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Chhath Puja 2023 : इसलिए महिलाएं लगाती हैं नाक तक सिंदूर, जानिए क्या है महत्व?

आस्था का महापर्व कहे जाने वाले छठ पर्व को लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. कहा जाता है कि इस त्यौहार को मनाने वाले लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है और उनके परिवार में सुख-समृद्धि बरसती है. हिन्दू धर्म में छठ पर्व को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं भी हैं. छठ महापर्व का शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है. इस पर्व को 20 नवम्बर तक मनाया जाएगा.

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Chhath Puja 2023 : इसलिए महिलाएं लगाती हैं नाक तक सिंदूर, जानिए क्या है महत्व?

Chhath Pooja 2023: छठ पूजा (Chhath Pooja) का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. दिवाली (Diwali) के बाद मनाये जा रहे इस पर्व को लोग बहुत धूम-धाम से मनाते हैं. दीपावली के त्यौहार के बाद देश में छठ पूजा का उत्साह देखने को मिल रहा है. आस्था का महापर्व कहे जाने वाले छठ पर्व को लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. कहा जाता है कि इस त्यौहार को मनाने वाले लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है और उनके परिवार में सुख-समृद्धि बरसती है. हिन्दू धर्म में छठ पर्व को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं भी हैं. छठ महापर्व का शुरुआत 17 नवंबर से हो रही है. इस पर्व को 20 नवम्बर तक मनाया जाएगा. इस त्यौहार को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल भी रहते हैं. उन्हीं में से एक है कि छठ पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी नाक से लेकर माँग तक सिंदूर क्यों लगाती है. आइए जानते हैं इसके पीछे की मान्यताओं के बारे में...

पति की आयु होती है लंबी

छठ पर्व पर महिलाएं नाक से माँग तक सिंदूर (Sindoor) लगाती है इसके पीछे की मान्यता है कि महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस तरीके से सिंदूर लगाती है. कहा जाता है कि जो भी महिला ऐसा करती हैं, उनके पति की आयु लंबी होती है और उनका जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होता है.

पति के प्रति जाहिर करती हैं सम्मान

छठ पर्व पर महिलाएं नाक से माँग तक सिंदूर लगाती हैं ताकि उनके पति की आयु लंबी हो और समाज में उनका सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ें. कहा जाता है कि जो भी महिलाएं सिंदूर छिपा लेती हैं उनका पति समाज में छुप जाता है और पति की तरक्की नहीं होती है. इस कारण से छठ पूजा के दौरान महिला नाक से लेकर कर माँग तक सिंदूर भरती हैं. महिलाएं अपने पति के प्रति सम्मान और प्रेम जाहिर करते हुए नाक से माँग में सिंदूर सजाती हैं.

सिंदूर लगाने के पीछे है कथा

इस सिंदूर लगाने के पीछे कथा भी है. कहा जाता है कि जब दुशासन गरजते हुए द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा तब उन्होंने रितु स्नान नहीं किया था. जिस कारण उन्होंने माँग में सिंदूर नहीं भरा था. ऐसे में दुशासन ने कहा कि उन्हें अभी तक यह भी तय नहीं किया कि किसके नाम का सिंदूर लगाना है और ऐसा कहकर उसने द्रौपदी के बाल पकड़कर खींचने लगा. द्रौपदी बिना सिंदूर लगाने पतियों के सामने नहीं जा सकती थी, इसीलिए उन्होंने जल्दी से सिंदूरदानी अपने सिर पर पलट लिया. उसके बाद गलती से सिंदूर नाक तक चला गया, इसीलिए वस्त्र हरण के बाद द्रौपदी ने बाल खुले रखें और हमेशा नाक तक लंबा सिंदूर लगाया.

तीन तरह का होता है सिंदूर

छठ पूजा में तीन तरह के सिंदूर का प्रयोग किया जाता है. आस्था के इस पर्व में सिंदूर का विशेष महत्व है. सुर्ख़ लाल, पीला या नारंगी, मटिया सिंदूर.

मिट्टी से बना सिंदूर लगाती हैं महिलाएं

मटिया सिंदूर का उपयोग हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार विशेष रूप से बिहार में किया जाता है. सब से शुद्ध माने जाने वाले इस सिंदूर को मिट्टी से तैयार किया जाता है. मिट्टी से इस सिंदूर को बनाया जाता है इसीलिए सिंदूर को मटिया सिंदूर कहा जाता है. पूजा में चढ़ाने के लिए खासतौर पर छठ पूजा के दौरान इस सिंदूर का प्रयोग किया जाता है.

यह भी पढ़ें : Chhath Puja: कितने प्रकार का होता है छठ व्रत... ऐसे की जाती है पूजा, जानिए इस व्रत का खास महत्त्व

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