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This Article is From Sep 15, 2023

Agriculture News: ड्रैगन फ्रूट की खेती से महकती जिंदगी, रोजाना हो रही किसानों की बढ़िया कमाई

ड्रैगन फ्रूट की खेती से मध्यप्रदेश के बालाघाट के किसानों की तकदीर बदल रही है. जिले के सीताखोह गांव के किसान धान, गेहूं, चना आदि की परंपरागत खेती से हटकर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे है.

Agriculture News: ड्रैगन फ्रूट की खेती से महकती जिंदगी, रोजाना हो रही किसानों की बढ़िया कमाई
(ड्रैगन फ्रूट की खेती)

ड्रैगन फ्रूट की खेती से मध्यप्रदेश के बालाघाट के किसानों की तकदीर बदल रही है. जिले के सीताखोह गांव के किसान धान, गेहूं, चना आदि की परंपरागत खेती से हटकर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे है. आज हम बात कर रहे हैं भूपेंद्र शरणागत की तो अपनी इस तरह की किसानी से तमाम किसानों के लिए मिसाल बन रहे हैं. भूपेंद्र ने साल 2021 में छोटे स्तर से ड्रैगन फ्रूट की खेती की थी. जिसके बाद अब भूपेंद्र शरणागत अपनी इस खेती का विस्तार करने में लगे हैं. वैसे आप सभी को ड्रैगन फ्रूट के बारे में तो पता ही होगा. दरअसल, ड्रैगन फ्रूट एक तरह का फल होता है जो दिखने में बिल्कुल अलग होता है. यह खाने में थोड़ा कुरकुरा व मीठा होता है. यह फल देखने को आग उगलने वाले ड्रैगन के जैसा दिखता है इसलिए इसका नाम ड्रैगन फ्रूट रखा गया है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती से महकती जिंदगी

बहरहाल, ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले भूपेंद्र शरणागत 43 साल के हैं. भूपेंद्र ने बताया कि उन्होंने Agriculture Faculty से 12वीं परीक्षा पास करने के बाद नेचुरोपेथी (Naturopathy) में डिप्लोमा किया हुआ है. उनका परिवार पहले पारंपरिक धान, गेहूं, चना की खेती करता था. लेकिन इससे "आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया" वाली कहानी हो रही थी. इसी के चलते भूपेंद्र ने खेती में कुछ नया करने का मन बना लिया था. भूपेंद्र के एक भाई यूरोप के देश नार्वे में रहते हैं. अपने इसी भाई की सलाह पर उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का फैसला लिया.  

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ड्रैगन फ्रूट के बारे में फार्म पर किया पता 

इसके बाद भूपेंद्र गोंदिया जिले के छोटा रायपुर के एक फार्म पर गए. यह फार्म भालचंद्र ठाकुर का था जहां जाकर उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की हर जानकारी के बारे में पता किया. भूपेंद्र ने बताया कि साल 2021 में उन्होंने  50 डिसमील खेत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चालू किया था. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए खेत में तय दूरी पर छोटे-छोटे खम्बेस लगाए जाते है. इन पोल पर अंगुर की खेती की तरह ही ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाये जाते है और 1 पोल पर ड्रैगन फ्रूट के 4 पौधे लगाये जाते है. मालूम हो कि ड्रैगन फ्रूट मूल रूप से अमेरिका का फल है. 

लगभग कितनी होती है आमदनी 

खास बात यह है कि एक बार इसका पौधा लगाने पर वह 25 सालों तक फसल देता है. भूपेंद्र ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती कर वह अब तक 10 लाख रुपये की लागत लगा चुके है और साथ ही उन्हें अब आमदनी मिलना चालू हो गई है. इस साल उनके 50 डिसमील के खेत से 03 क्विंटल ड्रैगन फ्रूट मिले है. यह फसल 200 रुपये प्रति किलोग्राम के दर से आसानी से घर बैठे बिक जाती है. भूपेंद्र ने बताया कि अब उनका इरादा ड्रैगन फ्रूट की इस खेती को बढ़ाकर 02 एकड़ तक करने का है और उसमें 01 हजार प्लांट लगाने की तैयारी है. एक एकड़ से 7 टन ड्रैगन फ्रूट की फसल मिलता है. इसके पौधो में फूल आने के बाद करीब 40 दिन में फल तैयार हो जाते है. 

ड्रैगन फ्रूट की खेती

 बैंगन की भी खेती करते हैं भूपेंद्र 

ड्रैगन फ्रूट की खेती में जमकर फायदा 

भूपेंद्र अपने खेत में पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल कर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे है. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की बाजार में बहुत मांग है. यह एंटी आक्सीडेंट होने के साथ ही फैट रहित होता है. साथ ही इसमें फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है जिससे कि यह पाचन में आसान रहता है. इसमें विटामिन सी भी पाया जाता है यह त्वाचा रोग में काफी ज्यादा मददगार होता है. यह कैंसर व अन्य  बीमारियों की रोकथाम में भी काफी ज्यादा लाभदायक माना जाता है. इसे सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है. 

सालभर तक कमा सकते हैं मुनाफा 

भूपेंद्र ने अपने फार्म का नाम "जय अम्बेू ड्रैगन फ्रूट फार्म" रखा है. वह इसी नाम की पैकिंग से इस फल की सप्लाई करते है. उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट के साथ ही वे सब्जियों की खेती भी कर रहे है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने फल-सब्जियां उगाना छोड़ दिया है है. उनके खेत में ड्रैगन फ्रूट के साथ ही बैगन की फसल भी लगी है. उनके खेत से हर हफ्ते 5 ट्रैक्टर बैगन निकल जाते है. साथ ही वह अपने खेत में सूरन (जिमी कंद) की खेती भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके खेत में 20 क्विंटल सूरन की पैदावार हुई थी और 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से इसका दाम भी मिल गया. इस वर्ष भी उनके खेत में सुरन की फसल लगाई गई है. 

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