
Swami Vivekananda Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. उन्होंने कहा कि हमारे समाज के लिए स्वामी विवेकानंद जी के विचार और दृष्टि हमारे मार्गदर्शक प्रकाशपुंज हैं. PM मोदी ने कहा कि उन्होंने हमारे इतिहास और सांस्कृतिक विरासत में गर्व और आत्मविश्वास की भावना जगाई. वहीं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने दर्शन, वेद एवं योग के माध्यम से विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले, राष्ट्रऋषि स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसी कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेताओं ने स्वामी विवेकानंद के योगदान को याद किया.
स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि Tribute to Swami Vivekananda
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया; "मैं स्वामी विवेकानंद जी को उनकी पुण्य तिथि पर नमन करता हूँ. हमारे समाज के लिए उनके विचार और दृष्टि हमारे मार्गदर्शक प्रकाशपुंज हैं. उन्होंने हमारे इतिहास और सांस्कृतिक विरासत में गर्व और आत्मविश्वास की भावना जगाई. उन्होंने सेवा और करुणा के मार्ग पर चलने पर भी बल दिया." मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर कहा कि राष्ट्रसेवा के संकल्प को साकार करने के लिए श्रेष्ठ जीवन आदर्श की प्रेरणा देकर आपने युवाओं का मार्ग प्रशस्त किया. आपके प्रखर विचार एवं कृतित्व देश की अमूल्य धरोहर हैं. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी न केवल भारत के सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक हैं, बल्कि उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा, वेदांत दर्शन और योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया. उनके विचार आज भी युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए प्रेरित करते हैं.
स्वामी विवेकानंद का जीवन (Swami Vivekananda Life)
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 में हुआ था. इनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था और इनके गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था. अपने गुरु के नाम पर विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ की स्थापना की. विश्व में भारतीय दर्शन विशेषकर वेदांत और योग को प्रसारित करने में विवेकानंद की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, साथ ही ब्रिटिश भारत के दौरान राष्ट्रवाद को अध्यात्म से जोड़ने में इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती है. इसके अतिरिक्त विवेकानंद ने जातिवाद, शिक्षा, राष्ट्रवाद, धर्म निरपेक्षतावाद, मानवतावाद पर अपने विचार प्रस्तुत किये हैं, विवेकानंद की शिक्षाओं पर उपनिषद्, गीता के दर्शन, बुद्ध एवं ईसा मसीह के उपदेशों का प्रभाव है. उन्होंने वर्ष 1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मलेन में वैश्विक ख्याति अर्जित की तथा इसके माध्यम से ही भारतीय अध्यात्म का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार हुआ. वर्ष 1893 में खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने 'विवेकानंद' नाम अपनाया. उन्होंने विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया. वर्ष 1902 में बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हुई थी.
स्वामी विवेकानंद जी के कोट्स (Swami Vivekananda Quotes)
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं.
जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे. खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे.
कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो. जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचो.
वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता.
ऐतिहासिक भाषण के अंश (Swami Vivekananda Speech)
अपने भाषण के दौरान स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि अमरीकी भाइयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है. मैं दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ़ से धन्यवाद देता हूं. सभी जातियों और संप्रदायों के लाखों-करोड़ों हिंदुओं की तरफ़ से आपका आभार व्यक्त करता हूं. मैं इस मंच पर बोलने वाले कुछ वक्ताओं का भी धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने यह ज़ाहिर किया कि दुनिया में सहिष्णुता का विचार पूरब के देशों से फैला है. मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है. हम सिर्फ़ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं. मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी. मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इसराइल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा, "स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर मैं उन्हें नमन करता हूं. वे भारत ही नहीं पूरे विश्व के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. एक समृद्ध और प्रगतिशील भारत के निर्माण के उनके स्वप्न को पूरा करने के लिए हम सभी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं."
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्र चेतना को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर कोटिशः नमन. आपने न केवल भारतीय संस्कृति और वेदांत का पश्चिम में प्रचार किया बल्कि युवाओं में राष्ट्र भक्ति, आत्मविश्वास और सेवा की भावना जागृत की. आपके विचार भावी पीढ़ी को सदैव राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे."
भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक्स पोस्ट में लिखा, "भारत की गौरवशाली संस्कृति को विश्वपटल पर स्थापित करने वाले महान युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर शत्- शत् नमन! स्वामी विवेकानंद जी ने अपने विचारों से भारत को आत्मविश्वास, गौरव और विश्व को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया. उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं."
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पोस्ट में लिखा, "भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को संपूर्ण विश्व में ख्याति दिलाने वाले महान विचारक एवं करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. अमरीका के शिकागो की धर्म संसद में वर्ष 1893 में दिए गए उनके ऐतिहासिक भाषण के कुछ अंश, जो आज भी बेहद प्रासंगिक है. - “सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इसके भयानक वंशज हठधमिर्ता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं. इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है. कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है. कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं. अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है. मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वे तलवार से हों या कलम से और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा.”
उन्होंने आगे लिखा, "स्वामी विवेकानंद जी ने अपने अल्प जीवनकाल में मानवता को आत्मिक विकास, सहिष्णुता व समानता जैसी महत्वपूर्ण बातों से अवगत करवाया और भारत को वैश्विक पटल पर एक अलग पहचान दिलाई."
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