
Ayushman Bharat Yojana: विदिशा (Vidisha) से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां आयुष्मान योजना (Ayushman Bharat Yojana) की हितग्राही होने के बावजूद एक गरीब महिला से 28 हजार रुपए वसूल लिए गए और इलाज के बाद भी पैसे वापस नहीं मिले. सवाल ये उठता है कि क्या वास्तव में गरीबों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंच पा रहा है? या निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के नाम बड़ा खेल खेला जा रहा है. विदिशा जिले की ममता अहिरवार, जो कि विदिशा के नीमताल इलाके की रहने वाली हैं, अपने पति का इलाज कराने शंकर अस्पताल पहुँची थीं. नस ब्लॉक होने पर भर्ती किया गया, और ऑपरेशन के लिए अस्पताल ने पहले 28 हज़ार रुपए लिए.
क्या आरोप हैं?
ममता का कहना है कि अस्पताल ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि यह इलाज आयुष्मान योजना के तहत होगा और पैसे लौटाए जाएंगे. लेकिन ऑपरेशन के बाद छुट्टी तो मिल गई, मगर पैसे नहीं मिले. ममता कहती हैं कि "पहले मुझसे कहा गया आप अस्पताल में 28 हजार रुपए जमा कर दो आयुष्मान से इलाज का पैसा निकल जाएगा तो आपके द्वारा जमा किया गया पैसा वापस कर दिया जाएगा. लेकिन आयुष्मान से पैसा निकालने के बाद भी मेरा पैसा वापस नहीं किया, मैंने कलेक्टर को शिकायत दर्ज कराई है."
अस्पताल प्रबंधन का क्या कहना है?
शंकर अस्पताल की तरफ से डॉक्टर राजेंद्र खुशरोली ने सफाई दी है कि इलाज आयुष्मान के तहत किया गया है, लेकिन तकनीकी कारणों से फाइल रिजेक्ट हो गई. अब दोबारा सबमिट कर दी गई है. ऐसे में अब यह देखना होगा कि ममता को उनका पैसा कब तक वापस मिलता है. लेकिन यह मामला सरकारी योजनाओं की ज़मीनी हकीकत और निजी अस्पतालों की पारदर्शिता पर सवाल जरूर खड़े करता है.
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