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This Article is From Sep 27, 2023

विकास नहीं तो वोट नहीं... मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांवों ने दी चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी

ग्रामीण ने कहा कि चुनाव का बहिष्कार हमारे तीन से चार गांव के लोगों का निर्णय है. हमने निर्णय इसलिए लिया है, क्योंकि हमारे मत की कोई कीमत नहीं है. सरकार हमारा वोट तो ले लेती है, लेकिन विकास के नाम पर हमारे गांव में कुछ नहीं करती.

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विकास नहीं तो वोट नहीं... मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांवों ने दी चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी
मूलभूत सुविधाओं से वंचित है खारया-भादल गांव
बड़वानी:

Madhya Pradesh News: आजादी के 75 साल के दौरान मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार ने गांवों को मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी, सड़क और स्कूल देने के लिए करोड़ों रुपए योजनाओं के माध्यम से खर्च तो कर दिए, लेकिन आज भी कई गांव इन सुविधाओं से वंचित हैं. दरअसल, बड़वानी (Barwani) जिले के पाटी क्षेत्र के पंचायत सेमलेट के खारया और भादल गांव के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित है खारया और भादल गांव

मूलभूत सुविधाएं से वंचित ग्रामीण बुधवार, 27 सितंबर को बड़वानी कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे और उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए सड़क बिजली और पानी की मांग करते हुए जनसुनवाई में आवेदन दिया. उन्होंने यह भी कहा कि अगर सड़क. बिजली नहीं तो इस बार हम विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे. अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों ने बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग की.

नेता

गांव में ना तो रोड है, ना ही बिजली- पानी, ना ही स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था.

जब तक सड़क नहीं, तब तक वोट नहीं: ग्रामीण

ग्रामीणों ने कहा कि कई बार हमारे द्वारा बड़वानी के राज्यसभा सांसद समर सिंह सोलंक, लोकसभा सांसद गजेंद्र पटेल, विधायक व कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल से निवेदन किया गया और समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. लेकिन आज भी हमारी समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ. हम काफी लंबे समय से रोड, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं होती है.

'आज तक पूरे नहीं हुए नेताओं के वादे'

ग्रामीणों ने आगे कहा कि नेता चुनाव के वक्त आते हैं. बात करके और वादे करके चले जाते हैं, लेकिन आज तक एक भी वादा पूरा नहीं हुआ. हम सब ने कुछ समय पहले गांव में बैनर पोस्टर के जरिए चुनाव का बहिष्कार किया था और आज भी हम चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं, क्योंकि जब तक हमें सभी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक हम वोट नहीं डालेंगे और ना ही गांव में किसी नेता को आने देंगे.

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राजू सोलंकी ने कहा कि हम लोगों ने 6 अगस्त को गांव में चुनाव का बहिष्कार किया थे, लेकिन आज तक हमारे गांव में कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचा. आज हम सभी बड़वानी कलेक्टर साहब को अवगत कराने आए हैं. 

 चुनाव से पहले हमारे गांव में रोड बन जाना चाहिए. अगर हमारे गांव में रोड बिजली की सुविधा नहीं होती है तो हम मतदान नहीं करेंगे.

मरीज को कपड़ा से बनाए झोली में लेकर लगभग 4 से 5 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले हमारे गांव में रोड बन जानी चाहिए. अगर हमारे गांव में रोड, बिजली की सुविधा नहीं होती है तो हम मतदान नहीं करेंगे.

राजू सोलंकी ने कहा कि हमारे गांव में रोड की सबसे बड़ी समस्या है. अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो हम एक लकड़ी में कपड़ा बांधकर झोली बनाते हैं और उसी से मरीज को लेकर लगभग 4 से 5 किलोमीटर तक पैदल चलकर रोड तक ले जाते हैं. कभी-कभी अगर व्यक्ति ज्यादा बीमार रहा तो रास्ते में ही उसकी मौत हो जाती है. कई महिलाओं की डिलीवरी भी रास्ते में हुई है.

एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि चुनाव का बहिष्कार हमारे तीन से चार गांव के लोगों का निर्णय है. हमने निर्णय इसलिए लिया है, क्योंकि हमारे मत की कोई कीमत नहीं है. सरकार हमारा वोट तो ले लेती है, लेकिन विकास के नाम पर हमारे गांव में कुछ नहीं करती. इसीलिए हमने चुनाव का बहिष्कार किया है. जब तक हमारे गांव में विकास नहीं आएगा, तब तक हम मतदान नहीं करेंगे, क्योंकि आज तक हमारी समस्या किसी ने सुनी नहीं है. हम कई वर्षों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. 

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