
Maha Kumbh Mela 2025 start & end Dates: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 (Maha Kumbh Mela 2025 ) की शुरुआत हो रही है. यह हिंदू धर्म (Hindu Dharma) के सबसे पवित्र और भव्य आयोजनों में से एक है. यह महीने भर चलने वाला त्योहार लाखों भक्तों और आध्यात्मिक साधकों को आकर्षित करेगा, जो पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने और आध्यात्मिक मुक्ति की तलाश में आएंगे. महाकुंभ मेला 2025 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ आरंभ होगा और 26 फरवरी 2025 को महा शिवरात्रि के साथ इसका समापन होगा.
Maha Kumbh Mela 2025: कब से कब तक होगा आयोजन?
- महाकुंभ मेला 2025 की शुरुआत 13 जनवरी 2025 (सोमवार)
- महाकुंभ मेला 2025 की समाप्ति तिथि 26 फरवरी 2025 (बुधवार)
Maha Kumbh Mela 2025: कहां लगेगा महाकुंभ मेला?
इस बार प्रयागराज में त्रिवेणी संगम महाकुंभ मेला होगा. माना जाता है कि तीन पवित्र नदियों के इस संगम स्थल में अपार आध्यात्मिक ऊर्जा है. सदियों से, तीर्थयात्री इस पवित्र स्थल की यात्रा करते रहे हैं, लोगों का मानना है कि यहां पाप का नाश होता है.
Maha Kumbh Mela 2025: महाकुंभ मेला 2025 के लिए अहम तारीखें
कुंभ मेले में पवित्र नदियों में स्नान करना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. ऐसा माना जाता है कि पवित्र जल में डूबकी लगाने से न केवल व्यक्ति के पाप धुलते हैं बल्कि पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है. यहां तीर्थयात्री संतों के नेतृत्व में प्रार्थना, अनुष्ठान और आध्यात्मिक प्रवचनों में भी शामिल होते हैं.
Maha Kumbh Mela 2025: ये है पवित्र स्नान के लिए महत्वपूर्ण तारीखें
- 13 जनवरी 2024- पौष पूर्णिमा (Paush Purnima)
- 14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति (Makar Sankranti)
- 29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya)
- 3 फरवरी 2025 - वसंत पंचमी (Vasant Panchami)
- 12 फरवरी - माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima)
- 26 फरवरी - महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivratri festival) (अंतिम शाही स्नान)
Maha Kumbh Mela 2025: क्या है शाही स्नान?
शाही स्नान या राजयोगी स्नान महाकुंभ मेले का मुख्य आकर्षण का केंद्र है. इसमें अलगृअलग अखाड़ों (धार्मिक समूहों) के संतों और उनके शिष्यों का एक भव्य जुलूस शामिल होता है, जो नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं.
Maha Kumbh Mela 2025: महा कुंभ मेले का इतिहास, क्या है इसकी अहमियत?
इसके साथ ही इस त्यौहार को 8वीं शताब्दी में प्रसिद्धि मिली जब आदि शंकराचार्य ने इसके महत्व को पुनर्जीवित किया. समय के साथ, मेला एक विशाल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन बन गया, जिसने दुनिया भर से तीर्थयात्रियों, विद्वानों और आध्यात्मिक लोगों को आकर्षित किया.
महाकुंभ मेले का बारह साल का चक्र गुरु या बुद्धि से जुड़े ग्रह बृहस्पति के विशिष्ट राशि चक्र में जाने से मेल खाता है. ऐसा माना जाता है कि यह संरेखण पवित्र नदियों की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है, जिससे स्नान का कार्य और भी शुभ हो जाता है.
Maha Kumbh Mela 2025: महाकुंभ मेला 2025 की खास बातें
- त्रिवेणी संगम: गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम को इस त्यौहार का हृदय माना जाता है
- कल्पवास: मेले के दौरान कई भक्तों द्वारा मनाया जाने वाला गहन आध्यात्मिक अभ्यास का समय
- अखाड़े: धार्मिक संगठन इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो सदियों पुरानी परंपराओं और दर्शन को प्रदर्शित करते हैं
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: यह मेला सभी क्षेत्रों के भक्तों को एक साथ आने और अपने आध्यात्मिक अनुभव साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है
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