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This Article is From Jan 22, 2024

कर्फ्यू लगा, दंगे हुए, कोविड आया लेकिन रुका नहीं पाठ, इस मंदिर में 57 साल से चल रही अखंड रामायण

रामायण मंदिर पीड़ितों और मानवता की सेवा में भी अपना योगदान दे रहा है. नर्मदा परिक्रमा वासी इस मंदिर में आश्रय पाते हैं और उन्हें आवश्यकतानुसार सामग्री भी प्रदान की जाती है. इस मंदिर के संस्थापक दादा वीरेंद्र पुरी के नाम से डॉक्टर पवन स्थापक ने निशुल्क नेत्र अस्पताल का निर्माण किया है जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा नेत्र चिकित्सालय और आई बैंक है.

कर्फ्यू लगा, दंगे हुए, कोविड आया लेकिन रुका नहीं पाठ, इस मंदिर में 57 साल से चल रही अखंड रामायण
जबलपुर के इस मंदिर में 57 साल से चल रही अखंड रामायण

Jabalpur Ramayan Mandir: जबलपुर (Jabalpur) के सूपाताल इलाके में एक बहुत पुराना मंदिर है. इसकी स्थापना कब हुई थी यह ज्ञात नहीं है. इस मंदिर के मूल नायक भगवान हनुमान हैं. अब इसे रामायण मंदिर (Ramayan Mandir) के नाम से जाना जाता है क्योंकि आप 24 घंटे में कभी भी यहां से निकलें तो आपको रामायण की ध्वनि सुनाई पड़ेगी. यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि पिछले 57 वर्षों से अनवरत चल रहा है. 16 अगस्त 1967 को इस मंदिर में स्वामी वीरेंद्र पुरी महाराज ने इस रामायण की शुरुआत की थी. 

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कर्फ्यू से लेकर कोविड तक में बंद नहीं हुआ रामायण का पाठ

रामायण का शुभारंभ तो कुछ समय के लिए ही हुआ था लेकिन 1967 से यह सिलसिला जो चला तो आज तक चल रहा है और अब यह सैकड़ों वर्षों तक चलेगा ऐसा बताया जा रहा है. रामायण मंदिर से जुड़े डॉक्टर पवन स्थापक बताते हैं कि कर्फ्यू लगा, दंगे हुए, कोविड जैसी महामारी फैली, कोविड में जब कोई घर से निकलने को तैयार नहीं था तब भी अखंड रामायण का पाठ चलता रहा. अब तो इस मंदिर से लोगों की आस्था और श्रद्धा इतनी जुड़ गई है कि कभी भी रामायण यह पाठ बंद नहीं होने वाला है.

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दादा वीरेंद्र पुरी के नाम पर कराया निशुल्क नेत्र अस्पताल का निर्माण

रामायण मंदिर पीड़ितों और मानवता की सेवा में भी अपना योगदान दे रहा है. नर्मदा परिक्रमा वासी इस मंदिर में आश्रय पाते हैं और उन्हें आवश्यकतानुसार सामग्री भी प्रदान की जाती है. इस मंदिर के संस्थापक दादा वीरेंद्र पुरी के नाम से डॉक्टर पवन स्थापक ने निशुल्क नेत्र अस्पताल का निर्माण किया है जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा नेत्र चिकित्सालय और आई बैंक है. प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इस चिकित्सा केंद्र से अपनी आंखों का इलाज कराते हैं. मृत्यु के बाद नेत्रदान करने वाले अपनी आंखों को इस आई बैंक में जमा कर नेत्रहीनों को नेत्र ज्योति प्रदान करते हैं.

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