
छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सिरे पर स्थित सुकमा जिला प्रदेश के सबसे कम विकसित जिलों में से एक है. घने जंगलों से घिरा यह जिला नक्सलवाद से ग्रस्त है. यहां की आबादी का 85 प्रतिशत हिस्सा जनजातीय है. यहां रहने वाले जनजातीय समुदाय में सबसे प्रमुख गोंड हैं. इसके अलावा हल्बी, डोरल, धुरवा और मुरिया जनजाति के लोग भी निवास करते हैं. यह प्रदेश के सबसे कम घनत्व और साक्षरता वाले जिलों में से एक है. यहां घनत्व केवल 45 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी और साक्षरता दर केवल 29 % है. सुकमा पहले दंतेवाड़ा जिले का भाग था. जिले के रूप में ये 16 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया. यहां 12 साल में एक बार लगने वाला मड़ई मेला आदिवासी जन समुदाय के लिए विशेष स्थान रखता है. जिले के 65 प्रतिशत भूभाग पर घने वन हैं.
कई बड़े नक्सली हमले झेल चुका है सुकमा
सुकमा नक्सलीग्रस्त इलाका है,
. कई पुलिसकर्मियों समेत कुल 32 लोगों की हत्या कर दी गई थी. 24 अप्रैल 2017 को बुरकापाल में हुए हमले में 25 जवान शहीद हुए थे. यहां सुरक्षाबलों पर अक्सर नक्सली घात लगाकर हमले करते रहते हैं.
शबरी ने खिलाए थे भगवान राम को बेर
सुकमा जिले का इतिहास बेहद पुराना बताया जाता है. प्राचीन दंडकारण्य के भाग रहे इस जिले में पाए गए अवशेषों के आधार पर दावा किया जाता है कि श्रीराम अपने वनवास के दौरान यहां से गुजरे थे और शबरी के हाथों में बेर खाए थे. यहां राम वन गमन पथ के रूप में विकसित करने की योजना रामाराम पर कार्य चल रहा है.
आइए एक नजर डालते हैं सुकमा से जुड़ी कुछ अहम जानकारियों पर-
• जनजातीय आबादी मुख्य रूप से कृषि और वनोपज पर निर्भर करती है.
• सुकमा का कुल क्षेत्रफल 5897.79 वर्ग किमी है.
• जिले में 4 तहसील, 3 विकासखंड,1 नगर पालिका, 2 नगर पंचायत , 135 ग्राम पंचायत, 385 गांव हैं, एक विधानसभा क्षेत्र- कोंटा है.
• यहां की कुल जनयंख्या 270821 और साक्षरता दर 29 % है.