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सरकारी खजाने की लूट! मुआवजे के लिए हाईवे की जमीन पर बन गए 2500 अवैध मकान, मामला जानकर उड़ जाएंगे होश

Compensation Loot: सिंगरौली से प्रयागराज तक बन रहे हाईवे की जमीन पर मुआवजे की लूट मची हुई है. ज्यादा मुआवजे के लालच में स्थानीय लोगों और दलालों ने हाईवे की जमीन पर अवैध रूप से मकान बना लिए हैं.

सरकारी खजाने की लूट! मुआवजे के लिए हाईवे की जमीन पर बन गए 2500 अवैध मकान, मामला जानकर उड़ जाएंगे होश
हाईवे की जमीन पर बने अवैध घर.

Robbery of Government Compensation: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली (Singrauli) में निर्माणाधीन सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे (Singrauli-Prayagraj Highway) पर मुआवजे का खेल शुरू हो गया है. यहां पिछले कुछ दिनों में करीब ढाई हजार मकान बन गए हैं. ज्यादातर घर अधूरे बने हैं. ये मकान उस जगह बने हैं, जहां से हाईवे को गुजरना है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि खेत के बजाय आवासीय जमीन या मकान पर मुआवजा अधिक मिलता है. इस वजह से अफसरों ने भी खाली जगहों पर अधूरे मकान बना दिए हैं. मुआवजे के खेल का पता चलते ही जिला प्रशासन (Singrauli District Administration) ने कार्रवाई की बात कही है. इस मामले को लेकर चितरंगी एडीएम सुरेश जादव ने कहा कि सर्वे के बाद बनाए गए मकानों का मुआवजा नहीं दिया जाएगा, अभी सिर्फ सर्वे का काम पूरा हुआ है.

बता दें कि यह पूरा मामला निर्माणाधीन सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का है. इस हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले में आता है. इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो चुका है. हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद से ही अधिक मुआवजा दिलाने के लिए दलालों का रैकेट सक्रिय हो गया और कुछ ही महीनों में हाईवे के रास्ते वाली जमीन पर करीब 2,500 मकान बन गए. लोगों का कहना है कि हाईवे प्रोजेक्ट पास होने के बाद यहां की जमीन खरीदने वालों में नेता और अफसर भी पीछे नहीं रहे. जमीन मालिक मकान बनवाने के लिए सौदे भी कर रहे हैं. यह बात सामने आने के बाद पूरे जिले में हड़कंप मचा हुआ है.

Singrauli-Prayagraj Highway Compensation Loot

हाईवे की जमीन में दूर-दूर तक आधे-अधूरे घर बने दिख रहे हैं.

मकान बनाने और जमीन की खरीद-फरोख्त पर लगी थी रोक

सिंगरौली-प्रयागराज हाईवे का 70 किमी हिस्सा सिंगरौली जिले की चितरंगी और दुधमनिया तहसील से होकर गुजरता है. करीब 740 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में इन दोनों तहसीलों के 33 गांवों की जमीन आ रही है. इस जमीन के अधिग्रहण की कार्रवाई मार्च में शुरू हुई. सर्वे शुरू होने के साथ ही यहां मकान बनाने पर रोक लग गई थी. इसके साथ ही जमीन की खरीद-फरोख्त पर भी रोक थी. जिला प्रशासन ने इस संबंध में अनाउंसमेंट किया और नोटिस भी लगाए. इसके बावजूद किसानों ने मुआवजे के लिए नए फॉर्मूले पर काम शुरू कर दिया. और हाईवे के अधिग्रहण वाली जमीन पर मकान बना लिए.

मुआवजा दिलाने के लिए एग्रीमेंट

NDTV की टीम जब इस मामले की तहकीकात के लिए मौके पर पहुंची, तो मुआवजे का खेल साफ-साफ दिखाई दिया. हाईवे की जमीन पर मुआवजे के लिए खेतों में बने मकान आधे-अधूरे हैं. किसी में सिर्फ ईटें रखी गई हैं तो किसी में कच्चा मकान बनाया गया है. कुछ में तो सिर्फ टीन शेड बने हैं. इतना ही नहीं कुछ किसानों ने तो बाहरी राज्यों के लोगों से स्टाम्प पेपर पर सौदे भी कर लिए हैं. इसके मुताबिक, आवास से जो भी मुआवजा मिलेगा, इसमें से 80 प्रतिशत और 20 प्रतिशत का बंटवारा होगा. यानी मुआवजे की बढ़ी हुई राशि का 80 प्रतिशत मकान बनाने वाले को और 20 प्रतिशत राशि जमीन मालिक को मिलेगी.

Singrauli-Prayagraj Highway Compensation Loot

कुछ घरों में छत की जगह टीन शेड लगे हुए हैं.

सर्वे से पहले बने थे सिर्फ 500 घर

वहीं इस मामले को लेकर जिला प्रशासन ने भी बड़ा खुलासा किया है. चितरंगी एसडीएम सुरेश जाधव ने बताया कि जब हाईवे के जमीन का सर्वे हुआ तब सिर्फ 500 घर ही बने थे. अब हाईवे की जमीन पर 2,500 मकान बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद बने घरों का मुआवजा नहीं दिया जाएगा.

जमीन के दाम दस गुना तक बढ़े

वहीं हाईवे निकलने की खबर लगते ही यहां की जमीन के दाम भी आसमान को छू रहे हैं. हाईवे के सर्वे से पहले इस इलाके में जमीन का रेट आठ हजार रुपये प्रति डेसिमल था, जो अब बढ़कर 80 हजार रुपये हो चुका है. बता दें कि सर्वे के दौरान एक्सपर्ट से मकान का वैल्युएशन कराया जाता है. उसके आधार पर मुआवजे की मांग की जाती है. जमीन मालिक को मकान से लेकर बोरवेल तक के पैसे मिलते हैं. जिसके चलते ग्रामीणों और बिचौलियों ने हाईवे की जमीन पर घर बनाए हैं, ताकि अधिक से अधिक मुआवजा मिल सके.

हालांकि, जिला प्रशासन का साफ कहना है कि सर्वे के बाद बने घरों पर मुआवजा नहीं मिलेगा. इसके बाद भी दलाल सक्रिय हैं और मुआवजा दिलाने का झांसा देकर जमीन मालिकों और अन्य लोगों को फंसा रहे हैं.

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