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This Article is From Jul 11, 2023

हरे-भरे जंगलों, पहाड़ों और शिल्पकला के लिए जाना जाता है कोण्डागांव

1 जनवरी साल 2012 में एक नए जिले के रूप में स्थापित हुआ कोंडागांव एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इससे पहले यह बस्तर जिले का हिस्सा हुआ करता था. कोण्डागांव प्राकृतिक सुंदरता और यहां की कला की वजह से दुनिया भर में विख्यात है.

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हरे-भरे जंगलों, पहाड़ों और शिल्पकला के लिए जाना जाता है कोण्डागांव

छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य का हिस्सा कोण्डागांव प्रदेश के नेशनल हाईवे 30 पर नारंगी नदी के तट पर स्थित है. यह जिला राजधानी रायपुर से करीब 230 किलोमीटर दूर हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. 1 जनवरी साल 2012 में एक नए जिले के रूप में स्थापित हुआ कोंडागांव एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है. इससे पहले यह बस्तर जिले का हिस्सा हुआ करता था. कोण्डागांव प्राकृतिक सुंदरता और यहां की कला की वजह से दुनिया भर में विख्यात है.

कोंडागांव का इतिहास

कोण्डागांव का प्राचीन नाम कांदानार था. प्रचलित कहानियों के अनुसार, कोण्डागांव के मौजूदा गांधी चौक के पास पुराने नारायणपुर मार्ग से मरार लोग गोलाड़े गाड़ी से गुजर रहे थे, तभी उनकी गाड़ी वहां फंस गई और उन्हें उसी जगह पर विश्राम करना पड़ा. उसी रात मरार लोगों के मुखिया के सपने में देवी ने उन्हें वहीं बसने को कहा. क्षेत्र की उपजाऊ भूमि और देवी के निर्देशों का पालन करते हुए उन्होंने यहां बसने का निर्णय लिया. तब यहां मौजूद कंद के नारियल के आधार पर इसका नाम कांडनार रखा गया था. जो प्रदेश के बस्तर जिले के अंतर्गत आता था, जिसे बाद में अलग कर कोंडागांव जिले के रूप में स्थापित कर दिया गया.

यहां की हस्त और शिल्पकला है मशहूर

कोण्डागांव अपने शिल्पकारों और कलाकारों की वजह से विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुका है. यहां के शिल्पकारों द्वारा की जाने वाली बेलमेटल शिल्प, लौह शिल्प, लोक कला चित्र, कस्तल, बांस, कौड़ी शिल्प और बुनकर शिल्प दुनिया भर में मशहूर है.

प्राकृतिक एवं धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध

कोण्डागांव जितना अपने संस्कृति और कला के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही अपनी प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है. हरे-भरे जंगलों से घिरे इस छोटे से जिले में कई पर्यटन स्थल हैं. जिले में स्थित बंधा तालाब और गार्डन, केशकाल घाटी, कोसारटेडा बांध, जटायु शिला, केशकाल घाटी पर स्थित विभिन्न जलप्रपात पर्यटकों को प्रकृति से जोड़ने का काम करते हैं. जबकि गोबरहीन शिव मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, मां लिंगेश्वरी देवी मंदिर और कोपाबेडा शिवमंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं. 

कोण्डागांव एक नजर में

  • भौगोलिक स्थिति -  8° 4' से 37° 6'उत्तरी अक्षांश 68° 7' से 97° 25'पूर्वी देशान्तर
  • क्षेत्रफल - 7,768 वर्ग किलोमीटर
  • जनसंख्या - 5,78,326 (2011 की जनगणना)
  • विधानसभा क्षेत्र- 3
  • जनसंख्या घनत्व : 160
  • लिंगानुपात : 1002
  • साक्षरता दर : 64 प्रतिशत
  • संभाग - कोण्डागांव
  • तहसील - 7 (कोण्डागांव, केशकाल, फरसगाँव, माकड़ी, बड़ेराजपुर, धनोरा, मर्दापाल)
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