
Kundeshwar Dham Tikamgarh : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ़ (Tikamgarh) जिले में जमदार नदी के किनारे कुंडेश्वर धाम स्थित है. ये जगह कुंडदेव महादेव मंदिर के लिए मशहूर है. यहां पर मौजूद शिवलिंग के बारे में एक अनोखी मान्यता है कि ये स्वयं कुंड से प्रकट हुए थे. बहरहाल, धार्मिक नगरी होने के लिहाज़ से यहां हर रोज़ भक्तों के आने-जाने का सिलसिला लगा रहता है... लेकिन यहां से जुड़ा एक मुद्दा ऐसा है जिस पर प्रशासन की नजर अब तक नहीं पड़ी है. हम बात कर रहे हैं कुंडेश्वर धाम के कुंड में डूबकर होने वाली मौतों की! जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. कुंडेश्वर धाम के कुंड में सुरक्षा के इंतज़ामों की भारी कमी है. जिसके चलते अक्सर यहां पानी में डूबने से लोगों की मौत हो जाती है लेकिन मरने वालों के परिजनों की चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं हैं... न ही मंदिर प्रबंधन और न ही जिला प्रशासन.
'मौत का कुंड' बना कुंडेश्वर धाम
टीकमगढ़ जिले के इस धाम में अभी पिछले महीने ही एक बच्चे की पानी में डूबने से मौत हो गई थी. आज फिर इस कुंड में नहाते-नहाते एक और मासूम की मौत हो गई. गोताखोर बच्चे के शव की खोज में लगे हुए हैं. मगर अभी तक मृतक बच्चे का शव नहीं मिल सका है. अगर अनुमान लगाया जाए तो, हर साल लगभग 20 लोगों की मौत इस कुंड में डूबकर हो जाती है. लेकिन मंदिर प्रबंधन समेत जिला प्रशासन इसे लेकर बेखबर है.
इस जगह कैसे हो रही इतनी मौतें ?
दरअसल, कुंडेश्वर नदी के कुंड में रोज की तरह लोग नहाते जाते हैं... लेकिन सिर्फ वही लोग सरपट से पानी पार करके दूसरी तरफ जाते हैं जिन्हें पानी में तैरना आता है. लेकिन बाकी लोगों को नहाते देख आस-पास मौजूद बच्चे भी पानी में नहाने चले जाते हैं और तेज़ बहाव के चलते वह खुद को संभाल नहीं पाते जिसके चलते मौत का खतरा बना रहता है.

घटना के बाद मौके पर पुलिस तैनात
आज जो 15 साल का बच्चा पानी मे डूबा है. उसका नाम राज रैकवार है. जो सरपट पार करते समय पानी के तेज बहाव में बह गया और बढ़े कुंड में डूब गया. इसको खोजने के लिए SDRF की टीम लगातार कोशिश कर रही है... लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है. इधर, मौत के बाद बच्चे के परिजनों में कोहराम मच गया है. घटना की खबर मिलने के बाद कोतवाली पुलिस और खिरिया चौकी पुलिस मौके पर पहुंची है.
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बचाव के लिए क्या किया जा सकता है?
सालों से हो रही मौतों के बाद भी जिला प्रशासन नींद में सोया नज़र आ रहा है. इसे लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. इसे लेकर कहा जा रहा है कि अगर इस नदी कुंड में सरपट के नीचे लोहे के खंभे लगाकर जाली लगा दी होती तो आज कई मासूम लोग बेमौत नहीं मारे जाते और उनकी जान बच जाती.
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