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This Article is From Jan 17, 2024

दिग्विजय सिंह ने PM मोदी पर साधा निशाना, कहा, 'उन्होंने मंदिर निर्माण में राजनीतिक लोगों को शामिल कर लिया'

दिग्विजय सिंह ने कहा कि गैर विवादित भूमि पर भूमि पूजन राजीव जी के समय हो गया था. नरसिम्हा राव जी ने राम मंदिर निर्माण के लिए गैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था.

दिग्विजय सिंह ने PM मोदी पर साधा निशाना, कहा, 'उन्होंने मंदिर निर्माण में राजनीतिक लोगों को शामिल कर लिया'
दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर को लेकर बीजेपी पर साधा निशाना

Madhya Pradesh News: पूरे देश में 22 जनवरी को रामलला की होने वाली प्राण प्रतिष्ठा का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है,वहीं राम मंदिर को लेकर राजनीति भी जोरों पर चल रही है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया है. दिग्विजय सिंह ने कहा की भाजपा का उद्देश्य मंदिर बनाना नहीं बल्कि मस्जिद तोड़ना था. रीवा के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा की 1857 की लड़ाई में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हिंदू -मुस्लिम एक साथ खड़े हुए थे. अयोध्या में 1850 से निर्मोही अखाड़ा काबिज था. सब कुछ ठीक चल रहा था. जब भाजपा चुनाव हार रही थी तो मंदिर- मस्जिद करना शुरू कर दिया.

गैर विवादित भूमि पर भूमिपूजन राजीव जी के समय हो गया था...

उन्होंने कहा इनका उद्देश्य मस्जिद तोड़ना था, मंदिर बनना नही. दिग्विजय सिंह ने कहा, ' पोस्टर में जब नारा दिया गया था, रामलला आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, अब न्यायालय के आदेश पर उस भूमि पर मंदिर क्यों नहीं बनाया जा रहा. केवल विवादित भूमि में निर्माण के लिए न्यायालय के फैसले तक इंतज़ार करने के लिए कहा गया था. गैर विवादित भूमि पर भूमि पूजन राजीव जी के समय हो गया था. नरसिम्हा राव जी ने राम मंदिर निर्माण के लिए गैर विवादित भूमि का अधिग्रहण भी कर दिया था.' पूर्व सीएम ने ये बातें रीवा में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कही.

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दिग्विजय सिंह ने कहा नहीं किया राम मंदिर का विरोध

दिग्विजय सिंह ने कहा कांग्रेस ने कभी भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं किया. भाजपा और विश्व हिंदू परिषद का मकसद मंदिर निर्माण नहीं मस्जिद गिराना था. क्योंकि जब तक मस्जिद नहीं गिरेगी तब तक मुद्दा हिंदू मुसलमान का नहीं बनता. अशांति फैला कर राजनीतिक लाभ लेना उनकी रणनीति है. इसीलिए उनका नारा था. “राम लला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे”.अब वहां क्यों नहीं बनाया?  जब उच्चतम न्यायालय ने विवादित भूमि न्यास को दे दी थी. निर्मोही अखाड़े के लोग जिन्होनें 165 वर्षों तक राम जन्म भूमि की लड़ाई लड़ी, जिन्होनें अदालत में लड़ाई लड़ी. मंदिर निर्माण का रास्ता खुल गया. सारी लड़ाई स्वामी स्वरूपानंद जी ने लड़ी थी. उन्हें रमालय ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन बाद मे मंदिर निर्माण से दूर कर दिया गया.

उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी ने मंदिर निर्माण में राजनीतिक लोगो को शामिल कर दिया है. चंपत राय क्या है. मोहन भागवत क्या प्राण प्रतिष्ठा में शामिल है. निर्माणाधीन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नही होती.  उन्होंने कहा मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होने पर हम जायेंगे. हमे किसी आमंत्रण की जरूरत नही है.

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