
Govind Singh Rajput Controversy: मध्यप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब मंत्री द्वारा चुनाव के समय दिए गए हलफनामे में संपत्तियों का ब्योरा अधूरा और विवादित है, तो सरकार बचाव की मुद्रा में क्यों है? अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार से इस पर स्पष्ट जवाब तलब किया है.
हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष याचिका सुनवाई के लिए लगी थी। कोर्ट ने कहा कि जब निर्वाचन आयोग ने प्रकरण को जांच योग्य माना था, तो फिर जांच आगे क्यों नहीं बढ़ाई गई?
याचिकाकर्ता के आरोप
याचिका राहतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता राजकुमार सिंह द्वारा दायर की गई है. याचिका में आरोप है कि मंत्री राजपूत ने नामांकन दाखिल करते समय अपनी वास्तविक संपत्तियों को छुपाया.
याचिकाकर्ता का कहना है कि मंत्री व उनके पुत्र द्वारा संचालित ज्ञानदीप सेवा समिति के नाम पर लगभग 64 जमीनें खरीदी गईं, लेकिन इनका उल्लेख हलफनामे में नहीं किया गया. इस पर निर्वाचन आयोग ने जांच भी शुरू की थी, लेकिन बाद में मामला थम गया.
यह विवाद वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव से संबंधित है. निर्वाचन आयोग ने प्रारंभिक जांच में संपत्ति छिपाने के आरोप को जांच योग्य माना था. याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि राजनीतिक दबाव के कारण आगे की कार्रवाई रोक दी गई.
साल 2020 में भी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर दल-बदल कानून के तहत सवाल उठे थे, हालांकि बाद में वे कैबिनेट में शामिल हो गए. अदालत ने मामले को फिलहाल स्थगित करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 9 अक्टूबर 2025 तय की है. इस दिन दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनी जाएंगी.
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