
Maihar Fish Farming Plant: मैहर जिला न केवल सीमेंट उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है, बल्कि स्पाम तैयार करने के लिए भी उसके पास एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है. यह प्लांट मैहर जिला मुख्यालय से महज सात किमी दूर ग्राम पोड़ी में है. करीब सात सौ एकड़ में मत्स्य पालन केंद्र क्षेत्रफल है. इस केंद्र की स्थापना 1982-83 में की गई थी, जो कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में मछली की कई नस्लों का स्पाम तैयार कर भेजा जाता है.

इस केंद्र में कतला, रोहू, मृगल जैसी मछलियों की पैदावार की जाती है. मछली की पैदावार का टारगेट विभाग द्वारा 40 करोड़ स्पाम (बच्चे ) तैयार करने का रखा गया है. लक्ष्य की अपेक्षा करीब 32 करोड़ की पैदावार की जा रही है. 300 हेक्टेयर में हैचरी, 69 नरसी पोखर 12 हेक्टेयर में, प्रजनन के लिए 10 तालाब 21 हेक्टेयर के और पृथक करण पोखर 4 हेक्टेयर में बनाया गया है.

12 साल में बढ़ा तीन गुना लक्ष्य
सहायक संचालक मैहर एसएस बघेल ने जानकारी देते हुए बताया कि स्पाम (मछली के बच्चे) की पैदावार करने के लिए 2013 में 18 करोड़ का लक्ष्य दिया गया था. 2025 में 42 करोड़ हो गया. यहां पर कई नस्ल की मछलियां जैसे कतला, रोहू, मृगल, मेजर और कार्क का स्पाम तैयार किया जाता है. इसके अलावा सिल्वर कर्क, ग्रास्क कर्क, कामन कर्क बिडिंग पैगंसियास, पंगास न्यू ब्रीड है. बरसात में इनकी पैदावार ज्यादा मात्रा में होती है.
यह है स्पाम का रेट
स्पाम 1100 रु प्रति लाख से लेकर 1600 रु प्रति लाख तक है. वहीं, स्पाम से 15 दिन के अंतराल में फ्राई तैयार किया जाता है. 150 रु प्रति हजार से लेकर 325 रु प्रति हजार होता है. इसी तरह 100 mm की कतला एवं मिक्स 800 रु प्रति हजार से 1200 रु प्रति हजार तक का होता है.
किसानों की आय बढ़ाने में हो सकता है मददगार
किसान इस स्पाम को खरीद कर तालाबों में पैदा वार कर लाखों रुपया कमा सकते हैं. स्पाम मध्य प्रदेश के शासकीय संस्थाओं में निशुल्क भेजी जाती है. वहीं, गैरशासकीय संस्थाओं को बैंक भुगतान के बाद पैकिंग कर के दिया जाता है. वहीं, शासन की अनदेखी की वजह से मत्स्य पालन का अस्तित्व समाप्ति की ओर है कभी 700 एकड़ वाले मत्स्य पालन केंद्र में बाहरी प्रदेशों से लोग प्रशिक्षण लेने के लिए आते थे. यहां सुंदर पार्क, कई किस्म के फूल पौधों से सुसज्जित था, मगर आज स्टाफ की कमी से यह मत्स्य पालन केंद्र अपना अस्तित्व खोता जा रहा है.
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