Eye Flu: मौसम बदलते ही दिखने लगा कंजंक्टिवाइटिस का कहर, डॉक्टर से जानिए लक्षण, बचाव व सावधानियां

Eye Flu: डॉ मुदित अग्रवाल का कहना है कि कंजंक्टिवाइटिस एक नेत्र रोग है, जिसे आमतौर पर "आई फ्लू" या "लाल आंख" भी कहा जाता है, एक सामान्य नेत्र संक्रमण है जो आंखों की बाहरी परत (कंजेक्टिवा) और आंखों की भीतरी परत को प्रभावित करता है. यह रोग मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस या एलर्जी के कारण होता है.

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Conjunctivitis Case: इन दिनों जबलपुर समेत कई जगहों पर मौसम बदलने के साथ-साथ डेंगू, मलेरिया, वायरल फीवर जैसी मौसमी बीमारियां देखने को मिल रही हैं. वहीं आई फ्लू (Eye Flu) जिसे कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) या पिंक आई (Pink Eye) के नाम से भी जाना जाता है, बहुत तेजी से फैल रही है. सैकड़ों की तादाद में मरीज सरकारी (Government Hospital) और निजी अस्पतालों (Private Hospital) में इलाज कराने पहुंच रहे हैं. आई फ्लू सामान्य तौर पर एक संक्रामक रोग है, जो एक पीड़ित से दूसरे स्वस्थ मनुष्य तक पहुंच कर संक्रमित कर सकता है. नेत्र रोग विशेषज्ञ (Ophthalmologist) डॉक्टर मुदित अग्रवाल बताते हैं कि सावधानी में ही सुरक्षा है यदि आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति से संपर्क के बाद स्वच्छता के उपाय अपना लिए जाएं तो आई फ्लू से बचा जा सकता है.

क्या है आई फ्लू?

डॉ मुदित अग्रवाल का कहना है कि नेत्र रोग कंजंक्टिवाइटिस, जिसे आमतौर पर "आई फ्लू" या "लाल आंख" भी कहा जाता है, एक सामान्य नेत्र संक्रमण है, जो आंखों की बाहरी परत (कंजेक्टिवा) और आंखों की भीतरी परत को प्रभावित करता है. यह रोग मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस या एलर्जी के कारण होता है. कंजंक्टिवाइटिस होने पर आंखों में लालिमा, खुजली, जलन और पानी आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

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कंजेक्टिवाइटिस के कारण

वायरल संक्रमण : यह सबसे सामान्य कारण है और यह आमतौर पर सर्दी-जुकाम के साथ होता है.

बैक्टीरियल संक्रमण : यह भी एक प्रमुख कारण हो सकता है, जिसमें आंखों से हरा या पीला मवाद निकल सकता है.

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एलर्जी : धूल, धुआं, फूलों का पराग या किसी रसायन के संपर्क में आने से एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है।

रासायनिक संपर्क : अगर आंखों में कोई हानिकारक रसायन चला जाए, तो इससे भी कंजेक्टिवाइटिस हो सकता है।

कंजंक्टिवाइटिस से बचाव के उपाय

स्वच्छता का पालन करें : अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं, खासकर आंखों को छूने से पहले और बाद में.

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संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें : कंजंक्टिवाइटिस अत्यधिक संक्रामक होता है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति के व्यक्तिगत, वस्त्र, तौलिये और चश्मा आदि से दूरी बनाएं.

⇒ आंखों को रगड़ें नहीं : आंखों में जलन या खुजली होने पर उन्हें रगड़ें नहीं, क्योंकि इससे संक्रमण फैल सकता है.

साफ तौलिया और तकिए का प्रयोग करें : अपनी व्यक्तिगत चीजों को दूसरों के साथ साझा न करें.

आई ड्रॉप्स का प्रयोग : धूल या धुएं से बचने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए आई ड्रॉप्स का उपयोग करें.

कंजंक्टिवाइटिस होने पर क्या करें :

♦ आंखों की सफाई : आंखों को ठंडे पानी से धोएं और साफ कपड़े से पोंछें. इसके अलावा, डॉक्टर द्वारा बताए गए एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स का उपयोग करें.

आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल : डॉक्टर द्वारा बताई गई आई ड्रॉप्स का नियमित रूप से प्रयोग करें. इसे अपनी आंखों में डालने से पहले और बाद में हाथ धोना न भूलें.

आराम करें : संक्रमण की स्थिति में आराम करना महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब आंखों में जलन और दर्द हो.

आंखों को ढकें नहीं : आंखों को ढकने से नमी बढ़ सकती है, जिससे बैक्टीरिया की वृद्धि हो सकती है.

नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें : अगर लक्षण गंभीर हों, जैसे अत्यधिक दर्द, धुंधला दिखना या लंबे समय तक लालिमा बने रहना, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें.

कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर कुछ दिनों में खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन उचित देखभाल और स्वच्छता का पालन करने से इससे बचा जा सकता है और इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है. यदि आपको या आपके किसी करीबी को कंजंक्टिवाइटिस हो जाता है, तो उसे गंभीरता से लें और उपरोक्त सलाह का पालन करें.

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