के प्रसिद्ध 56 भैरव मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा निभाई गई. इस अवसर पर भैरव बाबा को 45 तरह की देशी-विदेशी शराब, वाइन, भांग और अफीम का भोग अर्पित किया गया. भक्तों ने 2100 व्यंजन भी अर्पित किए.… pic.twitter.com/6NTU00nGUj
भक्तों का अटूट विश्वास
भैरव बाबा के भक्त न केवल देश के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी भोग सामग्री भेजते हैं. उनका मानना है कि बाबा को शराब और नशे की वस्तुएं चढ़ाने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह भोग किसी विलासिता के लिए नहीं, बल्कि भक्ति की भावना से किया जाता है.
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काल भैरव की सवारी की तैयारी
उज्जैन में स्थित प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर पर भी हर दिन शराब का भोग लगाया जाता है. भैरव अष्टमी और भैरव जयंती पर यहां विशेष पूजा होती है. इस वर्ष भी गुरुवार को बाबा काल भैरव की सवारी निकलेगी, जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होंगे.
भक्ति और आस्था का अनोखा संगम
भैरव अष्टमी पर उज्जैन का माहौल भक्तिमय हो गया. 121 दीपों से की गई महाआरती ने वातावरण को और पवित्र बना दिया. बाबा को शराब और नशे का भोग लगाना भले ही अजीब लगे, लेकिन यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी लोगों की अटूट आस्था से जुड़ी हुई है.
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