मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित शाजापुर महलों और कई सदियों पुराने मंदिरों की सघनता के लिए जाना जाता है. शाजापुर का इतिहास महाभारत से लेकर परमार वंश, मुगल काल और मराठा वंश से जुड़ा हुआ है. कुछ लोगों का कहना है कि शाजापुर का प्राचीन नाम शाहजहांपुर था जो मुगल बादशाह शाहजहां के नाम पर रखा गया था. समय के साथ बदलकर इसका नाम शाजापुर हो गया. प्राचीन समय में इस क्षेत्र को खान खेड़ी के नाम से भी जाना जाता था.
इसके बाद जब शाहजहां ने बादशाह की गद्दी संभाली तो अपने दक्षिणी अभियान के लिए उन्होंने इस जगह को खासा महत्व दिया. उन्होंने 1640 ईस्वी में मीर बिगो को यहां का कोतवाल नियुक्त किया. मीर बिगो ने जगन्नाथ रावल के साथ मिलकर इस क्षेत्र को दिल्ली पैटर्न के आधार बनाने की योजना बनाई. इसके अंतर्गत यहां चार दिशाओं में चार द्वारों का निर्माण कराया गया. इनके बीच एक व्यापार केंद्र भी विकसित किया गया. जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ इस क्षेत्र में आबादी बढ़ी और यह एक नगर के रूप में विकसित हो गया. उस दौरान यहां बारह क्षेत्र स्थित थे, जिनमें से मुरादपुर शाहजहां के बेटे के नाम पर रखा गया था. शाहजहां द्वारा इस क्षेत्र को विकसित कराए जाने के चलते उनके सम्मान में इस जगह को शाहजहांपुर कहा जाने लगा.
मुगल वंश के पतन के बाद 1732 में शाहजहां सिंधिया साम्राज्य का हिस्सा बन गया. आजादी के पूर्व साल 1904 में ब्रिटिश हुकूमत ने इसे जिले के रूप में मान्यता दी थी. वहीं आजादी के बाद 1 नवंबर 1956 में इस जिले का मध्यप्रदेश राज्य में विलय हो गया.
महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास
शाजापुर का अस्तित्व महाभारत के समय से माना जाता है. यहां के 'पांडव खो' स्थान के बारे में मान्यता है कि यहां पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय गुजारा था. वहीं जिले के करेली गांव में स्थित करेडी माता का मंदिर भी महाभारत काल से संबंधित बताया जाता है. लोक मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण कर्ण ने कराया था. इसके अलावा परमार वंश से भी इस शाजापुर का इतिहास जुड़ा हुआ है. 10वीं 11वीं शताब्दी के आसपास परमार वंश के प्रसिद्ध शासक राजा भोज ने यहां राजराजेश्वरी माता मंदिर बनवाया था.
शाजापुर जिले के प्रसिद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल
शाजापुर का किला
चिल्लर नदी के किनारे पर बने इस ऐतिहासिक किले का निर्माण 1640 ईस्वी में शाहजहां ने करवाया था. शाजापुर जब सिंधिया साम्राज्य का हिस्सा बना तो राणोजी सिंधिया ने इस किले का जीर्णोद्धार कराया. इस किले की दीवारों और दरवाजों पर मुस्लिम स्थापत्य कला का प्रभाव दिखाई देता है.
ताराबाई का महल
जिले में स्थित इस महल का निर्माण मराठा रानी तारा बाई भोसले ने निर्माण कराया था. ताराबाई मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति हंबीरराव मोहिते की बेटी थीं.
राजराजेश्वरी मंदिर
शाजापुर नगर में चिल्लर नदी के तट पर राजराजेश्वरी मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध शासक राजाभोज ने 10वीं व 11वीं शताब्दी के बीच कराया था. मंदिर में नवरात्रि के दौरान हजारो लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.
पार्श्वनाथ मंदिर
जिले में पार्श्वनाथ जैन मंदिर भारत के प्रसिद्ध जैन मंदिरों में शुमार है. इस मंदिर में पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति रखी हुई है. यह मंदिर 2 हजार साल से भी पुराना है.
इसके अलावा शाजापुर जिले में बैजनाथ महादेव मंदिर, नलखेड़ा, जटाशंकर मंदिर, रानोगंज छतरी, बेरछा, करेडी माता मंदिर, नित्यानंद आश्रम, मुरादापुर मंदिर, जामा मस्जिद, मुल्ला शमशुद्दीन का मकबरा बापू की कुटिया, भैरव डूंगरी(जिले का सबसे ऊंचा स्थान) और बरोद जैसे कई दार्शिनक और पर्यटक स्थल भी हैं.
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