
बस्तर जिला छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद प्रभावित जिलों में से एक है. जिले का मुख्यालय इंद्रावती नदी के किनारे बसा जगदलपुर है. 70 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले इस जिले की प्राकृतिक सुंदरता मन मोह लेने वाली है. घने जंगलों, ऊंची पहाड़ियों और सुरम्य झरने के साथ-साथ यह जिला खनिज, सीमेंट कारखानों और इस्पात संयंत्रों के लिए भी जाना जाता है. इसे राज्य के सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा प्राप्त है. गोंड यहां की सबसे प्रमुख जनजाति है. जिले के इंद्रावती नदी पर स्थित चित्रकोट जलप्रपात भारत के नियाग्रा के नाम से प्रसिद्ध है. 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर इसे जिले का दर्जा मिल गया.
बस्तर कला के नाम से मशहूर हैं हस्तशिल्प
बस्तर आदिवासी परंपरागत कला का केंद्र है. बस्तर कला अपनी अद्वितीय कलाकृतियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां काष्ठ कला, बांसकला, मृदाकला, धातु कला काफी उन्नत है. इस क्षेत्र में इन कलाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित रखा गया है. इंद्रावती नदी के किनारे बसा जिला मुख्यालय जगदलपुर छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख सांस्कृतिक और हस्तकला केंद्र है. जगदलपुर का मानव विज्ञान संग्रहालय आदिवासी संस्कृति व हस्तशिल्प के सबसे प्रमुख केंद्रों में से एक है.
महाकाव्य रामायण में वर्णित दंडकारण्य का हिस्सा
बस्तर जिला पौराणिक महाकाव्य रामायण में वर्णित दंडकारण्य का भूभाग है. आजादी से पहले से ही इसे बस्तर रियासत के नाम से जाना जाता था. इस रियासत की स्थापना 1324 ईस्वी के आसपास हुई थी. काकातिया राजा प्रताप रूद्रदेव के भाई अन्नाम देव ने वारंगल को छोड़कर बस्तर में अपने साम्राज्य की स्थापना की थी. रियासत की राजधानी पहले बस्तर में थी जिसे बाद में जगदलपुर स्थानांतरित कर दिया गया था. बस्तर के अंतिम राजा प्रवीर चंद्र भंज देव आदिवासी समुदाय में काफी लोकप्रिय थे.
देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है चित्रकोट झरना

चित्रकोट झरना को 'भारत का नियाग्रा' कहा जाता है. ये देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है. इसे देखना एक अदभुत अनुभव है.
गोदावारी की सहायक नदी इंद्रावती पर स्थित चित्रकोट झरना जगदलपुर से के पश्चिमी छोर पर स्थित है. यह देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात है, जिसके कारण इसकी ख्याति भारत का नियाग्रा के नाम से है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कुटुमसर गुफा, कैलाश गुफा, कांगेर धारा, देडक गुफा, तीरथगढ़ जलप्रपात, दलपत सागर झील, मिचनार हिल, बिजाकसा जलप्रपात जैसे पर्यटन केंद्र मौजूद हैं.
75 दिन मनाया जाता है दशहरा पूजा
जगदलपुर में मां दंतेश्वरी मंदिर में दुर्गा पूजा के समय 75 दिन तक दशहरा पूजा होती है. इसे देखने और पूजा में शामिल होने क लिए देश भर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. उत्सव में देवी को रथ पर बिठाकर परिक्रमा करवाया जाता है.
बस्तर कैफे, कॉफी की खेती से नक्सलवाद का मुकाबला
नक्सलवाद से जूझ रहे बस्तर में कॉफी की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. पारंपरिक रूप से धान उगाने वाले इस क्षेत्र में जिला प्रशासन और कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन जगदलपुर के वैज्ञानिकों के सहयोग से किसान दुर्लभ किस्म की कॉफी उगा रहे हैं. दरभा, काकलपुर और डिलमिली में कॉफी के बागान विकसित हो चुके हैं. बस्तर प्रशासन की ओर से जगदलपुर में बस्तर कैफे शुरू किया गया है.
बस्तर के बारे में जानिए
- आबादी कृषि और जंगल के उत्पाद पर निर्भर, धान, मक्का, गेहूं, ज्वार, चना, तुअर मुख्य फसलें हैं.
- क्षेत्रफल - 6596.90 वर्ग किमी
- जनसंख्या- 1413199
- विधानसभा क्षेत्र- 3
- साक्षरता दर- 53%
- गांव 595