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This Article is From Jul 17, 2023

औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत भी सहेजे हुए है दुर्ग जिला

भिलाई स्टील प्लांट देश के सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात कारखाने के रूप में कई बार पुरस्कृत भी हो चुका है. यहां इस्पात की हैवी रॉड्स और प्लेट्स के अलावा रेल पटरियों का भी निर्माण होता है.

औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत भी सहेजे हुए है दुर्ग जिला
दुर्ग की मशहूर जगहों में मैत्री बाग भी शामिल है...

दुर्ग को छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक नगरों में गिना जा सकता है. भिलाई स्टील प्लांट जिले की सबसे अहम पहचान है. इस्पात का यह कारखाना आजादी के बाद देश में लगे सबसे बड़े औद्योगिक उपक्रमों में से एक था, जिसकी स्थापना 1955 में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के काल में हुई थी. आजादी के बाद यह भारत सरकार का पहला इस्पात संयंत्र है, जिसे तत्कालीन सोवियत संघ की सहायता से स्थापित किया गया था. भिलाई स्टील प्लांट देश के सर्वश्रेष्ठ एकीकृत इस्पात कारखाने के रूप में एक से अधिक बार पुरस्कार भी पा चुका है. यहां इस्पात की हैवी रॉड्स और प्लेट्स के अलावा रेल पटरियों का भी निर्माण होता है. जाहिर है कि पूरे देश में रेल की पटरियों का जाल बिछाने में इस प्लांट की अहम भूमिका है.

विख्यात पंडवानी गायिका तीजनबाई की जन्मस्थली है दुर्ग
दुर्ग शिवनाथ नाम की नदी के पूर्व में बसा है. पहले राजनांदगांव और कवर्धा भी दुर्ग जिले का ही हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन बाद में ये दोनों अलग जिले बना दिए गए. दुर्ग जिले का सांस्कृतिक महत्व भी कम नहीं है. यहां 35 से ज़्यादा जनजातियां रहती हैं. ये अपनी संस्कृति, विरासत, परंपराओं और नृत्य गीतों से राज्य को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाती हैं. दुर्ग विश्वविख्यात पंडवानी गायिका तीजनबाई की जन्मस्थली भी है. तीजनबाई ने अपने लोक गायन से पूरी दुनिया में नाम कमाया है और उन्हें भारत सरकार के तीनों पद्म पुरस्कार पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा चुका है.

गोंड राजाओं का रहा है शासन

दुर्ग से 34 किमी दूर स्थित धमधा किला यहां का प्रमुख आकर्षण है. कहा जाता है कि गोंड राजाओं ने धमधा किले की सुरक्षा के लिए किले के चारों तरफ 126 तालाब बनवाए थे, यह क्षेत्र 126 तालाबों वाले गांव के नाम से जाना जाता है. आज भी यहां 25 तालाब मौजूद हैं. धमधा में ही महामाया का मंदिर है. इस मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ दशावतार की प्रतिमाएं है. कल्चुरी कालीन मंदिर के नष्ट हो जाने पर गोंड शासकों ने इसका पुनर्निर्माण किया था.

कैसे पड़ा 'दुर्ग' नाम...?

इसका नाम दुर्ग कैसे पड़ा, इस संबंध में भी एक किस्सा प्रचलित है. कहा जाता है कि यहां शिवदेव नाम के एक राजा हुए थे, जिन्होंने यहां एक दुर्ग, यानी किला बनाया था. इस किले का नाम शिवदुर्ग पड़ गया. कालांतर में इसी शिवदुर्ग नाम से पहले का हिस्सा हट गया और इलाका दुर्ग के रूप में जाना जाने लगा.

दुर्ग जिला, एक नज़र में

दुर्ग जिले में सबसे ज्यादा खेती धान की होती है. इसके अलावा गेहूं, सोयाबीन, अरहर, अलसी यहां की मुख्य फसलें हैं. हाल ही में इस इलाके में गेंदे और रजनीगंधा के फूलों की खेती भी शुरू हुई है.

दुर्ग जिले में कई सीमेंट फैक्टरियां और राइस मिलें हैं.

दुर्ग जिले में 4 नगर पालिका निगम हैं - दुर्ग नगर निगम, भिलाई नगर निगम, रिसाली नगर निगम और भिलाई चरौदा नगर निगम.

जिले में 4 नगर पंचायत हैं - अमलेश्‍वर, उतई, धमधा और पाटन.

दुर्ग में तीन नगर परिषद हैं - अहिरवार, कुम्हारी और जामुल.

दुर्ग जिले में 7 विधानसभा क्षेत्र हैं - पाटन, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, भिलाई नगर, वैशालीनगर, अहिवारा और साजा.

दुर्ग जिले की कुल जनसंख्या 17,21,948 है, जिसमें ग्रामीण जनसंख्या 6,17,248 (35.84%) एवं शहरी जनसंख्‍या 11,04,700 (64.16%) है.

दुर्ग छत्तीसगढ़ का सबसे ज्यादा साक्षर जिला है, और यहां 82.56% लोग साक्षर हैं.

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